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शिक्षा का बाजारीकरण

28 नवम्बर 2022

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           कभी स्कूल में संस्कृत की पुस्तक में विद्या रुपी धन के महत्ता के बारे गुरूजी एक श्लोक का खूब रट्टवाते थे कि- 

"न चौर्यहार्यं न च राजहार्यं न भ्रातृभाज्यं न च भारकारि।

व्यये कृते वर्धते एव नित्यं विद्याधनं सर्वधनप्रधानम्॥"

         अर्थात विद्या रुपी धन को न तो कोई चोर चुरा सकता है, न कोई राजा छीन सकता है, न भाईयों में बाँटा जा सकता है, न वह कभी बोझ लगता है। यह ऐसा धन है जो खर्च करने से हमेशा बढ़ता चला जाता है, क्योँकि यह ज्ञान रुपी धन सभी धनों का प्रधान होता है। तब इस शिक्षा रुपी धन की महिमा को समझने की इतनी ही समझ विकसित थी कि गुरूजी जिसे बार-बार रटवाते हैं, वह परीक्षा में जरूर आता है, इसलिए इसे  पढ़कर हमें अच्छे से अच्छे अंक लाने हैं, इसलिए रट्टा लगाते रहते थे।  तब स्कूल में आज के तरह कोचिंग जैसा शब्द भी दूर-दूर तक सुनाये भी नहीं दिया करता था। स्कूल में गुरूजी होते थे जो इस बात को भलीभांति समझते थे कि शिक्षा के बिना विद्यार्थी का सर्वांगीण विकास संभव नहीं है, इसलिए वे अपना सम्पूर्ण ध्यान आज की तरह पैसे बनाने के स्थान पर केवल शिक्षा पर केंद्रित किया करते थे। शिक्षा शिक्षा को कभी व्यापार न समझे, इसे 'मालविकाग्रिमित्रम' नाटक में महाकवि कालिदास ने बहुत सरल ढंग से चेताते हुए कहा है कि- 

 “लब्धास्पदोऽस्मीति विवादभीरोस्तितिक्षमाणस्य परेण निन्दाम्।

 यस्यागमः केवल जीविकायां तं ज्ञानपण्यं वाणिजं वदन्ति।। "

          - अर्थात जो अध्यापक या शिक्षक नौकरी पा लेने पर अपने मूल उद्देश्य से दूर भागता है, दूसरों के अंगुली उठाने पर चुप रह जाता है और केवल पेट पालने के लिए विद्या पढ़ाता है, ऐसा व्यक्ति शिक्षक नहीं वरन् ज्ञान बेचने वाला बनिया कहलाता है। लेकिन आज ज्ञान से पेट भरने वालों की संख्या सबसे ऊपर आ गयी है। स्वतंत्रता के पश्चात् जिस तीव्र गति से विद्यालयों की संख्या बढ़ी उस अनुपात में शिक्षा का स्तर ऊँचा होने के बजाय नीचे गिरना गंभीर चिन्ता का विषय है। शिक्षक को राष्ट्र का निर्माता और उसकी संस्कृति का संरक्षक माना जाता है, जो शिक्षा द्वारा छात्र-छात्राओं को सुसंस्कृतवान बनाकर उनके अज्ञान रूपी अंधकार को दूर कर देश को श्रेष्ठ नागरिक बनाने में अपनी अहम् भूमिका निभाते हैं। वे केवल बच्चों को न केवल साक्षर बनाते हैं, बल्कि अपने उपदेश के माध्यम से उनके ज्ञान का तीसरा नेत्र भी खोलते हैं, जिससे उनमें भला-बुरा, हित-अहित सोचने की शक्ति उत्पन्न होती है।  

               आधुनिक समय में शिक्षा हमारे सामने एक बहुत बड़े व्यवसाय के रूप में अपने पाँव पसार रही है। इसका बाजारीकरण धड़ल्ले से हो रहा है, जहाँ स्कूल-कॉलेज के शिक्षक, व्याख्याता से लेकर निजी कोचिंग सेंटर में पढ़ाने वाले व्यक्ति घर, गली-कूंचे, मोहल्ले से लेकर बाजारों में आसानी से मिल रहे हैं। जगह-जगह आधुनिक सुविधाओं के चकाचौंध से युक्त कोचिंग खुलते जा रहे हैं, जहाँ शिक्षा की सरेआम बोली लगाकर बेची जा रही है। इसका सबसे अधिक निजी संस्थाएं भरपूर लाभ उठा रहे हैं। शिक्षा का बाजारीकरण के बारे में बहुत दूर न जाते हुए मैं आपको हमारी बात बताती हूँ। अभी मेरा बेटा ११वीं में हैं और वह आईआईटी एडवांस प्रवेश परीक्षा की तैयारी कर रहा है, जिसके लिए हमने उसे एमपी नगर जो कि भोपाल का कोचिंग हब है, वहां एक कोचिंग में इस विषयक कोचिंग लगाई हैं। अब चूंकि कोचिंग का समय सुबह १० से ४ बजे हैं, इसलिए स्कूल डमी कराना पड़ा।  अब स्कूल तो बच्चे को जाना नहीं पड़ता लेकिन निर्धारित फीस उतनी ही देनी पड़ती हैं। इस बारे में कोचिंग सेंटरों ने भी डमी क्लासेज के लिए स्कूलों से टाईअप किया हुआ है। इस तरह लगभग सभी मेडिकल हो या इंजीनियरिंग कोचिंग संस्थान में आज शिक्षा का व्यापार पैसा कमाने का सबसे बड़ा साधन बना हुआ है। शिक्षा की आड़ में यह पैसा कमाने का धंधा शिक्षा व्यवस्था को अंदर ही अंदर दीमक की तरह खोखला करता जा रहा है।  

अमर सिंह

अमर सिंह

https://hindi.shabd.in/wo-bhayanak-raat-amar-singh/book/10107946

29 नवम्बर 2022

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रचनाएँ
कुछ अनसुलझे मुद्दे (दैनन्दिनी माह नवम्बर, 2022)
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इस माह की दैनंदिनी में प्रस्तुत है 5जी तकनीकी के लाभ और प्रभाव। हमारी भारतीय उत्सवधार्मी समाज में तुलसी विवाह की कथा। आधुनिक बदलती शिक्षा प्रणाली के साथ ही देश में व्याप्त कुछ अनसुलझे मुद्दों आरक्षण, भ्रष्टाचार, ऑनर किलिंग, महिला हिंसा, धार्मिक मतभेद, आतंकवाद और प्राकृतिक संसाधनों के दोहन पर विचार मंथन।
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5जी तकनीक : लाभ और प्रभाव

3 नवम्बर 2022
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कम्प्यूटर की तरह ही पीढ़ी-दर-पीढ़ी मोबाइल में निरंतर तकनीकी में पीढ़ीगत सुधार की प्रक्रिया जारी है। पहली पीढ़ी की बाद आज हम पांचवीं पीढ़ी (5जी) प्रौद्योगिकी के दोहन के लिए खुद को तैयार करने में जुटे हैं।

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देवउठनी एकादशी (तुलसी विवाह)

4 नवम्बर 2022
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         हमारे भारतीय समाज में दीपावली के ग्यारह दिन बाद देवउठनी एकादशी (तुलसी विवाह) मनाने की सुदीर्घ परंपरा है।  इस विषय में अलग-अलग क्षेत्रों में इसे मनाये जाने के पीछे अपनी-अपनी मान्यताएं व लोक

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आरक्षण का मुद्दा

9 नवम्बर 2022
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हमारे भारत में आरक्षण के सम्बन्ध में सर्वप्रथम भारतीय संविधान के अनुच्छेद ३४० के अधीन प्रथम आयोग का गठन २९ जनवरी १९५३ को तत्कालीन राष्ट्रपति के आदेश पर "काका कालेकर आयोग" नाम से हुआ।  इस आयोग ने ३० मा

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राष्ट्रीय शिक्षा दिवस

11 नवम्बर 2022
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हमारे देश में 11 सितंबर 2008 को केन्द्र सरकार द्वारा देश के महान स्वतंत्रता सेनानी, विद्वान और प्रख्यात शिक्षाविद् अबुल कलाम आजाद की जयंती को 'राष्ट्रीय शिक्षा दिवस' के रूप में मनाये जाने की घोषणा की

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भ्रष्टाचार : समस्या और निदान

12 नवम्बर 2022
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वर्तमान युग में हमारे देश में अधिकांश लोगों के लिए भ्रष्टाचार सर्वश्रेष्ठ साधन बना हुआ है। भ्रष्ट आचरण का अर्थ ऐसे आचरण और गतिविधि से है, जो आदर्शों, मूल्यों, परम्पराओं, संवैधानिक मान्यताओं और नियम व

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बाल दिवस

14 नवम्बर 2022
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हर वर्ष 14 नवम्बर को वर्तमान भारत के निर्माता पंडित जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिन को बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है। 'बाल दिवस' बाल कल्याण संस्थाओं, सामाजिक संगठनों, केंद्रीय तथा प्रांतीय सरकारोँ क

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मनुष्य की इच्छाऐं कभी खत्म नहीं होती हैं

18 नवम्बर 2022
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सामान्यतः एक मनुष्य को सामान्य जीवन जीने के लिए रोटी, कपडा और मकान की आवश्यकता पड़ती है। जहाँ बहुत से लोगों का जीवन संघर्ष इन्हीं तीन आवश्यकताओं की पूर्ति के इर्द-गिर्द घूमता रहता है। हर मनुष्य की इच्छ

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ऑनर किलिंग

22 नवम्बर 2022
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आज भले ही हम हमारे समाज को बहुत विकसित समझते हैं , लेकिन वास्तव में आज भी कई समाज के परिवार पढ़-लिखने के बाद भी जात-पात, ऊंच-नीच के भेद भाव से ऊपर नहीं उठ पाए हैं।  वे समाज के झूठे दिखावे के चक्कर में

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जैव ईंधन

23 नवम्बर 2022
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अमेरिका, चीन और यूरोपीय संघ के बाद भारत चौथा सबसे बड़ा ऊर्जा खपत वाला देश है। इस ऊर्जा खपत की पूर्ति का महत्वपूर्ण हिस्सा तेल बड़े पैमाने पर आयात पर निर्भर है। विश्व स्तर पर ऊर्जा खपत में भारत की हिस्

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आज प्राकृतिक संसाधनों का दोहन रोकना जरुरी है

24 नवम्बर 2022
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प्रकृति द्वारा मानवों को निःशुल्क प्रदाय की गयी वस्तुओं को हम प्राकृतिक संसाधन कहते हैं। इनमें भूमि, मिट्टी, जल, वन, खनिज, समुद्री साधन, जलवायु, वर्षा आदि प्राकृतिक संसाधन कहलाते हैं। इन्हें मनुष्य अप

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अंतर्राष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस

25 नवम्बर 2022
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माना जाता है कि 25 नवंबर 1960 को डोमिनिक शासक रैफेल टुजिलो की तानाशाही का विरोध करने पर पैट्रिया मर्सिडीज, मारिया अर्जेटीना और एंटोनियो मारिया टेरेसा को शासक द्वारा बेरहमी से मार दिया गया, जिसके बाद 1

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26/11 मुम्बई आतंकी हमले की याद

26 नवम्बर 2022
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14  वर्ष पहले 26 नवंबर 2008 को लश्कर-ए-तैयबा के प्रशिक्षित और भारी हथियारों से लैस दस चरमपंथियों ने मुंबई की दो पाँच सितारा होटलों, एक अस्पताल, रेलवे स्टेशनों और एक यहूदी केंद्र को निशाना बनाकर चार दि

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आपसी धार्मिक सद्भाव जरुरी है

27 नवम्बर 2022
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धर्म को मानव की आत्मा, आध्यात्मिक अवस्थाओं का परीक्षक, निरीक्षक, विद्या और संस्कृति का वाहक माना जाता है, जो जीवन को चलाने वाले श्रेष्ठ सिद्धांतों का समूह है। आधुनिक विचारकों का मत है कि जहाँ विज्ञान

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शिक्षा का बाजारीकरण

28 नवम्बर 2022
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           कभी स्कूल में संस्कृत की पुस्तक में विद्या रुपी धन के महत्ता के बारे गुरूजी एक श्लोक का खूब रट्टवाते थे कि-  "न चौर्यहार्यं न च राजहार्यं न भ्रातृभाज्यं न च भारकारि। व्यये कृते वर्धते एव

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मीडिया की स्वतंत्रता

29 नवम्बर 2022
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प्रिंट मीडिया हो या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया इसे विश्व की वर्तमान स्थिति का दर्पण और लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ माना जाता है। क्योँकि इनके माध्यम से ही हमें देश-विदेश में घटित होने वाली घटनाओं का पता चलता है।

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ये तेरा पैसा-मेरा पैसा

30 नवम्बर 2022
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आज का दैनिक लेखन का टैग है- सरकार और न्यायपालिका।  सभी जानते हैं कि प्रजातंत में जनता द्वारा चुने गए जनप्रतिनिधि सरकार बनाकर चलाते हैं। सरकार व्यवस्थापिका या विधायिका और कार्यपालिका द्वारा क़ानून  निर्

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