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13/9/2022:- बचपन की मित्रता

13 सितम्बर 2022

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प्रिय सखी।
कैसी हो ।हम अच्छे है । औरों का पता नही हम पूर्णतः स्वस्थ है। हां लोग कोशिश करते है अपनी बीमारी दूसरे पर लादकर उसे बीमार घोषित करने मे लगे रहते है पर जनता और जानकार बेवकूफ नहीं है उन्हें समझ आता है कौन सही है कौन गलत।अब तुम्हें बताऊं सखी कल मेरे साथ क्या हुआ ।कोई "नव्या " नाम से एक पाठक थी भगवान जाने थी या बनाईं गयी थी वो हमारे दूसरे मंच तक भी पहुंच गयी और वहां पर हमारी रचनाओं पर बेसिर पैर की समीक्षाएं देने लगी ।ऐसी मानसिकता वालों को ये नही पता कि धावक जितनी बाधाएं उसके रास्ते मे आती है उनको पार करके वो और तेज दौडता है।
आज तो ससुर जी का श्राद्ध है ।सुबह ही जल्दी उठकर सब तैयारी की । पतिदेव थोड़ा क्या पूरे नास्तिक है। इसलिए उनका सुबह सुबह ही पति पुराण चालू था।
अब आज के दैनिक विषय पर आते है 
"बचपन की मित्रता"
दोस्त एक ऐसा व्यक्ति होता है जिससे हम अपने मन की सारी बातें कर लेते है ।और वह बचपन का हो तो क्या कहने ।खैर बचपन मे हम लड़कों की तरह रहते थे ।सोई लड़कियां हमारे साथ चलने मे सेफ महसूस करती थी।अकसर लड़कों को पीट देते थे ।बचपन मे तो कोई खास दोस्ती नही थी हमारी पर कालेज टाइम का एक किस्सा है हमारे जेहन मे वो बताना चाहेंगे।
हम ने कालेज मे नया नया एडमिशन लिया था।उस दिन क्लास मे एक और नया एडमिशन हुआ था । मुझे याद है वो लडकी ऊंची सी पोनीटेल बना कर , चश्मा लगाकर क्लास मे आई।मै हमेशा से एक अलग पर्सनैलिटी की लड़कियों से दोस्ती करती थी।वो मुझे पढ़ाकू किस्म की लगी उसका नाम "किरन" था।
धीरे धीरे मेरी और उसकी दोस्ती हो गयी।हम दोनों हमेशा साथ रहते कालेज मे ।पर मुझे आश्चर्य होता जब हम लंच करते तो वो कभी भी अपना लंच मुझसे शेयर नही करती थी। हां मेरा खा लेती थी ।वो कभी अपने नाम के साथ अपना सरनेम नही लगाती थी।
एक दिन मैने ऐसे ही उससे पूछ लिया ,"किरन । क्या कारण है जो तुम अपना लंच शेयर नही करती।"
"बस ऐसे ही ।"उसने आंखों मे आंसू भरकर कहा।
मैंने कहा,"और हां तू अपने नाम के आगे सरनेम भी नही लगाती"
वो एकदम से बोली,"अगर मै अपना सरनेम बता दूंगी तो तुम मेरा खाना तो दूर ।मेरी दोस्ती तक तोड़ दोगी।"
अब तो मुझे पूरी उत्सुकता हो गयी उसका सरनेम जानने मे मैने उससे पूछा,"अब बताओ भी तुम्हारी कास्ट क्या है ?"
वह बोली,"हम चमार है।"
मै जोर से हंसी और उठ पड़ी वो बोली,"बस मुझे पता था तुम मेरी दोस्ती तोड़ कर चली जाओगी।"
मैं उसके पास गयी और उसका हाथ पकड़ा और बोली,"चलो"
वह बोली,"कहां?"
मैंने ह़सते हुए जवाब दिया,"तुम्हारे घर।खाना नही खिलाओगी अपनी मम्मी के हाथ का।"
कसम से वो रोने लगी ।हम दोनों उसके घर गये और हम ने एक ही थाली मे खाना खाया।
हमारी दोस्ती बहुत सालों तक रही ।फिर वो अपनी दुनिया मे रम गयी और मै अपनी।
बहुत से ऐसे भी दोस्त होते है जो अपने दोस्त की ग़लत बातों मे आंख मींचकर उसका साथ देते है ।वो उसे एहसास नही दिलाते की तुम यहां पर गलत हो ।ऐसा मत करो।वो सच्ची दोस्ती का कितना ही दंभ भरे वो सच्चे दोस्त कभी नही हो सकते।
अब चलते है सखी। उपन्यास जो प्रतियोगिता में है दूसरे मंच पर उसका भाग भी लिखना है।अब अलविदा।
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रचनाएँ
दैनंदिनी सखी (सितम्बर) 2022
4.5
सितम्बर माह जिसमे पूर्वजों को याद करें गे।उनको श्राद्ध अर्पित करके‌।और बहुत सी बाते होंगी सखी जब हम तुम साथ रहें गे।
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1/9/2022 :-गणेश चतुर्थी

1 सितम्बर 2022
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प्रिय सखी।कैसी हो ।पता है दो दिन मे हमारे साथ क्या कुछ नही घटा।अब तुम से मिल नही सकते थे । क्यों कि हमने डायरी पूर्ण मार्क कर दी थी।सोई इंतजार कर रहे थे कि कब तुम से मुलाकात हो और हम मन की बात तुम्हें

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2/9/2022:- ग्लोबल वार्मिंग

2 सितम्बर 2022
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प्रिय सखी।कैसी हो। हम अच्छे है बस आज के दैनिक प्रतियोगिता के विषय के अनुरूप थोड़ा दिमाग गरम है । आखिरकार पुस्तक लेखन प्रतियोगिता के परिणाम घोषित हो गये ।वही कछुआ खरगोश की कहानी याद आ गयी ।बस अब

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5/9/2022

5 सितम्बर 2022
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प्रिय सखी।कैसी हो।मै अच्छी हूं ‌।कल ही समूह मे शैलेश जी किसी लेखक को प्रतियोगिता का विवरण दे रहे थे।उसमे उन्होंने कहा कि पुस्तक प्रतियोगिता में पेड पुस्तक दोनों ही पहले द्वीतिय स्थान पर आयी है।हमने भी

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6/9/2022:-सोशल मीडिया की ताक़त

6 सितम्बर 2022
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प्रिय सखी।कैसी हो ।हम अच्छे है ।आज एक लेख पढ़ा ।सच मे सखी लेख पढ़ कर हंसी आ गयी।"एक तो चोरी ऊपर से सीना जोरी" यह कहावत उस लेख पर पूरी तरह से फिट बैठती थी।अपने को सच और दूसरे को झूठा साबित करने की होड़

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7/9/2022 :- टाइम ट्रैवल

7 सितम्बर 2022
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प्रिय सखी ।कैसी हो ।हम अच्छे है और मौज से है ।आज ही हमारी एक और किताब ने सौ का आंकड़ा पार कियाहै मतलब वो सौ लोगों के पुस्तकालय में रखी गयी है। किताब का नाम है "मै ओरत हूं .... इसलिए।"लगातार पाठक संख्य

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9/9/2022 :-रेल यात्रा

9 सितम्बर 2022
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प्रिय सखी।कैसी हो ।हम ठीक ही है ।आज घर पर ही है देहली शोप पर नही गये।तबीयत ठीक नही है।कुछ नया उपन्यास लिख रहे है एक मंच पर बस उसी मे व्यस्त रहते है। फ़ालतू का सोचने का समय ही नही लगता।अब अगस्त की पुस्

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11/9/2022:- मानसिक स्वास्थ्य

11 सितम्बर 2022
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प्रिय सखी।कैसी हो।हम ठीक है और अपनी देहली वाली शोप पर बैठे तुम्हें याद कर रहे थे।आज रविवार को सुबह ही सुबह आ गये हम ।कयोकि यहां कपड़ों के व्यापारी सुबह सुबह ही आते है रविवार को। तबीयत नासाज थी लेकिन फ

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13/9/2022:- बचपन की मित्रता

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प्रिय सखी।कैसी हो ।हम अच्छे है । औरों का पता नही हम पूर्णतः स्वस्थ है। हां लोग कोशिश करते है अपनी बीमारी दूसरे पर लादकर उसे बीमार घोषित करने मे लगे रहते है पर जनता और जानकार बेवकूफ नहीं है उन्हें समझ

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16/9/2022:- पितृपक्ष

16 सितम्बर 2022
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प्रिय सखी।कैसी हो। हम अच्छे है ।कल ही पतिदेव की दादी जी का श्राद्ध था।मौसम भी बदल रहा है तुम से गुजारिश अपना ख्याल रखा करो ।आज का विषय:-पितृपक्षजो आजकल चल रहा है अश्विनी मास की कृष्ण पक्ष को पित

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17/9/2022:- नारीवाद

17 सितम्बर 2022
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प्रिय सखी।कैसी हो ।हम अच्छे है और मजे से है ।आजकल देहली शोप पर नही जा रही हूं ।कल बैंक का काम था सोई उसे निपटाते हुए बारह यही बज गये ।फिर देहली गये ही नही। कुछ दिनों से फरीदाबाद में मौसम खराब ही चल रह

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18/9/2022:- अंधविश्वास

18 सितम्बर 2022
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प्रिय सखी।कैसी हो।हम अच्छे है और देहली शोप पर है।आजकल श्राद्ध पक्ष के कारण लोग कपड़ा कम खरीद रहे है इसलिए काम थोड़ा ढीला है ।ये लोगों का अंधविश्वास नही तो और क्या है । क्या हमारे पूर्वज हमे अच्छे कपड़

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19/9/2022:- अंधविश्वास

19 सितम्बर 2022
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प्रिय सखी ।कैसी हो ।मै अच्छी हूं ।अब की बार पुस्तक लेखन प्रतियोगिता में भाग ना लेने का विचार किया है ।बस मन नही करता ऐसे जीत हासिल करने से ।जब फोन वेरिफिकेशन होने लगेगा और रियल पाठक बढ़ेंगे रचनाओं पर

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20/9/2022:-- नारी शक्ति का दुर्पयोग

20 सितम्बर 2022
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हैलो सखी।कैसी हो ।कल रात तो जम कर मेघा बरसे ।बस देहली शोप पर आते समय थोड़ा रास्ते मे दिक्कत होती है जगह जगह जल भराव हो जाता है बाकी जो मौसम मे उमस थी उससे काफी निजात मिली।शोप पर आकर बैठे और मोबाइल खोल

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22/9/2022:- मेरी पहली पढ़ी पुस्तक

22 सितम्बर 2022
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प्रिय सखी। कैसी हो । मै अच्छी हूं । बारिश बहुत हो रही है तीन दिनों से ।बस सारा दिन ऐसे ही बीत जाता है कुछ समय उपन्यास लिखने मे तो कुछ और व्यस्तताएं है ।बस दिन पता ही नही चलता ।हमारी मां कहती है य

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23/9/2022:-- शर्मशार होती इंसानियत

23 सितम्बर 2022
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प्रिय सखी ।कैसी है ।हम अच्छे है और मौसम से दुःखी है । लगातार बरसात हो रही है ।आज तुम्हें पता है दैनिक प्रतियोगिता का विषय बड़ा ही उम्दा है । "शर्मशार होती इंसानियत "सच मे सखी कहां नही है इंसानियत शर्म

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