"मां मुझे 600 रूपए चाहिए"। स्कूल बस से उतरते हुए अरनव ने श्रद्धा से कहा।
" क्यों चाहिए तुझे 600 रुपए श्रद्धा ने अरनव के बैग ,वाटल लेते हुए पूछा ।
"मैडम ने बोला है। "
"फंक्शन होगा स्कूल में।"
" उस में डांस करना है।" चहकता हुआ अरनव बोला।
"ठीक है मैं पापा से बोल दूंगी ।चल अब जल्दी घर चले" श्रद्धा ने कहा ।
दोनों घर की ओर जाने लगे। पूरे रास्ते अरनव श्रद्धा को बताता जा रहा था कि मैडम ने यह कहा, वह कहा, हम यह करेंगे, ऐसे डांस करेंगे ,वगैरा-वगैरा
अरनव 6 साल का है वह पहली कक्षा में पढ़ता है। श्रद्धा उसे स्कूल बस के स्टाप से लेने जाती है।
और अरनव स्कूल की पूरी दिनचर्या बताता हुआ उछलते हुए घर आता है ।
शाम तो रोज ही आती है लेकिन आज कुछ ज्यादा ही इंतजार करा रही थी। जैसे ही पापा आएंगे उसे 600 रूपय देंगे।
इंतजार था उसे ।कितना खुश था वह और घर की दहलीज पर बैठ गया था।
पापा के आते ही उसने कहा "पापा मुझे 600 रुपए चाहिए ।"
"मैडम ने बोला है ।"
"मैं स्कूल में डांस करूंगा।" एक ही सांस में बोलता गया अरनव
"मुझे अंदर तो आने दे "कहते हुए संजय अंदर आए और श्रद्धा से पूछा "600 रुपए की क्या कहानी है ।"
श्रद्धा ने संजय को पूरी बात बताई।
" यह स्कूल वालों ने तो लूट मचा रखी है। कभी इसके लिए ,कभी उसके लिए। बस पैसे दिए जाओ । पढ़ाई-लिखाई पर ध्यान नहीं देते। बस कभी कुछ तो कभी कुछ ।
"अरे दे देते हैं ना" श्रद्धा ने कहा
"अरे रहने दो कोई जरूरत नहीं है ।मनमानी करते हैं स्कूल वाले।"
"पूरी फीस लेते हैं उसमें यह फंक्शन वगैरह की फीस भी शामिल होती है ।फिर अलग से क्यों ?वह भी 600 रुपए।
"लेकिन सभी देंगे " श्रद्धा ने कहा ।
"अरे सब देंगे तो क्या ?"
"मजबूरी है भाई !! और पैसे वालों को तो कोई फर्क नहीं पड़ता लेकिन मिडिल क्लास फैमिली अपने बच्चों को अच्छे स्कूल में पढ़ाना चाहे तो कैसे पढाए। " संजय ने कहा
श्रद्धा की सारी दलीलें फेल हो गईं । और यह तय हुआ कि स्कूल में 600 रुपए जमा नहीं किए जाएंगे ।
सुनकर अरनव उदास हो गया ।लेकिन बोला कुछ नहीं ।
दो दिन बाद अरनव खेल रहा था। श्रद्धा कुछ काम कर रही थी ।
अरनव बोला "मां 600 रूपए बहुत ज्यादा होते हैं क्या?"
"मैं बड़ा हो जाऊंगा ना तो ऐसी मशीन बनाऊंगा जिसमें से 600 रुपए बन जाए ।"
श्रद्धा स्तंभ रह गई । उसकी आंखें द्रवित हो गईं। वह सोचने लगी कि हम बच्चों की कितनी ही फरमाइशें। कुछ सुनकर कुछ बिना सुनके बेमतलब भी समझकर रिजेक्ट कर देते हैं लेकिन बच्चे कौन सी बात किस तरह से महसूस करेंगे पता नहीं ।और उनके बाल मन पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
श्रद्धा ने सोच लिया कि वह स्कूल में 600 रुपए जमा कराकर अरनव को डांस में भाग दिलाएगी ।उसने स्कूल डायरी में नोट देखा
अरे यह क्या!!.
"फंक्शन तो कल ही है।"
लेकिन उसने सोच लिया था कि वह कल स्कूल जाएगी ।और उसने संजय को पूरी बात बताई । और उन्हें भी मना लिया।
दूसरे दिन अरनव को लेकर वह स्कूल गई। वहां सबसे पहले उसनेे 600 रुपए जमा कराए । मैडम से पूछा कि अरनव की क्लास कहां है ?
उन्होंने बताया और श्रद्धा उस ओर बढ़ गई ।क्लास में पहुंची। मैडम को बोली।
मैडम ने कहा आप बहुत लेट हो गई हैं सारे बच्चे तैयार हैं और अभी मैं उन्हें लेकर स्टेज की तरफ जा रही हूं ।
श्रद्धा ने कहा "कुछ तो हो सकता होगा।"
मैडम ने कुछ सोचते कहा कि मैं बच्चों को लेकर स्टेज पर जा रही हूं जब तक उनके नाम के अनाउंसमेंट हो तब तक जितनी जल्दी हो सके अरनव को तैयार करके उसे ले आइए ।
और मैडम ने श्रद्धा को कपड़े और सामान पकड़ा दिया ।
मैडम बच्चों को लाइन में लगा कर ले जाने लगीं।
श्रद्धा बिना समय गवाएं जल्दी जल्दी अरनव को तैयार करने लगी ।उसने आनन फानन में अरनव को कपड़े पहनाए ।चेहरे पर मेकअप किया ।
और इस समय बस यही सोच रही थी कि कैसे भी करके अरनव उन बच्चों के स्टेज़ पर पहुंचने से पहले तैयार हो जाए।
श्रद्धा ने अरनव को जल्दी जल्दी तैयार किया और उसका हाथ पकड़कर स्टेज की तरफ़ दौड़ लगाई ।
नाम अनाउंसमेंट चुका था। बच्चे स्टेज पर जा रहे थे ।श्रद्धा ने अरनव का हाथ मैडम को पकड़ाया और मैडम ने अरनव को बाकी बच्चों के पीछे स्टेज पर भेज दिया ।
श्रद्धा वहीं थोड़ी देर अरनव को स्टेज़ पर जाते हुए एकटक देखती रही।