shabd-logo

17/9/2022:- नारीवाद

17 सितम्बर 2022

55 बार देखा गया 55
प्रिय सखी।
कैसी हो ।हम अच्छे है और मजे से है ।आजकल देहली शोप पर नही जा रही हूं ।कल बैंक का काम था सोई उसे निपटाते हुए बारह यही बज गये ।फिर देहली गये ही नही। कुछ दिनों से फरीदाबाद में मौसम खराब ही चल रहा है।

आज का विषय मेरे मन के करीब है :- नारीवाद

इस पुरुष प्रधान समाज मे एक पुरुष की पहली भूख जब वो इस दुनिया में आता है तो एक मां के रूप में एक नारी ही मिटाती है ।पर पता नही क्यों वो सर्वेसर्वा बन जाता है और औरत उसकी प्रेरणा, शक्ति बन कर ही रह जाती है ।जबकि अगर एक औरत का वजूद खत्म कर दिया जाएं तो संसार का अस्तित्व ही खत्म हो जाएगा।नारीवादी अवधारणा का आरंभ इस विश्वास के साथ होता है कि स्त्रियां पुरुषों की तुलना में अलाभ और हीनता की स्थिति में हैं। नारीवादी विचारधारा मुख्य रूप से स्त्री-पुरुष भेदभाव से जुड़ी है तथा यह स्त्रियों की भूमिका और अधिकारों से संबंधित है। यह अवधारणा स्त्रियों की पराधीनता और उनके प्रति होने वाले अन्याय पर ध्यान केंद्रित करते हुए इनके प्रतिकार के उपायों पर विचार करती है। नारीवाद स्त्री-पुरुष भेदभाव की पड़ताल के लिए मुख्य रूप से ‛सेक्स’ और ‛जेंडर’ को आधार बनाता है। नारीवादियों का मानना है कि सेक्स एक ‛जीव वैज्ञानिक तथ्य’ है तथा जेंडर एक ‛समाजवैज्ञानिक तथ्य’ । नारीवादियों का मानना है कि प्रकृति ने स्त्री और पुरुष की शारीरिक बनावट में जो अंतर स्थापित किया है उसी को सामाजिक स्थिति का आधार बना लिया गया जो कि तर्कसंगत नहीं है। प्राचीन काल से ही स्त्रियों को सामाजिक जीवन में उपयुक्त मान्यता नहीं दी गई और उन्हें हीन स्थिति में रखा गया। नारीवादी विचारक जैविक-निर्धारणवाद(Biological determinism) के विचार को खारिज करते हुए बताते हैं कि पुरुष और स्त्री की भिन्न छवि उनके जीव वैज्ञानिक अंतर पर आधारित नहीं है बल्कि यह हमारी संस्कृति की देन है। यह अधीनता सामाजिक और सांस्कृतिक मूल्यों, विचारधाराओं और संस्थाओं की उपज है जो महिलाओं की भौतिक और विचारधारात्मक अधीनता यानी जेंडर के प्रभुत्व को सुनिश्चित करती है। ये मान्यताएं सामाजिक जीवन में स्त्री के संपूर्ण जीवन पर पुरुष के नियंत्रण को बढ़ावा देती हैं जिससे पितृसत्ता स्थापित होती है और यह पितृसत्तात्मक व्यवस्था ही स्त्रियों के शोषण का कारण है। इस प्रकार से नारीवादियों का मानना है कि स्त्रियों की हीन स्थिति का कारण कृत्रिम है और यह समाज द्वारा निर्मित है जिसे चुनौती दी जानी चाहिए।
इसलिए नारीवाद का समर्थन एक पुरुष द्वारा मन से होना चाहिए ।
अब चलते है सखी अलविदा।
ऋतेश आर्यन

ऋतेश आर्यन

बहुत सुंदर और सहज विश्लेषण👌👌

17 सितम्बर 2022

15
रचनाएँ
दैनंदिनी सखी (सितम्बर) 2022
4.5
सितम्बर माह जिसमे पूर्वजों को याद करें गे।उनको श्राद्ध अर्पित करके‌।और बहुत सी बाते होंगी सखी जब हम तुम साथ रहें गे।
1

1/9/2022 :-गणेश चतुर्थी

1 सितम्बर 2022
65
26
3

प्रिय सखी।कैसी हो ।पता है दो दिन मे हमारे साथ क्या कुछ नही घटा।अब तुम से मिल नही सकते थे । क्यों कि हमने डायरी पूर्ण मार्क कर दी थी।सोई इंतजार कर रहे थे कि कब तुम से मुलाकात हो और हम मन की बात तुम्हें

2

2/9/2022:- ग्लोबल वार्मिंग

2 सितम्बर 2022
45
25
3

प्रिय सखी।कैसी हो। हम अच्छे है बस आज के दैनिक प्रतियोगिता के विषय के अनुरूप थोड़ा दिमाग गरम है । आखिरकार पुस्तक लेखन प्रतियोगिता के परिणाम घोषित हो गये ।वही कछुआ खरगोश की कहानी याद आ गयी ।बस अब

3

5/9/2022

5 सितम्बर 2022
26
20
1

प्रिय सखी।कैसी हो।मै अच्छी हूं ‌।कल ही समूह मे शैलेश जी किसी लेखक को प्रतियोगिता का विवरण दे रहे थे।उसमे उन्होंने कहा कि पुस्तक प्रतियोगिता में पेड पुस्तक दोनों ही पहले द्वीतिय स्थान पर आयी है।हमने भी

4

6/9/2022:-सोशल मीडिया की ताक़त

6 सितम्बर 2022
47
29
5

प्रिय सखी।कैसी हो ।हम अच्छे है ।आज एक लेख पढ़ा ।सच मे सखी लेख पढ़ कर हंसी आ गयी।"एक तो चोरी ऊपर से सीना जोरी" यह कहावत उस लेख पर पूरी तरह से फिट बैठती थी।अपने को सच और दूसरे को झूठा साबित करने की होड़

5

7/9/2022 :- टाइम ट्रैवल

7 सितम्बर 2022
26
13
0

प्रिय सखी ।कैसी हो ।हम अच्छे है और मौज से है ।आज ही हमारी एक और किताब ने सौ का आंकड़ा पार कियाहै मतलब वो सौ लोगों के पुस्तकालय में रखी गयी है। किताब का नाम है "मै ओरत हूं .... इसलिए।"लगातार पाठक संख्य

6

9/9/2022 :-रेल यात्रा

9 सितम्बर 2022
26
17
0

प्रिय सखी।कैसी हो ।हम ठीक ही है ।आज घर पर ही है देहली शोप पर नही गये।तबीयत ठीक नही है।कुछ नया उपन्यास लिख रहे है एक मंच पर बस उसी मे व्यस्त रहते है। फ़ालतू का सोचने का समय ही नही लगता।अब अगस्त की पुस्

7

11/9/2022:- मानसिक स्वास्थ्य

11 सितम्बर 2022
25
13
3

प्रिय सखी।कैसी हो।हम ठीक है और अपनी देहली वाली शोप पर बैठे तुम्हें याद कर रहे थे।आज रविवार को सुबह ही सुबह आ गये हम ।कयोकि यहां कपड़ों के व्यापारी सुबह सुबह ही आते है रविवार को। तबीयत नासाज थी लेकिन फ

8

13/9/2022:- बचपन की मित्रता

13 सितम्बर 2022
18
9
0

प्रिय सखी।कैसी हो ।हम अच्छे है । औरों का पता नही हम पूर्णतः स्वस्थ है। हां लोग कोशिश करते है अपनी बीमारी दूसरे पर लादकर उसे बीमार घोषित करने मे लगे रहते है पर जनता और जानकार बेवकूफ नहीं है उन्हें समझ

9

16/9/2022:- पितृपक्ष

16 सितम्बर 2022
9
1
1

प्रिय सखी।कैसी हो। हम अच्छे है ।कल ही पतिदेव की दादी जी का श्राद्ध था।मौसम भी बदल रहा है तुम से गुजारिश अपना ख्याल रखा करो ।आज का विषय:-पितृपक्षजो आजकल चल रहा है अश्विनी मास की कृष्ण पक्ष को पित

10

17/9/2022:- नारीवाद

17 सितम्बर 2022
13
7
1

प्रिय सखी।कैसी हो ।हम अच्छे है और मजे से है ।आजकल देहली शोप पर नही जा रही हूं ।कल बैंक का काम था सोई उसे निपटाते हुए बारह यही बज गये ।फिर देहली गये ही नही। कुछ दिनों से फरीदाबाद में मौसम खराब ही चल रह

11

18/9/2022:- अंधविश्वास

18 सितम्बर 2022
20
8
1

प्रिय सखी।कैसी हो।हम अच्छे है और देहली शोप पर है।आजकल श्राद्ध पक्ष के कारण लोग कपड़ा कम खरीद रहे है इसलिए काम थोड़ा ढीला है ।ये लोगों का अंधविश्वास नही तो और क्या है । क्या हमारे पूर्वज हमे अच्छे कपड़

12

19/9/2022:- अंधविश्वास

19 सितम्बर 2022
12
6
0

प्रिय सखी ।कैसी हो ।मै अच्छी हूं ।अब की बार पुस्तक लेखन प्रतियोगिता में भाग ना लेने का विचार किया है ।बस मन नही करता ऐसे जीत हासिल करने से ।जब फोन वेरिफिकेशन होने लगेगा और रियल पाठक बढ़ेंगे रचनाओं पर

13

20/9/2022:-- नारी शक्ति का दुर्पयोग

20 सितम्बर 2022
16
6
1

हैलो सखी।कैसी हो ।कल रात तो जम कर मेघा बरसे ।बस देहली शोप पर आते समय थोड़ा रास्ते मे दिक्कत होती है जगह जगह जल भराव हो जाता है बाकी जो मौसम मे उमस थी उससे काफी निजात मिली।शोप पर आकर बैठे और मोबाइल खोल

14

22/9/2022:- मेरी पहली पढ़ी पुस्तक

22 सितम्बर 2022
15
5
0

प्रिय सखी। कैसी हो । मै अच्छी हूं । बारिश बहुत हो रही है तीन दिनों से ।बस सारा दिन ऐसे ही बीत जाता है कुछ समय उपन्यास लिखने मे तो कुछ और व्यस्तताएं है ।बस दिन पता ही नही चलता ।हमारी मां कहती है य

15

23/9/2022:-- शर्मशार होती इंसानियत

23 सितम्बर 2022
15
6
0

प्रिय सखी ।कैसी है ।हम अच्छे है और मौसम से दुःखी है । लगातार बरसात हो रही है ।आज तुम्हें पता है दैनिक प्रतियोगिता का विषय बड़ा ही उम्दा है । "शर्मशार होती इंसानियत "सच मे सखी कहां नही है इंसानियत शर्म

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए