हमारे गाँव में एक बावडी है। बडी सी गोलाकार है । पत्थरों से बनी हुई है। नीचे तक सीढियां बनीं हैं।
उसमें जगह जगह कुछ कलाकृतियाँ भी बनीं हैं। बावडी की दीवार पर एक मंदिर नुमा खांचे में मूर्तियाँ उकेरी गई है।
बताते हैं कि जब गाँव बसा था तब बावडी पत्थरों की पटियों से ढंकी थी। पटियों को हटाया गया। तब वहां बावडी नजर आई। जब पटियों को हटाया जा रहा था तब उस मंदिर नुमा खांचे में नाग नागिन का जोडा निकला।गाँव वालों ने हाथ जोड़कर विनती की कि आप यहाँ से चले जाओ हमें पानी की कोई वयवस्था नहीं है। इसी बावडी का पानी पीकर यहीं बस जाऐंगे। सुना है इस प्रार्थना से नाग नागिन चुपचाप वहां से चले गए। उस मंदिर नुमा खांचे में एक मूर्ति भी निकली जिसे गाँव वालों ने बावडी के एक तरफ छोटा सा मंदिर बनाकर स्थापित कर दिया।
पूरा गाँव बावडी से ही पानी भरता था।अब तो उसकी जीर्ण-शीर्ण हालत हो गई है। क्योंकि अब कोई पानी के लिए बावडी पर निर्भर नहीं है। पानी की समुचित व्यवस्थाऐं हो गई है। ट्यूबवेल, हैण्डपंप तो कोई बावडी से पानी खींचने की जहमत क्यूँ उठाए।
गाँव के बुजुर्ग बताते हैं कि बावडी में खजाना छिपा हुआ है। वो नाग नागिन उसी खजाने की रक्षा करने के लिए अभी भी घूमते रहते हैं। कभी कभी किसी को दिखाई देते हैं लेकिन किसी को नुकसान नहीं पहुँचाते हैं।
कुछ लोगों को सपने में खजाना दिखाई देता है। सोने चांदी से भरा हुआ बडी सी कढाई जिसे करा बोलते हैं। इतना खजाना। ।
लेकिन किसी को भी अभी तक कुछ मिला नहीं है। कहते हैं कि जो भी इंसान वहां खुदाई करने की कोशिश करेगा वो अंधा हो जाएगा । शायद इसी डर से किसी ने कोशिश ही नहीं की हो।
तो यह थी रहस्यमयी बावडी की कहानी। जो मैं अक्सर गाँव वालों के मुँह से सुनती रहती थी। आज आपके सामने प्रस्तुत किया है। मैं किसी अंधविश्वास को बढ़ावा नहीं दे रही हूँ। खजाने वाली बात सच है या झूठ नहीं पता।
लेकिन हां बावडी अभी भी वहीं है जीर्ण-शीर्ण हालत में।