कम्प्यूटर की तरह ही पीढ़ी-दर-पीढ़ी मोबाइल में निरंतर तकनीकी में पीढ़ीगत सुधार की प्रक्रिया जारी है। पहली पीढ़ी की बाद आज हम पांचवीं पीढ़ी (5जी) प्रौद्योगिकी के दोहन के लिए खुद को तैयार करने में जुटे हैं। इस तकनीक के आने से जहाँ एक और उच्च बैंडविड्थ मोबाइल धारक अपने फोन में इसका उपयोग कर क्रांतिकारी बदलाव ला सकेंगे वहीँ दूसरी ओर नए 5जी वाले डिवाइस के साथ, व्यक्ति कॉल वॉल्यूम और डेटा संचार की तीव्रता का ऐसा अनुभव और आनंद लेंगे, जिसका उन्होंने पहले कभी नहीं किया है। यह तकनीकी की कई विशेषतायें बताई जा रही रही है, जैसे- यह तकनीकी उच्च रिजोल्यूशन क्षमता वाली, उच्च बैण्ड विड्थ आकार की द्विविमीय प्रौद्योगिकी है, जो त्रुटिरहित नीति पर आधारित उच्च गुणवत्ता वाली सेवाएँ प्रदान कर सकेगी, जिसके माध्यम से रिमोट प्रबन्धन के साथ तीव्र समाधान सम्भव होता है। इसकी गति 4G की अधिकतम स्पीड से 20 गुना तेज होने से डाटा ट्रांसफर तीव्र बताई जा रही है।
इस तकनीक के आने से कई लाभ देखने को मिलेंगे। इस तकनीक के आने से मोबाइल धारक और अधिक जागरूक होंगें, जिससे तकनीक प्रदाता कंपनी सस्ती और विश्वसनीय सेवाओं के लिए प्रतिबद्ध होंगें। इस तकनीक के प्रयोग से सामाजिक, आर्थिक, रक्षा, अन्तरिक्ष आदि क्षेत्रों के महत्त्वपूर्ण कार्यक्रमों को काफी गति मिलेगी, जिससे राष्ट्र का विकास तेजी से संभव होगा। इसमें दूरसंचार/टेलीकॉम तकनीक का मिश्रण होने से बहुत कम ऊर्जा की खपत और विकिरण का खतरा कम होगा। इसका प्रयोग केवल मोबाइल और लैपटॉप पर ब्राउजिंग तक सीमित न रहकर उद्योग, कृषि, स्वास्थ्य, सार्वजनिक सुरक्षा, शहरों की आधारभूत संरचना के विकास करने में भी होगा।
इस तकनीक का प्रभाव व्यापक रूप से देखने को मिलेगा। इसके सफलतापूर्वक क्रियान्वयन से हमारी भारतीय दूरसंचार क्षेत्र में क्रान्ति आने की पूर्ण संभावना है। इससे जहाँ एक तरफ हमारे भारत सरकार के डिजिटल इण्डिया कार्यक्रम, मेक इन इण्डिया, ईज ऑफ डूइंग बिजनेस इत्यादि क्षेत्रों को गति मिलेगी, वहीँ दूसरी तरफ इसके माध्यम से न्यू इण्डिया मिशन, स्मार्ट सिटी परियोजना, भारत नेट परियोजना आदि को सफल बनाने में सहयोग मिलेगा। इससे सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि, रोजगार सृजन अर्थव्यवस्था का डिजिटलीकरण इत्यादि किया जाना संभव होगा। इससे सूचना, सुरक्षा, शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवहन आदि क्षेत्रों में भी क्रान्तिकारी परिवर्तन आने की सम्भावना बढ़ेगी तो टेली मेडिसीन, एजुकेशन इत्यादि क्षेत्रों को और अधिक बल मिलेगा, जिससे भारत के किसी भी रिमोट क्षेत्र में शिक्षा, स्वास्थ्य आदि की सुविधा पहुँचाई जा सकेगी।
आज जहाँ एक ओर विश्व के कई देश 5G तकनीक को अपनाकर विकास के नए सोपान गढ़ने के लिए अग्रसर हैं, वहीँ दूसरी ओर यूरोप के कई वैज्ञानिकों द्वारा इसके विकिरण से मानव व पशु-पक्षी के साथ पूरे सजीव जगत के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाला बताकर 5G अपील नाम से ऑनलाइन विरोध मोर्चा खोलकर इसे एक बेहद जटिल चुनौती बनाया हुआ है। ऐसी स्थिति में हमारे देश में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के विशेषज्ञ इसके लिए किस तरह उपयुक्त आधारभूत संरचना तलाश कर इसे एक चुनौती के रूप में स्वीकार कर कैसे इसका समाधान निकालते हैं, देखना बाकी होगा?