आज भले ही हम हमारे समाज को बहुत विकसित समझते हैं , लेकिन वास्तव में आज भी कई समाज के परिवार पढ़-लिखने के बाद भी जात-पात, ऊंच-नीच के भेद भाव से ऊपर नहीं उठ पाए हैं। वे समाज के झूठे दिखावे के चक्कर में पड़कर उसे अपना सम्मान समझ बैठते हैं और जब ऐसे परिवार का लड़का या लड़की अपनी जाति बिरादरी, हैसियत से बाहर विवाह कर लेता है तो फिर ऐसे लोग इसे अपनी प्रतिष्ठा पर बट्टा समझकर मझकर उन्हें जान से मारने की धमकी ही नहीं जान से भी मारने से पीछे नहीं हटते हैं। ऐसे में यह ऑनर किलिंग दो प्राणी ही नहीं अपितु दो परिवारों के टूटने, बिखरने तथा आपसी दुश्मनी की ऐसी जड़ बन जाती है तो वर्षों वर्ष तक जिन्दा रहती है। ऑनर किलिंग का कारण सामाजिक सोच और दृष्टिकोण है। अपने समाज या जात-बिरादरी के वैवाहिक संबंध को जब बहुत से परिवार के लोग अस्वीकार कर उसे अपने सम्मान का विषय बन लेते हैं, तो वे इसे रोकने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हो जाते हैं। आज भी हमारे कई समाज में पुरुष से महिलाओं को कम समझा जाता है। ऐसे समाज में यदि किसी महिला का शादी के बाद कोई पुरुष अपहरण, जबरदस्ती या दबाव या झांसे में लाकर उससे सम्बन्ध बना देता है तो इसके लिए सारा दोष महिला पर मढ़ दिया जाता है और इसे परिवार के लोग अपनी प्रतिष्ठा पर बट्टा मानकर उसकी हत्या कर दी जाती है।
आज भी जाति व्यवस्था का हमारा भारतीय समाज बहुत हद तक पालन करना अपना धर्म समझता है। इसके लिए समाज में विभिन्न प्रकार की जातियाँ एवं उपजातियाँ बनी हैं। जहाँ कई समाज में जातिगत बन्धन बहुत ही कठोरता से लागू किये जाते हैं। यदि कोई व्यक्ति अपनी जाति या धर्म से बाहर विवाह अथवा प्यार करता है तो उसे दोषी मान लिया जाता है, जो ऑनर किलिंग का कारण बनता है। इसमें गोत्र के भीतर विवाह नही करना भी आता है, क्योंकि धर्मशास्त्र के अनुसार इसमें भाई-बहन का संबंध माना जाता है। यदि कोई गोत्र के भीतर शादी करता है तो इसे भी प्रतिष्ठा पर आंच माना जाता है, जो ऑनर किलिंग का कारण बनता है। विवाह पूर्व यदि कोई लड़की गर्भधारण कर लेती है तो इसे नैतिक पतन के रूप में देखा जाता है और इसे कुत्सित कृत्य मानकर परिवार के सम्मान से जोड़कर देखा जाता है, जो ऑनर किलिंग का कारण बनता है।
ऑनर किलिंग आज के समय में बहुत देखने-सुनने को मिलता है, क्योंकि आज इंटरनेट का जमाना है। सोशल होते गांव-शहर के लोगों के कारण खबरे पलक झपकते ही दुनियाभर में फ़ैल जाती हैं। ऑनर किलिंग पहले भी होते थे लेकिन तब इंटरनेट नहीं है इसलिए इसकी जानकारी गांव में ही दबकर रह जाती थी, बाहर नहीं निकलती थी। आज इतने व्यापक सूचना क्रांति और पढ़े लिखे सभ्य समाज होने के बाद और भारतीय संविधान में कठोर कानून जिसमें धर्म, जाति, लिंग अथवा जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव नहीं करने, किसी भी व्यक्ति को जीवन जीने की स्वतन्त्रता अथवा व्यक्तिगत स्वतंत्रता से वंचित नहीं करने, सभी व्यक्ति को समाज में सम्मानजनक जीवन जीने का अधिकार मिलने और उसे सामाजिक प्रतिष्ठा अथवा पिछड़ेपन या अन्य किसी कारण से होने वाले अपराध से संरक्षण दिए जाने प्रावधान के बावजूद भी ऑनर किलिंग की घटनाएं सभ्य कहें जाने वाले समाज के माथे पर कलंक हैं।