shabd-logo

राष्ट्रीय शिक्षा दिवस

11 नवम्बर 2022

29 बार देखा गया 29

हमारे देश में 11 सितंबर 2008 को केन्द्र सरकार द्वारा देश के महान स्वतंत्रता सेनानी, विद्वान और प्रख्यात शिक्षाविद् अबुल कलाम आजाद की जयंती को 'राष्ट्रीय शिक्षा दिवस' के रूप में मनाये जाने की घोषणा की गई। इस घोषणा के बाद तब से निरंतर हर वर्ष 11 नवंबर को उनकी जयंती को 'राष्ट्रीय शिक्षा दिवस' के रूप में मनाया जाता है। वे स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री रहे हैं, जिन्होंने राष्ट्र निर्माण और देश के विकास में एक सुदृढ़ शिक्षा पद्धति का शुभारंभ किया। आज राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के दिन उनके वैज्ञानिक शिक्षा प्रोत्साहन, कई विश्वविद्यालयों की स्थापना, उच्च शिक्षा और खोज प्रोत्साहन, स्वाधीनता संग्राम और   सामाजिक समरसता के क्षेत्र में किये गए विशेष योगदान को याद किया जाता है। 

भारत रत्न मौलाना अबुल कलाम आजाद का जन्म 11 नवंबर, 1888 को मक्का में हुआ था, जो अब सऊदी अरब में है। उनका असली नाम सैय्यद गुलाम मुहियुद्दीन अहमद बिन खैरुद्दीन अल हुसैनी था, जो बाद में मौलाना अबुल कलाम आजाद के नाम से प्रसिद्ध हुए। उन्होंने हिन्दू-मुस्लिम एकता का समर्थन किया और सांप्रदायिकता पर आधारित देश के विभाजन का विरोध किया। उनकी मृत्यु- 22 फ़रवरी, 1958 को हुई, जिन्हें वर्ष 1992 में मरणोपरांत देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया। 

मौलाना आज़ाद अपने समय के धर्म के एक महान् विद्वान् होने के साथ ही एक विद्वान, पत्रकार, लेखक, कवि, दार्शनिक थे। वे महात्मा गांधी की तरह ही भारत की भिन्न-भिन्न जातियों के बीच, विशेष तौर पर हिन्दुओं और मुसलमानों के बीच एकता के लिए कार्य करने वाले कुछ महान् लोगों में से एक थे। उन्होंने जीवनभर ब्रिटिश सरकार और हमारे राष्ट्र की एकता के विरोधियों का सामना किया। उन्होंने काहिरा के 'अल अज़हर विश्वविद्यालय' से धर्म विज्ञान की शिक्षा प्राप्त की, जो उनके गम्भीर और गहन ज्ञान का आधार बनी। उनके द्वारा कोलकाता से 'लिसान-उल-सिद' नामक पत्रिका का प्रारम्भ  किया गया। वे उर्दू के दो महान् आलोचक 'मौलाना शिबली नाओमनी' और 'अल्ताफ हुसैन हाली' से बड़े प्रभावित थे।  आज़ाद को बचपन से ही किताबें पढ़ने का बड़ा शौक था, वे बड़े-बड़े विद्वान् शिक्षकों से अरबी, फ़ारसी, उर्दू और धार्मिक विषयों के साथ-साथ गणित, यूनानी चिकित्सा पद्धति, सुलेखन और दूसरे विषयों की शिक्षा ग्रहण करते थे।  उनकी खेलकूद से अधिक रूचि पढ़ने में रहती थी। इसी सन्दर्भ में एक स्थान में उन्होंने लिखा कि "लोग बचपन खेल-कूद में बिताते हैं, लेकिन मैं बारह-तेरह साल की उम्र में ही किताब लेकर लोगों की नज़रों से बचने के लिए एक कोने में अपने आपको छिपाने की कोशिश करता हूँ। वे  बहुत-सी बातों में अपनी उम्र से बहुत आगे रहे। उन्होंने १२ वर्ष के उम्र में पुस्तकालय, वाचनालय और डिबेटिग सोसाइटी चलाई, १५ वर्ष में अपने से दुगुनी उम्र के विद्यार्थियों को पढ़ाया।  इस उम्र में उन्होंने बहुत-सी पत्रिकाओं का संपादन किया और स्वयं एक उच्च स्तर की पत्रिका निकाली। वे अपनी प्रतिभा के बलबूते वर्ष 1923 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सबसे युवा प्रमुख बने।  

अबुल कलाम आजाद ने स्वतंत्र भारत के शिक्षा मंत्री बनने के बाद नि:शुल्क शिक्षा, भारतीय शिक्षा पद्धति, उच्च शिक्षा संस्थानों की स्थापना करने में अहम भूमिका निभाई। भारत में शिक्षा क्षेत्र में क्रांतिकारी 'भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान' अर्थात् 'आई.आई.टी. और 'विश्वविद्यालय अनुदान आयोग' की स्थापना का श्रेय उन्हें ही जाता है।  वे संपूर्ण भारत में 10+2+3 की समान शिक्षा संरचना के पक्षधर रहे। उन्होंने शिक्षा और संस्कृति को विकसित करने के लिए उत्कृष्ट संस्थानों की स्थापना की, जिसमें संगीत नाटक अकादमी, साहित्य अकादमी और ललित कला अकादमी की स्थापना किया जाना भी है। उन्होंने 14 वर्ष तक की आयु के सभी बच्चों के लिए नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा, कन्याओं की शिक्षा, व्यावसायिक प्रशिक्षण, कृषि शिक्षा और तकनीकी शिक्षा जैसे सुधारों के लिए निरंतर कार्य किया।  उन्होंने ही सर्वप्रथम भारतीय विश्वविद्यालयों में मानकों के अनुरक्षण के लिए संसद के एक अधिनियम द्वारा 'विश्वविद्यालय अनुदान आयोग' (यूजीसी) की स्थापना की। तकनीकी शिक्षा के मामले में 1951 में अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद, खड़गपुर की स्थापना की गई, जिसके बाद आज श्रृंखलाबध्द रूप में मुम्बई, चेन्नई, कानपुर और दिल्ली में आई.आई.टी. की स्थापना की गई।

Pragya pandey

Pragya pandey

बेहतरीन रचना 👌🏻👌🏻👌🏻🙏🙏

12 नवम्बर 2022

Dharmendra Kumar manjhi

Dharmendra Kumar manjhi

बहुत अच्छी जानकारी

11 नवम्बर 2022

16
रचनाएँ
कुछ अनसुलझे मुद्दे (दैनन्दिनी माह नवम्बर, 2022)
0.0
इस माह की दैनंदिनी में प्रस्तुत है 5जी तकनीकी के लाभ और प्रभाव। हमारी भारतीय उत्सवधार्मी समाज में तुलसी विवाह की कथा। आधुनिक बदलती शिक्षा प्रणाली के साथ ही देश में व्याप्त कुछ अनसुलझे मुद्दों आरक्षण, भ्रष्टाचार, ऑनर किलिंग, महिला हिंसा, धार्मिक मतभेद, आतंकवाद और प्राकृतिक संसाधनों के दोहन पर विचार मंथन।
1

5जी तकनीक : लाभ और प्रभाव

3 नवम्बर 2022
5
9
1

कम्प्यूटर की तरह ही पीढ़ी-दर-पीढ़ी मोबाइल में निरंतर तकनीकी में पीढ़ीगत सुधार की प्रक्रिया जारी है। पहली पीढ़ी की बाद आज हम पांचवीं पीढ़ी (5जी) प्रौद्योगिकी के दोहन के लिए खुद को तैयार करने में जुटे हैं।

2

देवउठनी एकादशी (तुलसी विवाह)

4 नवम्बर 2022
3
8
1

         हमारे भारतीय समाज में दीपावली के ग्यारह दिन बाद देवउठनी एकादशी (तुलसी विवाह) मनाने की सुदीर्घ परंपरा है।  इस विषय में अलग-अलग क्षेत्रों में इसे मनाये जाने के पीछे अपनी-अपनी मान्यताएं व लोक

3

आरक्षण का मुद्दा

9 नवम्बर 2022
3
9
0

हमारे भारत में आरक्षण के सम्बन्ध में सर्वप्रथम भारतीय संविधान के अनुच्छेद ३४० के अधीन प्रथम आयोग का गठन २९ जनवरी १९५३ को तत्कालीन राष्ट्रपति के आदेश पर "काका कालेकर आयोग" नाम से हुआ।  इस आयोग ने ३० मा

4

राष्ट्रीय शिक्षा दिवस

11 नवम्बर 2022
3
6
2

हमारे देश में 11 सितंबर 2008 को केन्द्र सरकार द्वारा देश के महान स्वतंत्रता सेनानी, विद्वान और प्रख्यात शिक्षाविद् अबुल कलाम आजाद की जयंती को 'राष्ट्रीय शिक्षा दिवस' के रूप में मनाये जाने की घोषणा की

5

भ्रष्टाचार : समस्या और निदान

12 नवम्बर 2022
2
3
0

वर्तमान युग में हमारे देश में अधिकांश लोगों के लिए भ्रष्टाचार सर्वश्रेष्ठ साधन बना हुआ है। भ्रष्ट आचरण का अर्थ ऐसे आचरण और गतिविधि से है, जो आदर्शों, मूल्यों, परम्पराओं, संवैधानिक मान्यताओं और नियम व

6

बाल दिवस

14 नवम्बर 2022
3
8
0

हर वर्ष 14 नवम्बर को वर्तमान भारत के निर्माता पंडित जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिन को बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है। 'बाल दिवस' बाल कल्याण संस्थाओं, सामाजिक संगठनों, केंद्रीय तथा प्रांतीय सरकारोँ क

7

मनुष्य की इच्छाऐं कभी खत्म नहीं होती हैं

18 नवम्बर 2022
4
6
0

सामान्यतः एक मनुष्य को सामान्य जीवन जीने के लिए रोटी, कपडा और मकान की आवश्यकता पड़ती है। जहाँ बहुत से लोगों का जीवन संघर्ष इन्हीं तीन आवश्यकताओं की पूर्ति के इर्द-गिर्द घूमता रहता है। हर मनुष्य की इच्छ

8

ऑनर किलिंग

22 नवम्बर 2022
0
2
0

आज भले ही हम हमारे समाज को बहुत विकसित समझते हैं , लेकिन वास्तव में आज भी कई समाज के परिवार पढ़-लिखने के बाद भी जात-पात, ऊंच-नीच के भेद भाव से ऊपर नहीं उठ पाए हैं।  वे समाज के झूठे दिखावे के चक्कर में

9

जैव ईंधन

23 नवम्बर 2022
1
4
0

अमेरिका, चीन और यूरोपीय संघ के बाद भारत चौथा सबसे बड़ा ऊर्जा खपत वाला देश है। इस ऊर्जा खपत की पूर्ति का महत्वपूर्ण हिस्सा तेल बड़े पैमाने पर आयात पर निर्भर है। विश्व स्तर पर ऊर्जा खपत में भारत की हिस्

10

आज प्राकृतिक संसाधनों का दोहन रोकना जरुरी है

24 नवम्बर 2022
0
3
0

प्रकृति द्वारा मानवों को निःशुल्क प्रदाय की गयी वस्तुओं को हम प्राकृतिक संसाधन कहते हैं। इनमें भूमि, मिट्टी, जल, वन, खनिज, समुद्री साधन, जलवायु, वर्षा आदि प्राकृतिक संसाधन कहलाते हैं। इन्हें मनुष्य अप

11

अंतर्राष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस

25 नवम्बर 2022
1
9
0

माना जाता है कि 25 नवंबर 1960 को डोमिनिक शासक रैफेल टुजिलो की तानाशाही का विरोध करने पर पैट्रिया मर्सिडीज, मारिया अर्जेटीना और एंटोनियो मारिया टेरेसा को शासक द्वारा बेरहमी से मार दिया गया, जिसके बाद 1

12

26/11 मुम्बई आतंकी हमले की याद

26 नवम्बर 2022
1
6
0

14  वर्ष पहले 26 नवंबर 2008 को लश्कर-ए-तैयबा के प्रशिक्षित और भारी हथियारों से लैस दस चरमपंथियों ने मुंबई की दो पाँच सितारा होटलों, एक अस्पताल, रेलवे स्टेशनों और एक यहूदी केंद्र को निशाना बनाकर चार दि

13

आपसी धार्मिक सद्भाव जरुरी है

27 नवम्बर 2022
2
7
1

धर्म को मानव की आत्मा, आध्यात्मिक अवस्थाओं का परीक्षक, निरीक्षक, विद्या और संस्कृति का वाहक माना जाता है, जो जीवन को चलाने वाले श्रेष्ठ सिद्धांतों का समूह है। आधुनिक विचारकों का मत है कि जहाँ विज्ञान

14

शिक्षा का बाजारीकरण

28 नवम्बर 2022
1
3
1

           कभी स्कूल में संस्कृत की पुस्तक में विद्या रुपी धन के महत्ता के बारे गुरूजी एक श्लोक का खूब रट्टवाते थे कि-  "न चौर्यहार्यं न च राजहार्यं न भ्रातृभाज्यं न च भारकारि। व्यये कृते वर्धते एव

15

मीडिया की स्वतंत्रता

29 नवम्बर 2022
1
4
0

प्रिंट मीडिया हो या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया इसे विश्व की वर्तमान स्थिति का दर्पण और लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ माना जाता है। क्योँकि इनके माध्यम से ही हमें देश-विदेश में घटित होने वाली घटनाओं का पता चलता है।

16

ये तेरा पैसा-मेरा पैसा

30 नवम्बर 2022
1
5
1

आज का दैनिक लेखन का टैग है- सरकार और न्यायपालिका।  सभी जानते हैं कि प्रजातंत में जनता द्वारा चुने गए जनप्रतिनिधि सरकार बनाकर चलाते हैं। सरकार व्यवस्थापिका या विधायिका और कार्यपालिका द्वारा क़ानून  निर्

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए