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देवउठनी एकादशी (तुलसी विवाह)

4 नवम्बर 2022

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हमारे भारतीय समाज में दीपावली के ग्यारह दिन बाद देवउठनी एकादशी (तुलसी विवाह) मनाने की सुदीर्घ परंपरा है।  इस विषय में अलग-अलग क्षेत्रों में इसे मनाये जाने के पीछे अपनी-अपनी मान्यताएं व लोक कथाएं प्रचलित हैं। मुझे याद है हमारे पहाड़ी प्रदेश में इसे ही दीपावली का त्यौहार माना गया है।  क्योँकि मान्यता है कि भगवान श्रीराम के लंका विजय के बाद अयोध्या वापस आने की खबर सूदूर पहाड़ में निवासरत लोगों को ग्यारह दिन बाद मिली, इसलिए जनमानस ने इस दिन को  दीपोत्सव के रूप में हर्षोल्लास से मनाने का निश्चय किया, जिसे 'इगास' से जाना जाता है। इसके बाद ही यहाँ छोटी दीपावली से लेकर गोवर्धन पूजा तक मनाने की परंपरा है। यहाँ इस दिन लोग दीए जलाते हैं, गौ पूजन के साथ अपने ईष्ट और कुलदेवी-देवता का पूजन हैं। नयी उड़द की दाल के पकौड़े और गैथ की दाल से भरी रोटी बनाते हैं। सूर्यास्त होते ही हर घर के द्वार पर जब ढोल दमाऊ बजता है तो लोग पूजा शुरू करते हैं। पूजा समाप्ति के बाद सब लोग ढोल-दमाऊ के साथ कुलदेवी या देवता के मंदिर जाकर वहां पर नृत्य और चीड़ की राल और बेल से बने भैला (एक तरह की मशाल) से खेलते हैं।   रात के १२ बजते ही सब घरों से इकट्ठा किया सतनाजा (सात अनाज) गांव की चारों दिशा की सीमाओं पर रखा जाता है, जो दिशाबंधनी कहलाती है और मां काली की भेंट होती है। आज बढ़ते बाजारवाद तथा क्षेत्रीय लोगों की उदासीनता और पलायन के कारण यह पर्व धीरे-धीरे लुप्त होने वाले त्यौहारों की श्रेणी में है, जिसे उत्तराखण्ड राज्य सरकार ने इसे राज्य का मुख्य त्यौहार का दर्जा देकर इस अवसर पर सरकारी अवकाश की घोषणा कर इसे विलुप्त होने से बचाने का सराहनीय प्रयास किया है।

          ये तो रही हमारे उत्तराखंड के पहाड़ों की एकादशी 'इगास' की बात। अब जरा शहर में मनाये जाने वाले देवउठनी एकादशी (तुलसी विवाह) की ओर रुख करते हैं।  दीपावली के ११वें  दिन देवउठनी एकादशी को 'तुलसी विवाह' के रूप में मनाए जाने की परंपरा है। इस विषय में हमारे धार्मिक ग्रंथों में मान्यता है कि  तुलसी (पौधा) पूर्व जन्म में एक वृंदा नाम की लड़की थी, जिसका जन्म राक्षस कुल में हुआ था।  वह बचपन से ही भगवान विष्णु की भक्त थी। जो बड़े प्रेम और भक्ति भाव से भगवान की पूजा-अर्चना किया करती थी। बड़ी होने पर उसके माता-पिता ने उसका विवाह राक्षस कुल के दानवराज, जो समुद्र से उत्पन्न हुआ था, जलंधर से कर दिया। वह बड़ी ही पतिव्रता और पति की सेवा करने वाली स्त्री थी। एक बार जब देवताओं और दानवों में युद्ध हुआ तब जलंधर के युद्ध पर जाते समय उसने जलंधर से कहा कि वह तब उनकी विजय के लिए पूजा-अनुष्ठान करती रहेगी, जब तक वे वापस नहीं आ जाते। उसके पूजा-अनुष्ठान के प्रभाव से देवता जलंधर को पराजित नहीं कर पाए तो वे वे विवश होकर विष्णु जी के पास गये और उन्होंने भगवान से प्रार्थना की, जिस पर भगवान श्रीहरि ने उन्हें कहा  कि वृंदा उनकी परम भक्त है, इसलिए वे साथ छल नहीं कर सकते हैं।  लेकिन जब देवताओं ने उनसे बार-बार कोई दूसरा उपाय के लिए विनय की तो वे  जलंधर का ही रूप धारण कर वृंदा के महल में पँहुच गये। जिन्हें अपना पति समझ वृंदा पूजा छोड़कर उठ खड़ी हुए और उसने जैसे ही उनके चरण छुए उनका संकल्प टूट गया, जिससे युद्ध में देवताओ ने जलंधर को मारकर उसका सिर धड़ से अलग कर दिया, जो वृंदा के महल में उसके सामने गिरा तो वह समझ गयी कि उनके साथ छल हुआ है।  उन्होंने जब जलंधर के रूप धारण किये नारायण से इस विषय में पूछा तो वे मौन रहे, जिस पर वृंदा ने भगवान को पत्थर बनने का श्राप दे दिया, जिससे वे पत्थर के हो गये। यह देखकर जब देवत और माँ लक्ष्मी जी विलाप करने लगी तो वृंदा ने अपने सतीत्व के बल पर अपने पति का सिर अपने हाथों में लेकर अपने को भस्म कर दिया। उसके भस्म होते ही उसकी राख से एक पौधा निकला, जिसे तब भगवान विष्णु जी ने तुलसी नाम दिया है और अपने पत्थर बने रूप को शालिग्राम कहते हुए यह कहते हुए कि आज से तुलसी जी के साथ ही उनकी पूजा की जाएगी और वे बिना तुलसी जी के भोग स्वीकार नहीं करेंगे। मान्यता है कि तभी से तुलसी जी कि पूजा के साथ ही उनका विवाह शालिग्राम जी के साथ कार्तिक मास में किये जाने की परंपरा चली आ रही है, जिसे देव-उठावनी एकादशी (तुलसी विवाह) के रूप में मनाया जाता है !

           हमारे हिंदू धर्म ग्रंथों में कार्तिक शुक्ल एकादशी को देव जागरण, देवउठनी ग्यारस या देव प्रबोधिनी एकादशी पर्व माना गया है। इसी दिन से श्रीहरि भगवान विष्णु के अपनी चार माह की योगनिद्रा से जागने पर मांगलिक कार्यों का शुभारंभ होता है। पदम पुराण में देवोत्थान एकादशी व्रत के फल को बुद्धिमान,शांति प्रदाता व संततिदायक बताते हुए एक हज़ार अश्वमेघ यज्ञ और सौ राजसूय यज्ञ के बराबर माना गया है। इसलिए इस दिन विष्णु स्तुति,शालिग्राम व तुलसी महिमा का पाठ व व्रत रखते हुए भक्तगण भगवान श्रीहरि विष्णु को जगाने के लिए इन मंत्रों का उच्चारण करते हैं - 

"उत्तिष्ठ गोविन्द त्यज निद्रां जगत्पतये। 

त्वयि सुप्ते जगन्नाथ जगत् सुप्तं भवेदिदम्॥ 

उत्थिते चेष्टते सर्वमुत्तिष्ठोत्तिष्ठ माधव। 

गतामेघा वियच्चैव निर्मलं निर्मलादिशः॥ 

शारदानि च पुष्पाणि गृहाण मम केशव।" 

Pragya pandey

Pragya pandey

बहुत सुंदर प्रसंग का वर्णन किया हैं 👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻

4 नवम्बर 2022

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रचनाएँ
कुछ अनसुलझे मुद्दे (दैनन्दिनी माह नवम्बर, 2022)
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इस माह की दैनंदिनी में प्रस्तुत है 5जी तकनीकी के लाभ और प्रभाव। हमारी भारतीय उत्सवधार्मी समाज में तुलसी विवाह की कथा। आधुनिक बदलती शिक्षा प्रणाली के साथ ही देश में व्याप्त कुछ अनसुलझे मुद्दों आरक्षण, भ्रष्टाचार, ऑनर किलिंग, महिला हिंसा, धार्मिक मतभेद, आतंकवाद और प्राकृतिक संसाधनों के दोहन पर विचार मंथन।
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5जी तकनीक : लाभ और प्रभाव

3 नवम्बर 2022
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कम्प्यूटर की तरह ही पीढ़ी-दर-पीढ़ी मोबाइल में निरंतर तकनीकी में पीढ़ीगत सुधार की प्रक्रिया जारी है। पहली पीढ़ी की बाद आज हम पांचवीं पीढ़ी (5जी) प्रौद्योगिकी के दोहन के लिए खुद को तैयार करने में जुटे हैं।

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देवउठनी एकादशी (तुलसी विवाह)

4 नवम्बर 2022
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         हमारे भारतीय समाज में दीपावली के ग्यारह दिन बाद देवउठनी एकादशी (तुलसी विवाह) मनाने की सुदीर्घ परंपरा है।  इस विषय में अलग-अलग क्षेत्रों में इसे मनाये जाने के पीछे अपनी-अपनी मान्यताएं व लोक

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आरक्षण का मुद्दा

9 नवम्बर 2022
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हमारे भारत में आरक्षण के सम्बन्ध में सर्वप्रथम भारतीय संविधान के अनुच्छेद ३४० के अधीन प्रथम आयोग का गठन २९ जनवरी १९५३ को तत्कालीन राष्ट्रपति के आदेश पर "काका कालेकर आयोग" नाम से हुआ।  इस आयोग ने ३० मा

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राष्ट्रीय शिक्षा दिवस

11 नवम्बर 2022
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हमारे देश में 11 सितंबर 2008 को केन्द्र सरकार द्वारा देश के महान स्वतंत्रता सेनानी, विद्वान और प्रख्यात शिक्षाविद् अबुल कलाम आजाद की जयंती को 'राष्ट्रीय शिक्षा दिवस' के रूप में मनाये जाने की घोषणा की

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भ्रष्टाचार : समस्या और निदान

12 नवम्बर 2022
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वर्तमान युग में हमारे देश में अधिकांश लोगों के लिए भ्रष्टाचार सर्वश्रेष्ठ साधन बना हुआ है। भ्रष्ट आचरण का अर्थ ऐसे आचरण और गतिविधि से है, जो आदर्शों, मूल्यों, परम्पराओं, संवैधानिक मान्यताओं और नियम व

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बाल दिवस

14 नवम्बर 2022
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हर वर्ष 14 नवम्बर को वर्तमान भारत के निर्माता पंडित जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिन को बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है। 'बाल दिवस' बाल कल्याण संस्थाओं, सामाजिक संगठनों, केंद्रीय तथा प्रांतीय सरकारोँ क

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मनुष्य की इच्छाऐं कभी खत्म नहीं होती हैं

18 नवम्बर 2022
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सामान्यतः एक मनुष्य को सामान्य जीवन जीने के लिए रोटी, कपडा और मकान की आवश्यकता पड़ती है। जहाँ बहुत से लोगों का जीवन संघर्ष इन्हीं तीन आवश्यकताओं की पूर्ति के इर्द-गिर्द घूमता रहता है। हर मनुष्य की इच्छ

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ऑनर किलिंग

22 नवम्बर 2022
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आज भले ही हम हमारे समाज को बहुत विकसित समझते हैं , लेकिन वास्तव में आज भी कई समाज के परिवार पढ़-लिखने के बाद भी जात-पात, ऊंच-नीच के भेद भाव से ऊपर नहीं उठ पाए हैं।  वे समाज के झूठे दिखावे के चक्कर में

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जैव ईंधन

23 नवम्बर 2022
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अमेरिका, चीन और यूरोपीय संघ के बाद भारत चौथा सबसे बड़ा ऊर्जा खपत वाला देश है। इस ऊर्जा खपत की पूर्ति का महत्वपूर्ण हिस्सा तेल बड़े पैमाने पर आयात पर निर्भर है। विश्व स्तर पर ऊर्जा खपत में भारत की हिस्

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आज प्राकृतिक संसाधनों का दोहन रोकना जरुरी है

24 नवम्बर 2022
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प्रकृति द्वारा मानवों को निःशुल्क प्रदाय की गयी वस्तुओं को हम प्राकृतिक संसाधन कहते हैं। इनमें भूमि, मिट्टी, जल, वन, खनिज, समुद्री साधन, जलवायु, वर्षा आदि प्राकृतिक संसाधन कहलाते हैं। इन्हें मनुष्य अप

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अंतर्राष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस

25 नवम्बर 2022
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माना जाता है कि 25 नवंबर 1960 को डोमिनिक शासक रैफेल टुजिलो की तानाशाही का विरोध करने पर पैट्रिया मर्सिडीज, मारिया अर्जेटीना और एंटोनियो मारिया टेरेसा को शासक द्वारा बेरहमी से मार दिया गया, जिसके बाद 1

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26/11 मुम्बई आतंकी हमले की याद

26 नवम्बर 2022
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14  वर्ष पहले 26 नवंबर 2008 को लश्कर-ए-तैयबा के प्रशिक्षित और भारी हथियारों से लैस दस चरमपंथियों ने मुंबई की दो पाँच सितारा होटलों, एक अस्पताल, रेलवे स्टेशनों और एक यहूदी केंद्र को निशाना बनाकर चार दि

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आपसी धार्मिक सद्भाव जरुरी है

27 नवम्बर 2022
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धर्म को मानव की आत्मा, आध्यात्मिक अवस्थाओं का परीक्षक, निरीक्षक, विद्या और संस्कृति का वाहक माना जाता है, जो जीवन को चलाने वाले श्रेष्ठ सिद्धांतों का समूह है। आधुनिक विचारकों का मत है कि जहाँ विज्ञान

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शिक्षा का बाजारीकरण

28 नवम्बर 2022
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           कभी स्कूल में संस्कृत की पुस्तक में विद्या रुपी धन के महत्ता के बारे गुरूजी एक श्लोक का खूब रट्टवाते थे कि-  "न चौर्यहार्यं न च राजहार्यं न भ्रातृभाज्यं न च भारकारि। व्यये कृते वर्धते एव

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मीडिया की स्वतंत्रता

29 नवम्बर 2022
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प्रिंट मीडिया हो या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया इसे विश्व की वर्तमान स्थिति का दर्पण और लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ माना जाता है। क्योँकि इनके माध्यम से ही हमें देश-विदेश में घटित होने वाली घटनाओं का पता चलता है।

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ये तेरा पैसा-मेरा पैसा

30 नवम्बर 2022
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आज का दैनिक लेखन का टैग है- सरकार और न्यायपालिका।  सभी जानते हैं कि प्रजातंत में जनता द्वारा चुने गए जनप्रतिनिधि सरकार बनाकर चलाते हैं। सरकार व्यवस्थापिका या विधायिका और कार्यपालिका द्वारा क़ानून  निर्

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