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19/9/2022:- अंधविश्वास

19 सितम्बर 2022

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प्रिय सखी ।
कैसी हो ।मै अच्छी हूं ।अब की बार पुस्तक लेखन प्रतियोगिता में भाग ना लेने का विचार किया है ।बस मन नही करता ऐसे जीत हासिल करने से ।जब फोन वेरिफिकेशन होने लगेगा और रियल पाठक बढ़ेंगे रचनाओं पर तब ही भाग लेंगे।
आज भी मुझे लगता है दैनिक प्रतियोगिता का विषय वही है 
"अंधविश्वास"
कल मैने लिखा था कि जो ये अंधविश्वास फैलता है दरअसल उसकी जड़ मे डर होता है । लेकिन कभी कभार परिस्थितियां इससे उलट भी होती है ।मेरा ये मानना है जहां हम भगवान के वजूद को मानते है वहां हमे शैतान के वजूद को भी मानना चाहिए जैसे इस दुनिया मे अच्छे और बुरे दै तरह के लोग होते है उसी प्रकार भगवान ओर शैतान होते है ।
मैने बहुत से लोगों को देखा है जो कभी कभार उपरी हवा की चपेट मे आ जाते है । डाक्टर के पास लेकर जाओ तो कोई कमी नही होती उनके शरीर मे । लेकिन फिर भी समय बेसमय अजीब हरकते करते है ।
मेरी ये कहानी शायद मेरे शब्दों को अच्छे से समझा पाये।


बात बहुत पुरानी थी लेकिन नीलम को आज भी याद है।उसकी हल्दी की रस्म चल रही थी तभी उसे कुछ सामान यआद आ गया।वह हल्दी की रस्म निभाकर बाजार जाने के लिए तैयार हो रही थी तभी दादी ने आंगन मे से आवाज दी,"मेरी बन्नो कहां चल दी?"
"कुछ नही दादी लहंगे के साथ ज्वैलरी मैच नही कर रही है दूसरी देखने जा रही हूं।" नीलम ने फटाफट कह कर चलने को हुई तो दादी एक दम चीख पड़ी,"तेरा दिमाग खराब हो गया है गुडडो। हल्दी लगने के बाद कोई दुल्हन कभी घर से बाहर निकलती देखी है भूत प्रेत पीछे पड़ जाते है।"
नीलम झुंझला पड़ी,"क्या दादी लोग चांद पर पहुंच गये और आप है कि भूत प्रेत को अभी भी मानती है।देखो मां दादी भी क्या बात लेकर बैठ गयी।"
नीलम की मां बोली,"सुन बिटटो। दादी बड़ी है उनको कुछ तजूर्बा है तभी कह रही है । हमारी मां ने तो हमे छत पर भी नही जाने दिया था जब तक शादी ना हो गयी।तू मुझे बता दे तुझे कुछ चाहिए तो मै ला देती हूं नही तो विडियो कालिंग पर तू पसंद कर लेना ज्वैलरी।"
नीलम पैर पटकती हुई अपने कमरे मे चली गयी इतने मे नीरज का फोन उसके मोबाइल पर आ गया।नीरज उसका मंगेतर था।नीलम को गुस्सा तो पहले ही आया हुआ था उसी हालत मे फोन उठाकर उसने नीरज से कहा,"अब आप को क्या कहना है जल्दी कहो मेरा मूड आफ है।"
दूसरी तरफ से आवाज आयी,"मेरी रानी किस बात से खफा है आज।"
तभी नीलम को अपनी गलती का अहसास हुआ और आवाज को शांत करके बोली,"कुछ नही बस दादी की बात से खफा थी लोग चांद पर पहुंच गये है और हमारी दादी अभी भी भूत प्रेत को लेकर बेठी है कह रही हैं कि तुम्हें हल्दी लग गयी अब तुम बाहर नही जा सकती।"
नीरज उसे समझाते हुए बोला,"डियर वो बड़ी है उन्होंने दुनिया देखी है।हो सकता है वो ठीक हो तुम्हें उनकी बात माननी चाहिए।और हां हम शादी के बाद एक हिल स्टेशन पर चलेंगे मैंने नेट पर देखा है वहां ज्यादा लोग नही जाते बड़ा ही सुन्दर है वो प्रकृति की गोद मे समाया हुआ।"
नीलम शरमा गयी बोली,"जैसा आप उचित समझे।"
नीलम की शादी धूमधाम से हो गयी । शादी की रस्में पूरी करने के बाद ही नीलम की पगफेरे की रस्म थी वही के वहीं उन्हें हनीमून के लिए निकलना था पूरे दस दिन का प्रोग्राम था।नीलम के शरीर से अभी भी हल्दी , मेहंदी की खूशबू आ रही थी नीरज तो दीवाना सा हो गया था।पगफेरे से जब नीरज ससुराल से विदा होने लगा तो दादी की चिंता जिसे नीलम दादी पुराण बोलती थी फिर से शुरु हो गयी,"बेटा गुडडो का ख्याल रखना अभी मेहंदी हल्दी छूटी नही है कोई उपरी हवा ना जकड़ ले इसे देर सवेर मत घुमना।"
नीलम फिर से बड़बड़ाने लगी ,"ओहो दादी आप फिर से...."
नीरज ने उसका हाथ दबा दिया और दादी से बोला,"जी दादी मै ध्यान रखूंगा।"
दोनों अपने हनीमून डेस्टिनेशन पर चल दिए।देखते ही देखते दोनों वहां पहुंच गये ।शाम हो चली थी नीरज ने एक गेस्ट हाउस बुक कर रखा था। थकान हो गयी थी दोनों ने कुछ थोड़ा बहुत खाया और सोने चले गये।
सुबह नीलम नीरज को जगाने आयी तो नीरज उसे एकटक देखता रह गया।लाल सुर्ख पटियाला सूट मे लाल चूड़ा,खुले घुटनों तक बाल ।"आह , क्या खूब लग रही हो ।"नीरज ने उसे अपनी ओर खींच लिया  पर नीलम फटाफट उठते हुए बोली,"जनाब जल्दी तैयार हो जाओ घुमने नही जाना ।नीरज बेमन से उठा ।वे तैयार होकर घुमने चल दिए छोटा सा हिल स्टेशन था इस लिए एक आध जगह घुम कर वू एक प्रकृति सौंदर्य देखने के लिए एक पहाड़ी पर उगे पेड़ के नीचे बैठ गये।वे वहां थोड़ी ही देर बैठे थे कि मौज मे आकर नीरज ने अपना हाथ नीलम के कंधे पर रख लिया।तभी जैसे नीलम को करंट सा लगा वह जोर से चीखी,"हाथ हटा।"
नीरज को उसका व्यवहार थोड़ा अजीब लगा।वह उसे जैसे तैसे करके गेस्ट हाउस ले आया वे कमरे मे आये तो नीलम पलंग पर जा बैठी नीरज जैसे ही उसके पास बैठा तभी नीलम जोर जोर से चिल्लाने लगी ,"उठ यहां से ,मैने कहां उठ।" शोर सुनकर गेस्ट हाउस के कर्मचारी भी वहां आ गये एक ने उसकी हालत देखकर कहा,"बाबू इसे उपरी हवा ने पकड़ लिया है इसका जल्दी इलाज कराओ नही तो ये मर जाएगी।"
तभी नीलम की मां का फोन आ गया नीरज ने सारी बात बता दी ।नीलम की दादी ने ये बात सुनी तो वो फ़ौरन समझ गयी कि लड़की पर कोई भूत प्रेत आ गया है तुरंत उन्हें वापस आने के लिए कहा।नीरज सुबह ही निकल पड़ा वह सीधा नीलम को लेकर उनके घर चला गया। वहां दादी ने अपने पुरोहित को बुलाकर सारा इंतजाम पहले ही करवा रखा था।नीलम को रस्सी से जकड़ कर पुरोहित के आगे हवनकुंड के सामने बैठा दिया गया जैसे ही नीलम पर गंगाजल छिड़का वह तिलमिला उठी।और मर्दाना आवाज मे बोली,"तू कितनी  कोशिश कर ले ये मुझे भा गयी है जब ये पेड़ के नीचे लाल जोड़े मे खुले बालों मे हल्दी और मेहंदी की खूशबू लिए बैठी तो मेरा दिल इस पर आ गया अब मै इसे नही छोड़ूंगा।"
नीलम लगातार मर्दाना आवाज मे बोलती जा रही थी उधर पुरोहित का जप तेज होता जा रहा था बीच बीच मे जब वह गंगाजल छिड़कता तो वह छटपटाने लगती।तभी पुरोहित ने कहा,"इसके बाल बांधों जरा ।"
नीरज जैसे ही बाल बांधने लगा तभी नीलम ने जोर से धक्का दिया नीरज को ।उसका माथा दीवार मे जाकर लगा और खून बहने लगा। पुरोहित ने मंत्रोच्चारण तेज कर दिया तभी एक पतली सी चमकती लो नीलम मे से निकल कर हवनकुंड मे समा गयी।
और नीलम एक ओर लुढ़क गई।जब उसे होश आया तो वो अपने आप को मायके मे देखकर हैरान रह गयी और जब नीरज के माथे से खून निकलता देखा तो घबराकर पूछा,"ये तुम्हें कैसे लगी?"
नीरज ने खिलखिलाते हुए कहा,"तुम्हारे आशिक ने मारा ।"यह कहकर नीरज जो उस दौरान मोबाइल से विडियो बना रहा था वो नीलम को दिखाया।जिसे देखकर नीलम शर्मसार हो गयी और दादी से हाथ जोड़कर माफी मांगने लगी,"दादी मै आप के विश्वास के आगे हार गयी। मुझे माफ कर दो।"
दोनों की आंख मे आंसू थे दादी ने,"मेरी गुडडो"कहकर नीलम का माथा चूम लिया।
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रचनाएँ
दैनंदिनी सखी (सितम्बर) 2022
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सितम्बर माह जिसमे पूर्वजों को याद करें गे।उनको श्राद्ध अर्पित करके‌।और बहुत सी बाते होंगी सखी जब हम तुम साथ रहें गे।
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1/9/2022 :-गणेश चतुर्थी

1 सितम्बर 2022
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प्रिय सखी।कैसी हो ।पता है दो दिन मे हमारे साथ क्या कुछ नही घटा।अब तुम से मिल नही सकते थे । क्यों कि हमने डायरी पूर्ण मार्क कर दी थी।सोई इंतजार कर रहे थे कि कब तुम से मुलाकात हो और हम मन की बात तुम्हें

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2/9/2022:- ग्लोबल वार्मिंग

2 सितम्बर 2022
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प्रिय सखी।कैसी हो। हम अच्छे है बस आज के दैनिक प्रतियोगिता के विषय के अनुरूप थोड़ा दिमाग गरम है । आखिरकार पुस्तक लेखन प्रतियोगिता के परिणाम घोषित हो गये ।वही कछुआ खरगोश की कहानी याद आ गयी ।बस अब

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5/9/2022

5 सितम्बर 2022
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प्रिय सखी।कैसी हो।मै अच्छी हूं ‌।कल ही समूह मे शैलेश जी किसी लेखक को प्रतियोगिता का विवरण दे रहे थे।उसमे उन्होंने कहा कि पुस्तक प्रतियोगिता में पेड पुस्तक दोनों ही पहले द्वीतिय स्थान पर आयी है।हमने भी

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6/9/2022:-सोशल मीडिया की ताक़त

6 सितम्बर 2022
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प्रिय सखी।कैसी हो ।हम अच्छे है ।आज एक लेख पढ़ा ।सच मे सखी लेख पढ़ कर हंसी आ गयी।"एक तो चोरी ऊपर से सीना जोरी" यह कहावत उस लेख पर पूरी तरह से फिट बैठती थी।अपने को सच और दूसरे को झूठा साबित करने की होड़

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7/9/2022 :- टाइम ट्रैवल

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प्रिय सखी ।कैसी हो ।हम अच्छे है और मौज से है ।आज ही हमारी एक और किताब ने सौ का आंकड़ा पार कियाहै मतलब वो सौ लोगों के पुस्तकालय में रखी गयी है। किताब का नाम है "मै ओरत हूं .... इसलिए।"लगातार पाठक संख्य

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9/9/2022 :-रेल यात्रा

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प्रिय सखी।कैसी हो ।हम ठीक ही है ।आज घर पर ही है देहली शोप पर नही गये।तबीयत ठीक नही है।कुछ नया उपन्यास लिख रहे है एक मंच पर बस उसी मे व्यस्त रहते है। फ़ालतू का सोचने का समय ही नही लगता।अब अगस्त की पुस्

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11/9/2022:- मानसिक स्वास्थ्य

11 सितम्बर 2022
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प्रिय सखी।कैसी हो।हम ठीक है और अपनी देहली वाली शोप पर बैठे तुम्हें याद कर रहे थे।आज रविवार को सुबह ही सुबह आ गये हम ।कयोकि यहां कपड़ों के व्यापारी सुबह सुबह ही आते है रविवार को। तबीयत नासाज थी लेकिन फ

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13/9/2022:- बचपन की मित्रता

13 सितम्बर 2022
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प्रिय सखी।कैसी हो ।हम अच्छे है । औरों का पता नही हम पूर्णतः स्वस्थ है। हां लोग कोशिश करते है अपनी बीमारी दूसरे पर लादकर उसे बीमार घोषित करने मे लगे रहते है पर जनता और जानकार बेवकूफ नहीं है उन्हें समझ

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16/9/2022:- पितृपक्ष

16 सितम्बर 2022
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प्रिय सखी।कैसी हो। हम अच्छे है ।कल ही पतिदेव की दादी जी का श्राद्ध था।मौसम भी बदल रहा है तुम से गुजारिश अपना ख्याल रखा करो ।आज का विषय:-पितृपक्षजो आजकल चल रहा है अश्विनी मास की कृष्ण पक्ष को पित

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17/9/2022:- नारीवाद

17 सितम्बर 2022
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प्रिय सखी।कैसी हो ।हम अच्छे है और मजे से है ।आजकल देहली शोप पर नही जा रही हूं ।कल बैंक का काम था सोई उसे निपटाते हुए बारह यही बज गये ।फिर देहली गये ही नही। कुछ दिनों से फरीदाबाद में मौसम खराब ही चल रह

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18/9/2022:- अंधविश्वास

18 सितम्बर 2022
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प्रिय सखी।कैसी हो।हम अच्छे है और देहली शोप पर है।आजकल श्राद्ध पक्ष के कारण लोग कपड़ा कम खरीद रहे है इसलिए काम थोड़ा ढीला है ।ये लोगों का अंधविश्वास नही तो और क्या है । क्या हमारे पूर्वज हमे अच्छे कपड़

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19/9/2022:- अंधविश्वास

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20/9/2022:-- नारी शक्ति का दुर्पयोग

20 सितम्बर 2022
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हैलो सखी।कैसी हो ।कल रात तो जम कर मेघा बरसे ।बस देहली शोप पर आते समय थोड़ा रास्ते मे दिक्कत होती है जगह जगह जल भराव हो जाता है बाकी जो मौसम मे उमस थी उससे काफी निजात मिली।शोप पर आकर बैठे और मोबाइल खोल

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22/9/2022:- मेरी पहली पढ़ी पुस्तक

22 सितम्बर 2022
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प्रिय सखी। कैसी हो । मै अच्छी हूं । बारिश बहुत हो रही है तीन दिनों से ।बस सारा दिन ऐसे ही बीत जाता है कुछ समय उपन्यास लिखने मे तो कुछ और व्यस्तताएं है ।बस दिन पता ही नही चलता ।हमारी मां कहती है य

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23/9/2022:-- शर्मशार होती इंसानियत

23 सितम्बर 2022
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प्रिय सखी ।कैसी है ।हम अच्छे है और मौसम से दुःखी है । लगातार बरसात हो रही है ।आज तुम्हें पता है दैनिक प्रतियोगिता का विषय बड़ा ही उम्दा है । "शर्मशार होती इंसानियत "सच मे सखी कहां नही है इंसानियत शर्म

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