14 वर्ष पहले 26 नवंबर 2008 को लश्कर-ए-तैयबा के प्रशिक्षित और भारी हथियारों से लैस दस चरमपंथियों ने मुंबई की दो पाँच सितारा होटलों, एक अस्पताल, रेलवे स्टेशनों और एक यहूदी केंद्र को निशाना बनाकर चार दिन तक हमला कर दिया था। जिससे इन हमलों में 160 से अधिक लोग मारे गए थे। अचानक हुए इस हमले में पहले ही दिन आतंकवाद निरोधक दस्ते के प्रमुख हेमंत करकरे सहित मुंबई पुलिस के कई बड़े अफसरों को अपनी जान गँवानी पड़ी। लियोपोल्ड कैफ़े और छत्रपति शिवाजी टर्मिनस से शुरू हुआ मौत का ये तांडव ताजमहल होटल में जाकर ख़त्म हुआ, जिसमें सुरक्षाकर्मियों को 60 से भी ज़्यादा घंटे लगे और 160 से ज़्यादा लोगों को अपनी अपनी जान गँवानी पडी। इन हमलों का मास्टर माइंड लश्करे-ए-तैयबा का पाकिस्तानी-अमरीकी सदस्य डेविड हेडली था, जिसे अमेरिका की एक अदालत ने वर्ष 2013 में 35 वर्ष की सजा सुना रखी है और वह इन दिनों अमरीका में सजा काट रहा है। डेविड कोलमेन हेडली को दाऊद सैयद गिलानी के नाम से जाना जाता है, जो पाकिस्तान मूल का शिकागो स्थित अमरीकी कारोबारी है। हर वर्ष २६ नवम्बर की तारीख को मुंबईवासी राजनेता और सामाजिक संस्थाएं इन हमलों में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि देते हैं और सारे विश्व में शांति बनाये रखने के लिए ईश्वर के प्रार्थना करते हैं।
आतंकवाद विश्व के किसी भी देश के शांति पथ का सबसे बड़ा रोड़ा है। यह किसी एक देश की नहीं अपितु सम्पूर्ण विश्व के समस्या है। कोई भी एक दिन अकेले अपने दम पर इस समस्या को जड़मूल नष्ट नहीं कर सकता है, इसलिए इसके समाधान हेतु संयुक्त राष्ट्र संघ के सभी देशों को इससे निपटने के लिए हमेशा तत्पर रहने की जरुरत है, ताकि किसी भी देश में आतंकवाद अपने नापाक मंसूबों में कभी कामयाब न हो सके।