कैसी हो ।मै अच्छी हूं ।अब की बार पुस्तक लेखन प्रतियोगिता में भाग ना लेने का विचार किया है ।बस मन नही करता ऐसे जीत हासिल करने से ।जब फोन वेरिफिकेशन होने लगेगा और रियल पाठक बढ़ेंगे रचनाओं पर तब ही भाग लेंगे।
कल मैने लिखा था कि जो ये अंधविश्वास फैलता है दरअसल उसकी जड़ मे डर होता है । लेकिन कभी कभार परिस्थितियां इससे उलट भी होती है ।मेरा ये मानना है जहां हम भगवान के वजूद को मानते है वहां हमे शैतान के वजूद को भी मानना चाहिए जैसे इस दुनिया मे अच्छे और बुरे दै तरह के लोग होते है उसी प्रकार भगवान ओर शैतान होते है ।
मैने बहुत से लोगों को देखा है जो कभी कभार उपरी हवा की चपेट मे आ जाते है । डाक्टर के पास लेकर जाओ तो कोई कमी नही होती उनके शरीर मे । लेकिन फिर भी समय बेसमय अजीब हरकते करते है ।
बात बहुत पुरानी थी लेकिन नीलम को आज भी याद है।उसकी हल्दी की रस्म चल रही थी तभी उसे कुछ सामान यआद आ गया।वह हल्दी की रस्म निभाकर बाजार जाने के लिए तैयार हो रही थी तभी दादी ने आंगन मे से आवाज दी,"मेरी बन्नो कहां चल दी?"
"कुछ नही दादी लहंगे के साथ ज्वैलरी मैच नही कर रही है दूसरी देखने जा रही हूं।" नीलम ने फटाफट कह कर चलने को हुई तो दादी एक दम चीख पड़ी,"तेरा दिमाग खराब हो गया है गुडडो। हल्दी लगने के बाद कोई दुल्हन कभी घर से बाहर निकलती देखी है भूत प्रेत पीछे पड़ जाते है।"
नीलम झुंझला पड़ी,"क्या दादी लोग चांद पर पहुंच गये और आप है कि भूत प्रेत को अभी भी मानती है।देखो मां दादी भी क्या बात लेकर बैठ गयी।"
नीलम की मां बोली,"सुन बिटटो। दादी बड़ी है उनको कुछ तजूर्बा है तभी कह रही है । हमारी मां ने तो हमे छत पर भी नही जाने दिया था जब तक शादी ना हो गयी।तू मुझे बता दे तुझे कुछ चाहिए तो मै ला देती हूं नही तो विडियो कालिंग पर तू पसंद कर लेना ज्वैलरी।"
नीलम पैर पटकती हुई अपने कमरे मे चली गयी इतने मे नीरज का फोन उसके मोबाइल पर आ गया।नीरज उसका मंगेतर था।नीलम को गुस्सा तो पहले ही आया हुआ था उसी हालत मे फोन उठाकर उसने नीरज से कहा,"अब आप को क्या कहना है जल्दी कहो मेरा मूड आफ है।"
दूसरी तरफ से आवाज आयी,"मेरी रानी किस बात से खफा है आज।"
तभी नीलम को अपनी गलती का अहसास हुआ और आवाज को शांत करके बोली,"कुछ नही बस दादी की बात से खफा थी लोग चांद पर पहुंच गये है और हमारी दादी अभी भी भूत प्रेत को लेकर बेठी है कह रही हैं कि तुम्हें हल्दी लग गयी अब तुम बाहर नही जा सकती।"
नीरज उसे समझाते हुए बोला,"डियर वो बड़ी है उन्होंने दुनिया देखी है।हो सकता है वो ठीक हो तुम्हें उनकी बात माननी चाहिए।और हां हम शादी के बाद एक हिल स्टेशन पर चलेंगे मैंने नेट पर देखा है वहां ज्यादा लोग नही जाते बड़ा ही सुन्दर है वो प्रकृति की गोद मे समाया हुआ।"
नीलम शरमा गयी बोली,"जैसा आप उचित समझे।"
नीलम की शादी धूमधाम से हो गयी । शादी की रस्में पूरी करने के बाद ही नीलम की पगफेरे की रस्म थी वही के वहीं उन्हें हनीमून के लिए निकलना था पूरे दस दिन का प्रोग्राम था।नीलम के शरीर से अभी भी हल्दी , मेहंदी की खूशबू आ रही थी नीरज तो दीवाना सा हो गया था।पगफेरे से जब नीरज ससुराल से विदा होने लगा तो दादी की चिंता जिसे नीलम दादी पुराण बोलती थी फिर से शुरु हो गयी,"बेटा गुडडो का ख्याल रखना अभी मेहंदी हल्दी छूटी नही है कोई उपरी हवा ना जकड़ ले इसे देर सवेर मत घुमना।"
नीलम फिर से बड़बड़ाने लगी ,"ओहो दादी आप फिर से...."
नीरज ने उसका हाथ दबा दिया और दादी से बोला,"जी दादी मै ध्यान रखूंगा।"
दोनों अपने हनीमून डेस्टिनेशन पर चल दिए।देखते ही देखते दोनों वहां पहुंच गये ।शाम हो चली थी नीरज ने एक गेस्ट हाउस बुक कर रखा था। थकान हो गयी थी दोनों ने कुछ थोड़ा बहुत खाया और सोने चले गये।
सुबह नीलम नीरज को जगाने आयी तो नीरज उसे एकटक देखता रह गया।लाल सुर्ख पटियाला सूट मे लाल चूड़ा,खुले घुटनों तक बाल ।"आह , क्या खूब लग रही हो ।"नीरज ने उसे अपनी ओर खींच लिया पर नीलम फटाफट उठते हुए बोली,"जनाब जल्दी तैयार हो जाओ घुमने नही जाना ।नीरज बेमन से उठा ।वे तैयार होकर घुमने चल दिए छोटा सा हिल स्टेशन था इस लिए एक आध जगह घुम कर वू एक प्रकृति सौंदर्य देखने के लिए एक पहाड़ी पर उगे पेड़ के नीचे बैठ गये।वे वहां थोड़ी ही देर बैठे थे कि मौज मे आकर नीरज ने अपना हाथ नीलम के कंधे पर रख लिया।तभी जैसे नीलम को करंट सा लगा वह जोर से चीखी,"हाथ हटा।"
नीरज को उसका व्यवहार थोड़ा अजीब लगा।वह उसे जैसे तैसे करके गेस्ट हाउस ले आया वे कमरे मे आये तो नीलम पलंग पर जा बैठी नीरज जैसे ही उसके पास बैठा तभी नीलम जोर जोर से चिल्लाने लगी ,"उठ यहां से ,मैने कहां उठ।" शोर सुनकर गेस्ट हाउस के कर्मचारी भी वहां आ गये एक ने उसकी हालत देखकर कहा,"बाबू इसे उपरी हवा ने पकड़ लिया है इसका जल्दी इलाज कराओ नही तो ये मर जाएगी।"
तभी नीलम की मां का फोन आ गया नीरज ने सारी बात बता दी ।नीलम की दादी ने ये बात सुनी तो वो फ़ौरन समझ गयी कि लड़की पर कोई भूत प्रेत आ गया है तुरंत उन्हें वापस आने के लिए कहा।नीरज सुबह ही निकल पड़ा वह सीधा नीलम को लेकर उनके घर चला गया। वहां दादी ने अपने पुरोहित को बुलाकर सारा इंतजाम पहले ही करवा रखा था।नीलम को रस्सी से जकड़ कर पुरोहित के आगे हवनकुंड के सामने बैठा दिया गया जैसे ही नीलम पर गंगाजल छिड़का वह तिलमिला उठी।और मर्दाना आवाज मे बोली,"तू कितनी कोशिश कर ले ये मुझे भा गयी है जब ये पेड़ के नीचे लाल जोड़े मे खुले बालों मे हल्दी और मेहंदी की खूशबू लिए बैठी तो मेरा दिल इस पर आ गया अब मै इसे नही छोड़ूंगा।"
नीलम लगातार मर्दाना आवाज मे बोलती जा रही थी उधर पुरोहित का जप तेज होता जा रहा था बीच बीच मे जब वह गंगाजल छिड़कता तो वह छटपटाने लगती।तभी पुरोहित ने कहा,"इसके बाल बांधों जरा ।"
नीरज जैसे ही बाल बांधने लगा तभी नीलम ने जोर से धक्का दिया नीरज को ।उसका माथा दीवार मे जाकर लगा और खून बहने लगा। पुरोहित ने मंत्रोच्चारण तेज कर दिया तभी एक पतली सी चमकती लो नीलम मे से निकल कर हवनकुंड मे समा गयी।
और नीलम एक ओर लुढ़क गई।जब उसे होश आया तो वो अपने आप को मायके मे देखकर हैरान रह गयी और जब नीरज के माथे से खून निकलता देखा तो घबराकर पूछा,"ये तुम्हें कैसे लगी?"
नीरज ने खिलखिलाते हुए कहा,"तुम्हारे आशिक ने मारा ।"यह कहकर नीरज जो उस दौरान मोबाइल से विडियो बना रहा था वो नीलम को दिखाया।जिसे देखकर नीलम शर्मसार हो गयी और दादी से हाथ जोड़कर माफी मांगने लगी,"दादी मै आप के विश्वास के आगे हार गयी। मुझे माफ कर दो।"
दोनों की आंख मे आंसू थे दादी ने,"मेरी गुडडो"कहकर नीलम का माथा चूम लिया।