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आरक्षण का मुद्दा

9 नवम्बर 2022

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हमारे भारत में आरक्षण के सम्बन्ध में सर्वप्रथम भारतीय संविधान के अनुच्छेद ३४० के अधीन प्रथम आयोग का गठन २९ जनवरी १९५३ को तत्कालीन राष्ट्रपति के आदेश पर "काका कालेकर आयोग" नाम से हुआ।  इस आयोग ने ३० मार्च १९५५ को अपनी रिपोर्ट सरकार के समक्ष प्रस्तुत की, जिसमें उनके द्वारा १८२ प्रश्नों की सूची संलग्न की गई। इस हेतु उनके द्वारा प्रत्यक्ष साक्ष्यों को देश के विभिन्न भागों में जाकर एकत्रित किया गया। पिछड़े वर्गों के उत्थान हेतु   इस आयोग की सिफारिशों में व्यापक संभावनाएं निहित थी।  लेकिन सरकार ने इनकी सिफारिशों में समाज के उचित वर्गीकरण और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों की निष्पक्ष परख और मानदंड के विस्तृत ब्यौरे न होने का उल्लेख करते हुए ख़ारिज कर दिया। इसके बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री ने २१ मार्च १९७९ को वी पी मंडल की अध्यक्षता में "मंडल आयोग" नाम से दूसरा आयोग गठित किया। जिसमें उनके साथ ५ अन्य सदस्य आर आर भोले, दीवान मोहनलाल, एम आर नायक एवं के सुब्रह्मण्यम व्यक्तियोँ को अवैतनिक आधार पर अंशकालिक नियुक्ति दी गयी। मंडल आयोग ने आरक्षण की सिफारिश करते समय विधान के विधिक रूप को भी सामने रखते हुए बताया कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति तथा पिछड़े वर्गों के लिए कुल आरक्षण ५० प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए। भारत सरकार ने १३ अगस्त १९९० को मंडल आयोग की सिफारिशों को इसकी संभावनाओं के ओर ध्यान न देते हुए इसे स्वीकार कर कार्यालय आदेश जारी कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप भयंकर रूप में जनाक्रोश से सरकार की नींद उड़ गई। अनेक राज्यों में प्रदर्शन, जन-विद्रोह के विस्फोट हुए, यहाँ तक कि कई छात्रों ने आत्मदाह करके इतिहास को भी कलंकित कर दिया।  इस  आयोग की ११ सिफारिशों में से ३ प्रमुख सिफारिश सामाजिक, शैक्षिक और आर्थिक पिछड़ापन को सरकार ने स्वीकार कर लिया। जिसमें आरक्षण व्यक्ति की दयनीय आर्थिक स्तर को ध्यान में रखकर जातिगत आधार पर लागू किया गया, जिसके विरोध स्वरूप आज भी देश के कोने-कोने से आवाज उठायी जाती रही है।  

हमारे देश में अनुसूचित जाति, जनजाति एवं पिछड़े वर्ग को आरक्षण देकर उनकी सामाजिक और आर्थिक स्थिति को मजबूत कर उन्हें मुख्य धारा में लाते हुए एक पंक्ति में लाने की थी। जिसमें दलित और पिछड़े वर्ग के बच्चों को प्रत्यक्ष रूप से आर्थिक सहायता देना परोक्ष  रूप से उनके लिए सरकारी नौकरी और चुनाओं में स्थान आरक्षित कर उनकी आर्थिक दशा को सुधारने की रही है।  लेकिन आज आजादी के कई दशक बीत जाने के बाद भी इनकी स्थिति जस के तस बनी है। यदि इस आरक्षण के लाभ पर गहराई से विचार किया जाय तो यह ढोल का पोल ही साबित होगा। इस दिशा में जो रचनात्मक कार्य होने चाहिए थे, वे नगण्य ही है। आर्थिक हो या शैक्षिक स्तर आज भी आरक्षण का लाभ कुछ गिने-चुने लोग ही उठा पाते हैं, बाकी की स्थिति वही ढाक के तीन पात जैसी है। आज देश में सभी वर्ग अपनी-अपनी जातियों के लिए आरक्षण की मांग कर रहे हैं।  अब तो सामान्य वर्ग को भी आर्थिक आधार पर आरक्षण दिया जाने लगा है।  लेकिन इसे यदि वोट बैंक के लिए मुद्दा माना जाय तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। 

आज यदि देश में आरक्षण की आवश्यकता है तो वह आर्थिक रूप से पिछड़े परिवार के योग्य उम्मीदवारों को दिए जाने की होनी चाहिए, जहाँ कोई जाति  बंधन नहीं होना चाहिए। यदि आरक्षण के नाम पर अयोग्य व्यक्तियोँ को आगे लाने का प्रयास किया जाता रहेगा तो इससे प्रतिभावान व्यक्तिर्यों का स्वाभिमान डगमगाएगा और वे निरंतर दूसरे देश में जाने के लिए मजबूर होते रहेंगे। सच्चे अर्थों में देखा जाय तो आरक्षण से किसी का भला नहीं होने वाला है। यदि पिछड़े वर्ग या दलित वर्ग के योग्य उम्मीदवार अपनी योग्यता के बल पर उच्च वर्ग के साथ प्रतिस्पर्धा के साथ आगे बढ़ने का साहस करें तो वे भी डॉ.भीमराव अम्बेडकर जैसे शिखर पुरुष बन सकते हैं, वर्ना वे राजनीतिक कठपुतली बनकर झंडे-डंडे उठाते हुए अपने हाथ-पैर पटकते रहेंगे और इस आरक्षण रुपी नाटक में जीवन भर अपना किरदार निभाते चले जाएंगे।     

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रचनाएँ
कुछ अनसुलझे मुद्दे (दैनन्दिनी माह नवम्बर, 2022)
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इस माह की दैनंदिनी में प्रस्तुत है 5जी तकनीकी के लाभ और प्रभाव। हमारी भारतीय उत्सवधार्मी समाज में तुलसी विवाह की कथा। आधुनिक बदलती शिक्षा प्रणाली के साथ ही देश में व्याप्त कुछ अनसुलझे मुद्दों आरक्षण, भ्रष्टाचार, ऑनर किलिंग, महिला हिंसा, धार्मिक मतभेद, आतंकवाद और प्राकृतिक संसाधनों के दोहन पर विचार मंथन।
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5जी तकनीक : लाभ और प्रभाव

3 नवम्बर 2022
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कम्प्यूटर की तरह ही पीढ़ी-दर-पीढ़ी मोबाइल में निरंतर तकनीकी में पीढ़ीगत सुधार की प्रक्रिया जारी है। पहली पीढ़ी की बाद आज हम पांचवीं पीढ़ी (5जी) प्रौद्योगिकी के दोहन के लिए खुद को तैयार करने में जुटे हैं।

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देवउठनी एकादशी (तुलसी विवाह)

4 नवम्बर 2022
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         हमारे भारतीय समाज में दीपावली के ग्यारह दिन बाद देवउठनी एकादशी (तुलसी विवाह) मनाने की सुदीर्घ परंपरा है।  इस विषय में अलग-अलग क्षेत्रों में इसे मनाये जाने के पीछे अपनी-अपनी मान्यताएं व लोक

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आरक्षण का मुद्दा

9 नवम्बर 2022
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हमारे भारत में आरक्षण के सम्बन्ध में सर्वप्रथम भारतीय संविधान के अनुच्छेद ३४० के अधीन प्रथम आयोग का गठन २९ जनवरी १९५३ को तत्कालीन राष्ट्रपति के आदेश पर "काका कालेकर आयोग" नाम से हुआ।  इस आयोग ने ३० मा

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राष्ट्रीय शिक्षा दिवस

11 नवम्बर 2022
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हमारे देश में 11 सितंबर 2008 को केन्द्र सरकार द्वारा देश के महान स्वतंत्रता सेनानी, विद्वान और प्रख्यात शिक्षाविद् अबुल कलाम आजाद की जयंती को 'राष्ट्रीय शिक्षा दिवस' के रूप में मनाये जाने की घोषणा की

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भ्रष्टाचार : समस्या और निदान

12 नवम्बर 2022
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वर्तमान युग में हमारे देश में अधिकांश लोगों के लिए भ्रष्टाचार सर्वश्रेष्ठ साधन बना हुआ है। भ्रष्ट आचरण का अर्थ ऐसे आचरण और गतिविधि से है, जो आदर्शों, मूल्यों, परम्पराओं, संवैधानिक मान्यताओं और नियम व

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बाल दिवस

14 नवम्बर 2022
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हर वर्ष 14 नवम्बर को वर्तमान भारत के निर्माता पंडित जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिन को बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है। 'बाल दिवस' बाल कल्याण संस्थाओं, सामाजिक संगठनों, केंद्रीय तथा प्रांतीय सरकारोँ क

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मनुष्य की इच्छाऐं कभी खत्म नहीं होती हैं

18 नवम्बर 2022
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सामान्यतः एक मनुष्य को सामान्य जीवन जीने के लिए रोटी, कपडा और मकान की आवश्यकता पड़ती है। जहाँ बहुत से लोगों का जीवन संघर्ष इन्हीं तीन आवश्यकताओं की पूर्ति के इर्द-गिर्द घूमता रहता है। हर मनुष्य की इच्छ

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ऑनर किलिंग

22 नवम्बर 2022
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आज भले ही हम हमारे समाज को बहुत विकसित समझते हैं , लेकिन वास्तव में आज भी कई समाज के परिवार पढ़-लिखने के बाद भी जात-पात, ऊंच-नीच के भेद भाव से ऊपर नहीं उठ पाए हैं।  वे समाज के झूठे दिखावे के चक्कर में

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जैव ईंधन

23 नवम्बर 2022
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अमेरिका, चीन और यूरोपीय संघ के बाद भारत चौथा सबसे बड़ा ऊर्जा खपत वाला देश है। इस ऊर्जा खपत की पूर्ति का महत्वपूर्ण हिस्सा तेल बड़े पैमाने पर आयात पर निर्भर है। विश्व स्तर पर ऊर्जा खपत में भारत की हिस्

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आज प्राकृतिक संसाधनों का दोहन रोकना जरुरी है

24 नवम्बर 2022
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प्रकृति द्वारा मानवों को निःशुल्क प्रदाय की गयी वस्तुओं को हम प्राकृतिक संसाधन कहते हैं। इनमें भूमि, मिट्टी, जल, वन, खनिज, समुद्री साधन, जलवायु, वर्षा आदि प्राकृतिक संसाधन कहलाते हैं। इन्हें मनुष्य अप

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अंतर्राष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस

25 नवम्बर 2022
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माना जाता है कि 25 नवंबर 1960 को डोमिनिक शासक रैफेल टुजिलो की तानाशाही का विरोध करने पर पैट्रिया मर्सिडीज, मारिया अर्जेटीना और एंटोनियो मारिया टेरेसा को शासक द्वारा बेरहमी से मार दिया गया, जिसके बाद 1

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26/11 मुम्बई आतंकी हमले की याद

26 नवम्बर 2022
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14  वर्ष पहले 26 नवंबर 2008 को लश्कर-ए-तैयबा के प्रशिक्षित और भारी हथियारों से लैस दस चरमपंथियों ने मुंबई की दो पाँच सितारा होटलों, एक अस्पताल, रेलवे स्टेशनों और एक यहूदी केंद्र को निशाना बनाकर चार दि

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आपसी धार्मिक सद्भाव जरुरी है

27 नवम्बर 2022
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धर्म को मानव की आत्मा, आध्यात्मिक अवस्थाओं का परीक्षक, निरीक्षक, विद्या और संस्कृति का वाहक माना जाता है, जो जीवन को चलाने वाले श्रेष्ठ सिद्धांतों का समूह है। आधुनिक विचारकों का मत है कि जहाँ विज्ञान

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शिक्षा का बाजारीकरण

28 नवम्बर 2022
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           कभी स्कूल में संस्कृत की पुस्तक में विद्या रुपी धन के महत्ता के बारे गुरूजी एक श्लोक का खूब रट्टवाते थे कि-  "न चौर्यहार्यं न च राजहार्यं न भ्रातृभाज्यं न च भारकारि। व्यये कृते वर्धते एव

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मीडिया की स्वतंत्रता

29 नवम्बर 2022
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प्रिंट मीडिया हो या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया इसे विश्व की वर्तमान स्थिति का दर्पण और लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ माना जाता है। क्योँकि इनके माध्यम से ही हमें देश-विदेश में घटित होने वाली घटनाओं का पता चलता है।

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ये तेरा पैसा-मेरा पैसा

30 नवम्बर 2022
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आज का दैनिक लेखन का टैग है- सरकार और न्यायपालिका।  सभी जानते हैं कि प्रजातंत में जनता द्वारा चुने गए जनप्रतिनिधि सरकार बनाकर चलाते हैं। सरकार व्यवस्थापिका या विधायिका और कार्यपालिका द्वारा क़ानून  निर्

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