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7/9/2022 :- टाइम ट्रैवल

7 सितम्बर 2022

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प्रिय सखी ।
कैसी हो ।हम अच्छे है और मौज से है ।आज ही हमारी एक और किताब ने सौ का आंकड़ा पार कियाहै मतलब वो सौ लोगों के पुस्तकालय में रखी गयी है। किताब का नाम है "मै ओरत हूं .... इसलिए।"
लगातार पाठक संख्या भी बढ़ती जा रही है। बस इसलिए खुश है ।सखी।
अब बात आज के दैनिक विषय की जो है "टाइम ट्रैवल"
बहुत सी ऐसी घटनाएं सुनने को मिलती है कि लोग अपने भविष्य मे और अपने भूतकाल मे घुम कर आये है वो आश्चर्य जनक तरीके से वहां की बातें भी बताते है ।एक लड़का दावा करता है कि वह मंगल ग्रह से आया है । कुछ इसी विषय पर हमने बहुत पहले एक कहानी लिखी थी वो यहां प्रस्तुत है


टीपू को अपने पूर्वजों के गांव से बड़ा ही लगाव था ।शहर आये उसे पांच साल हो चुके थे लेकिन फिर भी साल मे पांच  सात बार वह अपने गांव हो ही आता था।गांव मे उन का पैतृक मकान था।चाचा चाची और उनके बच्चे उसमे रहते थे।बस गांव का मोह ही टीपू को खींच कर बार बार वहाँ ले जाता था। एक बार आफिस की दो तीन छुट्टी पड़ी तो उसने गांव जाने का मन बनाया।वैसे तो गांव शहर से ज्यादा दूर नही था हर बार वह मोटरसाइकिल पर ही गांव जाता था।अब की बार दो तीन छुट्टी होने पर टीपू ने पैदल ही गांव जाने की सोची।सोचा घुमंतू बनकर गांव जा कर चाचा चाची को सरपराईज दूंगा ।वह सुबह मुँह अन्धेरे ही निकल लिया  गांव की ओर।साथ मे खाने पीने का सामान भी ले लिया।वह गुनगुनाते हुए जा रहा था।मौसम बडा सुहाना था।सावन की घटाएँ आसमान पर छाई हुई थी।ठंडी शीतल पवन चल रही थी।टीपू अपनी ही धुन मे अपने रास्ते बढ़ा जा रहा था।अचानक से उसने देखा गांव की ओर जाने वाली पगडंडी पर बहुत सारी धुंध फैल गयी है।टीपू ने सोचा अभी तो रास्ता साफ था ये अचानक धुंध कहाँ से आ गयी।वह थोड़ा ठिठका।लेकिन थोड़ी देर बाद फिर से गांव की ओर चल दिया।पर जैसे जैसे वो गांव की ओर जा रहा था उसे गांव बदला बदला सा लग रहा था ।रास्ते के दोनों तरफ सुन्दर फूलों के पेड़  पौधे लग गये है जहाँ  पहले कूड़े का ढेर पडा रहता था।पगडंडी भी कच्ची की जगह पक्की  हो गयी थी।वह थोड़ा आगे गया तो क्या देखता है गांव मे पक्की पाठशाला बन गयी है।पढ़ने के लिए ही तो उसे गांव से शहर आना पड़ा  था बस फिर पिता जी शहर के ही होकर रह गये।उसका मन अभी भी गांव मे रहने का करता ।उसे बडा अजीब लग रहा था कि अभी महीना पहले तो वह गांव  आया था जब तो कुछ भी नही था।ना पाठशाला, ना पक्की पगडंडी, ना पेड पौधे।ये अचानक से इतना बदलाव कहाँ से आ गया। लेकिन वह चलता रहा।उसे गांव मे भी काफी बदलाव नजर आया।नये मकान  बन गये थे।एक बात टीपू को बड़ी अजीब लग रही थी गांव मे बहुत से अनजाने चेहरे दिखाई दे रहे थे।जिसे उसने पहले कभी नही देखा था।वे लोग भी उसे अजीब नजरों से देख रहे थे।वह जैसे तैसे अपने मकान के सामने पहुंचा और दरवाजा खटखटाया।काफी देर बाद उसमे से एक नौजवान बाहर निकला। टीपू ने आश्चर्य से उसे देखा और बोला,"आप कौन?"वो नौजवान सकपका कर बोला,"ये सवाल तो मुझे आप से पूछना चाहिए कि आप कौन हो और मेरे घर का दरवाज़ा क्यो खटखटा रहे हो।"टीपू को तो जैसे करंट लग रहा था।वो बोला,"भाई यह हमारा पैतृक घर है यहाँ पर मेरे चाचा और उनकी पत्नी व दो बच्चे  चार जन रहते थे।मेरे चाचा जी रामप्रसाद ।अब चौंकने की बारी उस नौजवान की थी वह आश्चर्य मिश्रित शब्दो से बोला," लगता है आप बहुत सालो बाद आये है ।उनको तो गुजरे चालीस साल हो चुके है एक सड़क  हादसे मे दोनो पति पत्नी का देहांत हो गया था और उनके बडे भाई आकर ये मकान हमारे पिताजी को बेच गये थे।राम प्रसाद के दोनो बच्चे तो अब शहर मे अच्छे पदों पर काम कर रहे है।अब टीपू का सिर भनभनाने लगा।वह जिस पांव आया था उसी पांव दौड लिया शहर की ओर सारे रास्ते सोचता रहा ये कैसे हो सकता है चाचा के बच्चे  इतने बड़े कैसे हो गये।और फिर चाचा जी कहाँ गये अभी पिछले महीने तो मिलकर गया था ।सब ठीक था चाचा कितना दुलारे रहे थे।अचानक ये क्या हो गया।पिता जी ने मकान कब बेचा।इसी उधेड़बुन मे टीपू घर पहुँच गया।दौड कर पिता के पास गया और बोला,"पिता जी लगता है चाचा जी से किसी ने मकान हथिया लिया है।कोई और लोग ही मकान मे रह रहे है।कह रहे थे आपने मकान उन्हे बेच दिया है।"पिता जी गुस्से से बोले,"क्या बके जा रहा है,मैने कब मकान बेचा।"किसी अनहोनी के डर से टीपू और उसके पिता मोटरसाइकिल उठाकर गांव की तरफ दौडे।आधे घंटे मे जब टीपू पिता के पीछे बैठा मोटरसाइकिल से उस पगडंडी पर जा रहा था तो क्या देखता हे पगडंडी वैसी ही कच्ची है जैसे एक महीना पहले जब वह गांव आया था। ना कोई पाठशाला, ना पेड पौधें, ना पक्के मकान ।घर के आगे जाकर जब दरवाजा खटखटाया तो चाचा जी ने दरवाजा खोला।अब तो टीपू का बुरा हाल था।ये क्या कल जो मैने देखा वो क्या था।अब तो सब ठीक-ठाक है।पिता ने जलती नजरों से टीपू की और देखा।चाचा ने पूछा,"भाई साहब!अचानक कैसे आना हुआ।"तब पिताजी बोले,"क्या बताऊँ भाई रामे लगता है इस लडके ने सुबह-सुबह ही भंग चढ़ा ली है अनापशनाप बके जा रहा था।और सारी बात बताई ।अब चाचा चाची और उनके बच्चे सब टीपू पर हंस रहे थे।टीपू बेचारा नीची नजरें किये चुपचाप खडा था।दोनों  पिता पुत्र शहर लौट आये।

     इस घटना के दो साल बाद चाचा चाची किसी काम से दुसरे शहर जा रहे थे दुर्घटना मे दोनों की मौत हो गयी।टीपू का दिमाग सायं सायं कर रहा था।क्या वह वास्तव मे टाइम ट्रैवल करके बयालीस साल बाद भविष्य मे चला गया था उस दिन।इन सब बातों का जवाब  भविष्य के गर्भ मे था।

बताना सखी कैसी लगी हमारी टाइम ट्रैवल पर आधारित कहानी।अब चलते है । दूसरों की आलोचना सुनने के अलावा भी बहुत से काम है हमें।अभी एक उपन्यास लिख रही हूं।अब चलती हूं अलविदा।
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रचनाएँ
दैनंदिनी सखी (सितम्बर) 2022
4.5
सितम्बर माह जिसमे पूर्वजों को याद करें गे।उनको श्राद्ध अर्पित करके‌।और बहुत सी बाते होंगी सखी जब हम तुम साथ रहें गे।
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1/9/2022 :-गणेश चतुर्थी

1 सितम्बर 2022
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प्रिय सखी।कैसी हो ।पता है दो दिन मे हमारे साथ क्या कुछ नही घटा।अब तुम से मिल नही सकते थे । क्यों कि हमने डायरी पूर्ण मार्क कर दी थी।सोई इंतजार कर रहे थे कि कब तुम से मुलाकात हो और हम मन की बात तुम्हें

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2/9/2022:- ग्लोबल वार्मिंग

2 सितम्बर 2022
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प्रिय सखी।कैसी हो। हम अच्छे है बस आज के दैनिक प्रतियोगिता के विषय के अनुरूप थोड़ा दिमाग गरम है । आखिरकार पुस्तक लेखन प्रतियोगिता के परिणाम घोषित हो गये ।वही कछुआ खरगोश की कहानी याद आ गयी ।बस अब

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5/9/2022

5 सितम्बर 2022
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प्रिय सखी।कैसी हो।मै अच्छी हूं ‌।कल ही समूह मे शैलेश जी किसी लेखक को प्रतियोगिता का विवरण दे रहे थे।उसमे उन्होंने कहा कि पुस्तक प्रतियोगिता में पेड पुस्तक दोनों ही पहले द्वीतिय स्थान पर आयी है।हमने भी

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6/9/2022:-सोशल मीडिया की ताक़त

6 सितम्बर 2022
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प्रिय सखी।कैसी हो ।हम अच्छे है ।आज एक लेख पढ़ा ।सच मे सखी लेख पढ़ कर हंसी आ गयी।"एक तो चोरी ऊपर से सीना जोरी" यह कहावत उस लेख पर पूरी तरह से फिट बैठती थी।अपने को सच और दूसरे को झूठा साबित करने की होड़

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7/9/2022 :- टाइम ट्रैवल

7 सितम्बर 2022
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प्रिय सखी ।कैसी हो ।हम अच्छे है और मौज से है ।आज ही हमारी एक और किताब ने सौ का आंकड़ा पार कियाहै मतलब वो सौ लोगों के पुस्तकालय में रखी गयी है। किताब का नाम है "मै ओरत हूं .... इसलिए।"लगातार पाठक संख्य

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9/9/2022 :-रेल यात्रा

9 सितम्बर 2022
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प्रिय सखी।कैसी हो ।हम ठीक ही है ।आज घर पर ही है देहली शोप पर नही गये।तबीयत ठीक नही है।कुछ नया उपन्यास लिख रहे है एक मंच पर बस उसी मे व्यस्त रहते है। फ़ालतू का सोचने का समय ही नही लगता।अब अगस्त की पुस्

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11/9/2022:- मानसिक स्वास्थ्य

11 सितम्बर 2022
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प्रिय सखी।कैसी हो।हम ठीक है और अपनी देहली वाली शोप पर बैठे तुम्हें याद कर रहे थे।आज रविवार को सुबह ही सुबह आ गये हम ।कयोकि यहां कपड़ों के व्यापारी सुबह सुबह ही आते है रविवार को। तबीयत नासाज थी लेकिन फ

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13/9/2022:- बचपन की मित्रता

13 सितम्बर 2022
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प्रिय सखी।कैसी हो ।हम अच्छे है । औरों का पता नही हम पूर्णतः स्वस्थ है। हां लोग कोशिश करते है अपनी बीमारी दूसरे पर लादकर उसे बीमार घोषित करने मे लगे रहते है पर जनता और जानकार बेवकूफ नहीं है उन्हें समझ

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16/9/2022:- पितृपक्ष

16 सितम्बर 2022
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प्रिय सखी।कैसी हो। हम अच्छे है ।कल ही पतिदेव की दादी जी का श्राद्ध था।मौसम भी बदल रहा है तुम से गुजारिश अपना ख्याल रखा करो ।आज का विषय:-पितृपक्षजो आजकल चल रहा है अश्विनी मास की कृष्ण पक्ष को पित

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17/9/2022:- नारीवाद

17 सितम्बर 2022
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प्रिय सखी।कैसी हो ।हम अच्छे है और मजे से है ।आजकल देहली शोप पर नही जा रही हूं ।कल बैंक का काम था सोई उसे निपटाते हुए बारह यही बज गये ।फिर देहली गये ही नही। कुछ दिनों से फरीदाबाद में मौसम खराब ही चल रह

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18/9/2022:- अंधविश्वास

18 सितम्बर 2022
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प्रिय सखी।कैसी हो।हम अच्छे है और देहली शोप पर है।आजकल श्राद्ध पक्ष के कारण लोग कपड़ा कम खरीद रहे है इसलिए काम थोड़ा ढीला है ।ये लोगों का अंधविश्वास नही तो और क्या है । क्या हमारे पूर्वज हमे अच्छे कपड़

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19/9/2022:- अंधविश्वास

19 सितम्बर 2022
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प्रिय सखी ।कैसी हो ।मै अच्छी हूं ।अब की बार पुस्तक लेखन प्रतियोगिता में भाग ना लेने का विचार किया है ।बस मन नही करता ऐसे जीत हासिल करने से ।जब फोन वेरिफिकेशन होने लगेगा और रियल पाठक बढ़ेंगे रचनाओं पर

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20/9/2022:-- नारी शक्ति का दुर्पयोग

20 सितम्बर 2022
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हैलो सखी।कैसी हो ।कल रात तो जम कर मेघा बरसे ।बस देहली शोप पर आते समय थोड़ा रास्ते मे दिक्कत होती है जगह जगह जल भराव हो जाता है बाकी जो मौसम मे उमस थी उससे काफी निजात मिली।शोप पर आकर बैठे और मोबाइल खोल

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22/9/2022:- मेरी पहली पढ़ी पुस्तक

22 सितम्बर 2022
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प्रिय सखी। कैसी हो । मै अच्छी हूं । बारिश बहुत हो रही है तीन दिनों से ।बस सारा दिन ऐसे ही बीत जाता है कुछ समय उपन्यास लिखने मे तो कुछ और व्यस्तताएं है ।बस दिन पता ही नही चलता ।हमारी मां कहती है य

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23/9/2022:-- शर्मशार होती इंसानियत

23 सितम्बर 2022
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प्रिय सखी ।कैसी है ।हम अच्छे है और मौसम से दुःखी है । लगातार बरसात हो रही है ।आज तुम्हें पता है दैनिक प्रतियोगिता का विषय बड़ा ही उम्दा है । "शर्मशार होती इंसानियत "सच मे सखी कहां नही है इंसानियत शर्म

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