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भ्रष्टाचार : समस्या और निदान

12 नवम्बर 2022

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वर्तमान युग में हमारे देश में अधिकांश लोगों के लिए भ्रष्टाचार सर्वश्रेष्ठ साधन बना हुआ है। भ्रष्ट आचरण का अर्थ ऐसे आचरण और गतिविधि से है, जो आदर्शों, मूल्यों, परम्पराओं, संवैधानिक मान्यताओं और नियम व कानूनों के अनुरूप न होकर दूषित और निंदनीय आचार व्यवहार होता है।  यह एक ऐसी समस्या है जो सामाजिक स्वास्थ्य के बेहद हानिकारक है। आज कुछ अपवादों को छोड़कर भ्रष्टाचार बेशर्म के पौधों की तरह प्रत्येक नर-नारी, गृहस्थी, राजनीति, समाज के हर क्षेत्र में हमें आसानी से उगा हुआ मिल जाएगा। भ्रष्टाचार की बेशर्मी इस कदर है कि इसे अधिकांश लोग रिश्वत नहीं शिष्टाचार या सेवा शुल्क मानते हैं।  भ्रष्टाचार के बारे में एक दोहा बड़ा प्रचलित है कि-             

"गाँधी जी जो कह गए वही कहते हैं आप 

रिश्वत लेना पाप है, रिश्वत देना पाप" 

अब देखिये इसमें भ्रष्टाचार में लिप्त व्यक्ति मानते हैं कि वे इस दोहे में केवल दो अल्प विराम लगाकर उसका अक्षरश: पालन करते हैं-  

"गाँधी जी जो कह गए वही कहते हैं आप 

रिश्वत ले,ना पाप है, रिश्वत दे,ना पाप" 

आज का भ्रष्टाचार में डूबा व्यक्ति 'निराला' के शब्दों में कहता है-

मेरा प्राणों में आओ!

शत-शत शिथिल भावनाओं के 

उर के तार सजा जाओ। " 

आज हमारे आपस-पास से लेकर देश के कोने-कोने से प्रतिदिन भ्रष्टाचार हमारे सामने कई रूपों में देखने को मिलता है। यह दफ्तर में अफसर या मंत्री 'हरियाली ' देकर सबसे पहले अंदर घुस जाता है। स्कूल में ट्यूशन से अंकों में सेंध लगा लेता है।  सरकारी अधिकारी/कर्मचारी को उपहार और बड़े-बड़े टेंडर मिलने के लिए मुर्गा-सुर्गा का प्रबंध इसी भ्रष्टाचार के रूप हैं। भ्रष्टाचार करने वाले लोग भले ही अलग-अलग तन के हों लेकिन वे मन,वचन और कर्म से एक ही होते हैं। उनके सुख-दुःख एक होते हैं।  एक को भी अगर काँटा चुभता है तो उसे निकालने के लिए ऊपर से नीचे तक 'मशीनरी' जुट जाती है। आज तो स्थिति और भी विषम है, जहाँ घोटाले और काण्ड का एक-दूसरे को पकड़ा-पकड़ी का राजनीतिक खेल कौशल चलता रहता है।  भ्रष्टाचार के बारे में स्व. श्री अटलबिहारी वाजपेयी ने कहा था कि, 'देश में जब कोई संक्रामक रोग फैलता है तो अच्छे-खासे स्वस्थ व्यक्ति को अपनी चपेट में ले लेता है। भ्रष्टाचार भी एक संक्रामक रोग है।  यह सभी दलों को लग चुका है।  मेरा दल भी इसका अपवाद नहीं। व्यवस्थागत दोषों से कोई भी दाल अछूता नहीं है।"  

स्पष्ट है कि व्यवस्थागत बदलाव के बिना भ्रष्टाचार का निदान संभव नहीं है। इस पर अंकुश लगाने के लिए कुछ प्रभावी कदम उठाने जरुरी होंगे। जैसे- सभी तरह के चुनाव एक साथ कराये जाने चाहिए और मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों का चुनावी खर्चा सरकार को वहन करना चाहिए।  इसके साथ ही शक्तियों का विकेन्द्रीयकरण किया जाना चाहिए जिससे चीजे पंचायती होंगें। शासन-प्रशासन में बैठे नेता हो या अफसर सबकी जबाबदेही सुनिश्चित की जानी चाहिए, ताकि वे किसी भी तरह का भ्रष्टाचार होने पर अपना पल्ला झाड़कर किनारे न बैठ सके।    

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रचनाएँ
कुछ अनसुलझे मुद्दे (दैनन्दिनी माह नवम्बर, 2022)
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इस माह की दैनंदिनी में प्रस्तुत है 5जी तकनीकी के लाभ और प्रभाव। हमारी भारतीय उत्सवधार्मी समाज में तुलसी विवाह की कथा। आधुनिक बदलती शिक्षा प्रणाली के साथ ही देश में व्याप्त कुछ अनसुलझे मुद्दों आरक्षण, भ्रष्टाचार, ऑनर किलिंग, महिला हिंसा, धार्मिक मतभेद, आतंकवाद और प्राकृतिक संसाधनों के दोहन पर विचार मंथन।
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5जी तकनीक : लाभ और प्रभाव

3 नवम्बर 2022
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कम्प्यूटर की तरह ही पीढ़ी-दर-पीढ़ी मोबाइल में निरंतर तकनीकी में पीढ़ीगत सुधार की प्रक्रिया जारी है। पहली पीढ़ी की बाद आज हम पांचवीं पीढ़ी (5जी) प्रौद्योगिकी के दोहन के लिए खुद को तैयार करने में जुटे हैं।

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देवउठनी एकादशी (तुलसी विवाह)

4 नवम्बर 2022
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         हमारे भारतीय समाज में दीपावली के ग्यारह दिन बाद देवउठनी एकादशी (तुलसी विवाह) मनाने की सुदीर्घ परंपरा है।  इस विषय में अलग-अलग क्षेत्रों में इसे मनाये जाने के पीछे अपनी-अपनी मान्यताएं व लोक

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आरक्षण का मुद्दा

9 नवम्बर 2022
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हमारे भारत में आरक्षण के सम्बन्ध में सर्वप्रथम भारतीय संविधान के अनुच्छेद ३४० के अधीन प्रथम आयोग का गठन २९ जनवरी १९५३ को तत्कालीन राष्ट्रपति के आदेश पर "काका कालेकर आयोग" नाम से हुआ।  इस आयोग ने ३० मा

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राष्ट्रीय शिक्षा दिवस

11 नवम्बर 2022
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हमारे देश में 11 सितंबर 2008 को केन्द्र सरकार द्वारा देश के महान स्वतंत्रता सेनानी, विद्वान और प्रख्यात शिक्षाविद् अबुल कलाम आजाद की जयंती को 'राष्ट्रीय शिक्षा दिवस' के रूप में मनाये जाने की घोषणा की

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भ्रष्टाचार : समस्या और निदान

12 नवम्बर 2022
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वर्तमान युग में हमारे देश में अधिकांश लोगों के लिए भ्रष्टाचार सर्वश्रेष्ठ साधन बना हुआ है। भ्रष्ट आचरण का अर्थ ऐसे आचरण और गतिविधि से है, जो आदर्शों, मूल्यों, परम्पराओं, संवैधानिक मान्यताओं और नियम व

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बाल दिवस

14 नवम्बर 2022
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हर वर्ष 14 नवम्बर को वर्तमान भारत के निर्माता पंडित जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिन को बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है। 'बाल दिवस' बाल कल्याण संस्थाओं, सामाजिक संगठनों, केंद्रीय तथा प्रांतीय सरकारोँ क

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मनुष्य की इच्छाऐं कभी खत्म नहीं होती हैं

18 नवम्बर 2022
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सामान्यतः एक मनुष्य को सामान्य जीवन जीने के लिए रोटी, कपडा और मकान की आवश्यकता पड़ती है। जहाँ बहुत से लोगों का जीवन संघर्ष इन्हीं तीन आवश्यकताओं की पूर्ति के इर्द-गिर्द घूमता रहता है। हर मनुष्य की इच्छ

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ऑनर किलिंग

22 नवम्बर 2022
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आज भले ही हम हमारे समाज को बहुत विकसित समझते हैं , लेकिन वास्तव में आज भी कई समाज के परिवार पढ़-लिखने के बाद भी जात-पात, ऊंच-नीच के भेद भाव से ऊपर नहीं उठ पाए हैं।  वे समाज के झूठे दिखावे के चक्कर में

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जैव ईंधन

23 नवम्बर 2022
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अमेरिका, चीन और यूरोपीय संघ के बाद भारत चौथा सबसे बड़ा ऊर्जा खपत वाला देश है। इस ऊर्जा खपत की पूर्ति का महत्वपूर्ण हिस्सा तेल बड़े पैमाने पर आयात पर निर्भर है। विश्व स्तर पर ऊर्जा खपत में भारत की हिस्

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आज प्राकृतिक संसाधनों का दोहन रोकना जरुरी है

24 नवम्बर 2022
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प्रकृति द्वारा मानवों को निःशुल्क प्रदाय की गयी वस्तुओं को हम प्राकृतिक संसाधन कहते हैं। इनमें भूमि, मिट्टी, जल, वन, खनिज, समुद्री साधन, जलवायु, वर्षा आदि प्राकृतिक संसाधन कहलाते हैं। इन्हें मनुष्य अप

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अंतर्राष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस

25 नवम्बर 2022
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माना जाता है कि 25 नवंबर 1960 को डोमिनिक शासक रैफेल टुजिलो की तानाशाही का विरोध करने पर पैट्रिया मर्सिडीज, मारिया अर्जेटीना और एंटोनियो मारिया टेरेसा को शासक द्वारा बेरहमी से मार दिया गया, जिसके बाद 1

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26/11 मुम्बई आतंकी हमले की याद

26 नवम्बर 2022
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14  वर्ष पहले 26 नवंबर 2008 को लश्कर-ए-तैयबा के प्रशिक्षित और भारी हथियारों से लैस दस चरमपंथियों ने मुंबई की दो पाँच सितारा होटलों, एक अस्पताल, रेलवे स्टेशनों और एक यहूदी केंद्र को निशाना बनाकर चार दि

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आपसी धार्मिक सद्भाव जरुरी है

27 नवम्बर 2022
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धर्म को मानव की आत्मा, आध्यात्मिक अवस्थाओं का परीक्षक, निरीक्षक, विद्या और संस्कृति का वाहक माना जाता है, जो जीवन को चलाने वाले श्रेष्ठ सिद्धांतों का समूह है। आधुनिक विचारकों का मत है कि जहाँ विज्ञान

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शिक्षा का बाजारीकरण

28 नवम्बर 2022
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           कभी स्कूल में संस्कृत की पुस्तक में विद्या रुपी धन के महत्ता के बारे गुरूजी एक श्लोक का खूब रट्टवाते थे कि-  "न चौर्यहार्यं न च राजहार्यं न भ्रातृभाज्यं न च भारकारि। व्यये कृते वर्धते एव

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मीडिया की स्वतंत्रता

29 नवम्बर 2022
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प्रिंट मीडिया हो या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया इसे विश्व की वर्तमान स्थिति का दर्पण और लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ माना जाता है। क्योँकि इनके माध्यम से ही हमें देश-विदेश में घटित होने वाली घटनाओं का पता चलता है।

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ये तेरा पैसा-मेरा पैसा

30 नवम्बर 2022
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आज का दैनिक लेखन का टैग है- सरकार और न्यायपालिका।  सभी जानते हैं कि प्रजातंत में जनता द्वारा चुने गए जनप्रतिनिधि सरकार बनाकर चलाते हैं। सरकार व्यवस्थापिका या विधायिका और कार्यपालिका द्वारा क़ानून  निर्

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