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22/9/2022:- मेरी पहली पढ़ी पुस्तक

22 सितम्बर 2022

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प्रिय सखी। 
कैसी हो । मै अच्छी हूं । बारिश बहुत हो रही है तीन दिनों से ।बस सारा दिन ऐसे ही बीत जाता है कुछ समय उपन्यास लिखने मे तो कुछ और व्यस्तताएं है ।बस दिन पता ही नही चलता ।हमारी मां कहती है ये श्राद्ध के दिन जले बले और बोझिल से होते है ।अब आज का विषय बहुत अच्छा सा लगा तो मैं हाज़िर हूं तुम्हारे सामने।
आज का विषय:- मेरी पहली पढी पुस्तक
सखी अब क्या बताऊं पढ़ना तो मेरी जिंदगी है ।मै शायद साढ़े तीन साल की थी बस पापा मेरा दाखिला कराने वाले थे मुझ से बड़ी मेरी बहन एक साल से स्कूल जा रही थी ।कसम से मुझे उसकी किताबें पानी की तरह रटी थी ।जब मेरा एडमिशन हुआ तो टीचर ने मेरा टेस्ट लिया तो मेरे पापा से वो बोली,"आप की बिटिया तो पहली क्लास मे बैठने लायक है आप इसे एलकेजी मे क्यों करा रहे है ।
हहहा हमे अपनी किताब याद हो ना हो अपनी बहन की सलेबस पूरा याद होता था।वैसे कहानियां पढ़ने का शौक मुझे बचपन से ही था और इतना शौक था कि अगर मुझे सारा दिन एक अच्छी सी कहानियों की किताब देकर बैठा दिया जाए तो शायद मै पूरा दिन खाना भी नहीं खाऊं।
अब ये तो याद नहीं कि मैने सबसे पहली कहानी कौन सी पढ़ी पर हां ये बता सकती हूं कि पहला उपन्यास कौन सा था ।
बात ये थी कि हमारे घर मे उपन्यास पढ़ने पर रोक थी । क्यों कि पापा मम्मी को ये लगता था कि उपन्यास पढ़ने से बच्चे बिगड़ जाते है ।शायद उन्होंने लोगों को बाजारू उपन्यास है पढ़ते देखा होगा ।बात तब की है जब मै कालेज मे गयी । वहां कालेज की लाइब्रेरी मे एक दिन मै मेरी सहेली के साथ गयी थी उसे कोई किताब वापस करनी थी ।मै ऐसे ही उपन्यासों के केटालोग देख रही थी वहां मेरी नजर धर्मवीर भारती के उपन्यास पर पड़ी ।अब नाम तो याद नही है शायद "अनजान चोर या अजनबी चोर "ऐसा सा कोई नाम था मैने वै बुक इशू करा ली और जैसे की बताया हमारे घर मे उपन्यास पढ़ने पर पाबंदी थी तो 
मै सेलेब्स की बुक मे रखकर पढ़ती थी ।एक दिन पापा ने देख लिया उन्होंने वो किताब मुझ से लेकर स्वयं पढ़ी ।उस दिन के बाद से मेरे पापा का उपन्यास के प्रति धारणा ही बदल गयी । मुझे याद है मेरे पापा फिर बाद मे बार बार यही कहते थे" बेटा
वैसी और किताब हो तो लाना ।" वो एक जासूसी उपन्यास था ।सच मे मजा आ गया था पढ़ कर।वैसे बचपन मे बच्चे गर्मी की छुट्टी मे तही कहते कि हमे यहां घुमना है वहां घुमना हे या ये दिला दो ।पर मेरी अलग ही च्वाइस होती थी मै पापा को बोलती थी "पापा आप मेरे लिए एक महीना पाकेट बुक्स बांध दो ।मतलब एक किताबों की दुकान से हर रोज दो पाकेट बुक्स किराये पर ले आते थे और उसे पढकर शाम को लौटा आते थे।
     उसके बाद तो बहुत से नावल पढ़े जैसे मुंशी प्रेमचंद जी का "निर्मला" और एक ओर उपन्यास था "बंतो"
फिर तो बस हम रुके ही नही बहुत ही साहित्य पढ़ा ।बस महिलाओं के प्रति भेदभावपूर्ण व्यवहार ही हमे लिखने की प्रेरणा दे गया और अब आप सब लोगों के सामने हमारी रचनाएं है ही ।
तभी तो हम कहते है 
"विचारों का ऐसा तूफान आता है जब तक उसे कागज़ पर ना उतार दूं तो आत्मा को चैन ही नही मिलता।"
अब चलते है सखी ।देहली है । बहुत तेज बारिश हो रही है ।अब अलविदा।
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रचनाएँ
दैनंदिनी सखी (सितम्बर) 2022
4.5
सितम्बर माह जिसमे पूर्वजों को याद करें गे।उनको श्राद्ध अर्पित करके‌।और बहुत सी बाते होंगी सखी जब हम तुम साथ रहें गे।
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1/9/2022 :-गणेश चतुर्थी

1 सितम्बर 2022
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प्रिय सखी।कैसी हो ।पता है दो दिन मे हमारे साथ क्या कुछ नही घटा।अब तुम से मिल नही सकते थे । क्यों कि हमने डायरी पूर्ण मार्क कर दी थी।सोई इंतजार कर रहे थे कि कब तुम से मुलाकात हो और हम मन की बात तुम्हें

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2/9/2022:- ग्लोबल वार्मिंग

2 सितम्बर 2022
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प्रिय सखी।कैसी हो। हम अच्छे है बस आज के दैनिक प्रतियोगिता के विषय के अनुरूप थोड़ा दिमाग गरम है । आखिरकार पुस्तक लेखन प्रतियोगिता के परिणाम घोषित हो गये ।वही कछुआ खरगोश की कहानी याद आ गयी ।बस अब

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5/9/2022

5 सितम्बर 2022
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प्रिय सखी।कैसी हो।मै अच्छी हूं ‌।कल ही समूह मे शैलेश जी किसी लेखक को प्रतियोगिता का विवरण दे रहे थे।उसमे उन्होंने कहा कि पुस्तक प्रतियोगिता में पेड पुस्तक दोनों ही पहले द्वीतिय स्थान पर आयी है।हमने भी

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6/9/2022:-सोशल मीडिया की ताक़त

6 सितम्बर 2022
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प्रिय सखी।कैसी हो ।हम अच्छे है ।आज एक लेख पढ़ा ।सच मे सखी लेख पढ़ कर हंसी आ गयी।"एक तो चोरी ऊपर से सीना जोरी" यह कहावत उस लेख पर पूरी तरह से फिट बैठती थी।अपने को सच और दूसरे को झूठा साबित करने की होड़

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7/9/2022 :- टाइम ट्रैवल

7 सितम्बर 2022
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प्रिय सखी ।कैसी हो ।हम अच्छे है और मौज से है ।आज ही हमारी एक और किताब ने सौ का आंकड़ा पार कियाहै मतलब वो सौ लोगों के पुस्तकालय में रखी गयी है। किताब का नाम है "मै ओरत हूं .... इसलिए।"लगातार पाठक संख्य

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9/9/2022 :-रेल यात्रा

9 सितम्बर 2022
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प्रिय सखी।कैसी हो ।हम ठीक ही है ।आज घर पर ही है देहली शोप पर नही गये।तबीयत ठीक नही है।कुछ नया उपन्यास लिख रहे है एक मंच पर बस उसी मे व्यस्त रहते है। फ़ालतू का सोचने का समय ही नही लगता।अब अगस्त की पुस्

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11/9/2022:- मानसिक स्वास्थ्य

11 सितम्बर 2022
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प्रिय सखी।कैसी हो।हम ठीक है और अपनी देहली वाली शोप पर बैठे तुम्हें याद कर रहे थे।आज रविवार को सुबह ही सुबह आ गये हम ।कयोकि यहां कपड़ों के व्यापारी सुबह सुबह ही आते है रविवार को। तबीयत नासाज थी लेकिन फ

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13/9/2022:- बचपन की मित्रता

13 सितम्बर 2022
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प्रिय सखी।कैसी हो ।हम अच्छे है । औरों का पता नही हम पूर्णतः स्वस्थ है। हां लोग कोशिश करते है अपनी बीमारी दूसरे पर लादकर उसे बीमार घोषित करने मे लगे रहते है पर जनता और जानकार बेवकूफ नहीं है उन्हें समझ

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16/9/2022:- पितृपक्ष

16 सितम्बर 2022
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प्रिय सखी।कैसी हो। हम अच्छे है ।कल ही पतिदेव की दादी जी का श्राद्ध था।मौसम भी बदल रहा है तुम से गुजारिश अपना ख्याल रखा करो ।आज का विषय:-पितृपक्षजो आजकल चल रहा है अश्विनी मास की कृष्ण पक्ष को पित

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17/9/2022:- नारीवाद

17 सितम्बर 2022
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प्रिय सखी।कैसी हो ।हम अच्छे है और मजे से है ।आजकल देहली शोप पर नही जा रही हूं ।कल बैंक का काम था सोई उसे निपटाते हुए बारह यही बज गये ।फिर देहली गये ही नही। कुछ दिनों से फरीदाबाद में मौसम खराब ही चल रह

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18/9/2022:- अंधविश्वास

18 सितम्बर 2022
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प्रिय सखी।कैसी हो।हम अच्छे है और देहली शोप पर है।आजकल श्राद्ध पक्ष के कारण लोग कपड़ा कम खरीद रहे है इसलिए काम थोड़ा ढीला है ।ये लोगों का अंधविश्वास नही तो और क्या है । क्या हमारे पूर्वज हमे अच्छे कपड़

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19/9/2022:- अंधविश्वास

19 सितम्बर 2022
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प्रिय सखी ।कैसी हो ।मै अच्छी हूं ।अब की बार पुस्तक लेखन प्रतियोगिता में भाग ना लेने का विचार किया है ।बस मन नही करता ऐसे जीत हासिल करने से ।जब फोन वेरिफिकेशन होने लगेगा और रियल पाठक बढ़ेंगे रचनाओं पर

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20/9/2022:-- नारी शक्ति का दुर्पयोग

20 सितम्बर 2022
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हैलो सखी।कैसी हो ।कल रात तो जम कर मेघा बरसे ।बस देहली शोप पर आते समय थोड़ा रास्ते मे दिक्कत होती है जगह जगह जल भराव हो जाता है बाकी जो मौसम मे उमस थी उससे काफी निजात मिली।शोप पर आकर बैठे और मोबाइल खोल

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22/9/2022:- मेरी पहली पढ़ी पुस्तक

22 सितम्बर 2022
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प्रिय सखी। कैसी हो । मै अच्छी हूं । बारिश बहुत हो रही है तीन दिनों से ।बस सारा दिन ऐसे ही बीत जाता है कुछ समय उपन्यास लिखने मे तो कुछ और व्यस्तताएं है ।बस दिन पता ही नही चलता ।हमारी मां कहती है य

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23/9/2022:-- शर्मशार होती इंसानियत

23 सितम्बर 2022
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प्रिय सखी ।कैसी है ।हम अच्छे है और मौसम से दुःखी है । लगातार बरसात हो रही है ।आज तुम्हें पता है दैनिक प्रतियोगिता का विषय बड़ा ही उम्दा है । "शर्मशार होती इंसानियत "सच मे सखी कहां नही है इंसानियत शर्म

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