प्रिंट मीडिया हो या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया इसे विश्व की वर्तमान स्थिति का दर्पण और लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ माना जाता है। क्योँकि इनके माध्यम से ही हमें देश-विदेश में घटित होने वाली घटनाओं का पता चलता है। ये सूचना प्राप्ति और ज्ञानवर्धन के सबसे सस्ते विश्वनीय साधन होते हैं। इनके माध्यम से ही हमें जीवन जगत की अद्यतन जानकारी मिलती हैं। मीडिया के माध्यम से ही सामाजिक, धार्मिक, राजनीतिक, पारिवारिक, आर्थिक, व्यापारिक, वैज्ञानिक, साहित्यिक आदि जन जागरण संभव होता है।
एक स्वतंत्र मीडिया ही जनप्रतिनिधियों को जनता के प्रति जबाबदेह बनाता है। वही राजनैतिक, बेईमानी, प्रशासनिक शिथिलता, भ्रष्टाचरण एवं झूठे आश्वासनों और जनता के अहितकर षड्यंत्रों का पर्दाफाश करता है। वही सरकार की सफलताओं या विफलताओं के बारे में जनता को सूचित करने का काम करती हैं। वही जनता की आवाज बनकर उनकी आवश्यकताओं और इच्छाओं को सरकार तक तक पहुँचाती है। वही जनता के दुःख दर्द से अनजान सत्ता की नींद हराम करती हैं। वही शासन-प्रशासन में बैठे नेताओं, अधिकारियों की कार्यशैली को धारदार बनाती है और उन्हें कर्तव्य के प्रति ईमानदार रहने के लिए बाध्य करते हैं। एक स्वत्रंत मीडिया ही सामाजिक और धार्मिक कुरीतियों से पर्दा उठाकर जनता को सही राह दिखाती हैं।
आधुनिक समय में मीडिया की स्वतंत्रता पर कई प्रश्नचिन्ह लगते हैं। इन्हें बिकाऊ समझा जाता है। सत्ताधारी पार्टी के इशारों पर नाचने वाला कहा जाता है। आज पेड न्यूज़: भ्रष्टाचार-पेड न्यूज़, एडवर्टोरियल और फेक न्यूज़ स्वतंत्र और निष्पक्ष मीडिया के लिये खतरा बने हुए हैं। आज मीडिया पर सरकार का दबाव बताते हुए लोगों को कहते-सुनते हैं कि कोई भी समाचार हो या खबर वह शासन-प्रशासन द्वारा नियंत्रित रहती हैं।