6 सितम्बर 2022
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मैं मोनिका गर्ग, फरीदाबाद, हरियाणा मेरा निवास स्थान है। लिखने का शौक बचपन से ही था। बहुत छोटी उम्र से ही लेखनी के सिपाही बनने की कोशिश की। हम उम्र बच्चे जहां गुड्डा गुडिया का खेल खेलते थे, मिट्टी के घरोंदें बनाते थे हम कलम के माध्यम से कागज पर उन घरोंदों के सुख दुःख उकेरते थे।महज बारह साल की उम्र में अपनी पहली कहानी "भिखमंगे" लिखी। फिर माँ सरस्वती के चरणों की उपासना करते करते कलम के सिपाही बनती चली गयी। आज हमारी बहुत सी कहानियाँ बहुत से मंचों पर सराही जाती हैं। एक मंच के लिए सहलेखन भी किया। Shabd.in, लेखिनी, प्रतिलिपि, स्टोरी मिरर, रश्मिरथी, शीरोज जैसे बहुत से मंच है जहाँ हमारा लेखन सतत् जारी है। हम ज्यादातर शार्ट स्टोरीज ही लिखते है।बाकि अभी तक चार उपन्यास भी लिखे चुके हैं। हमारी Shabd.in मंच के माध्यम से तीन किताबें पेपरबैक में प्रकाशित हो चुकी है। "मन की बातें", "रोचक व शिक्षाप्रद कहानियां" और "आखिर खता क्या थी मेरी" बहुत सी किताबें ई-बुक के रूप में भी Shabd.in पर उपलब्ध है। अब और क्या कहें बस इतना ही अपने विषय में कहेंगे। हमसे रचना तब होती है जब "भावनात्मक विचारों का ऐसा तूफान आता है कि जब तक उसे कागज पर ना उतार दें आत्मा को चैन नहीं मिलता।"D
बहुत ही अच्छी व्याख्या करी आपने सोशल मीडिया की।
6 सितम्बर 2022
बिल्कुल आपकी बात से सहमत है मैम आजकल ऐसे लोगो से सामना अक्सर हो रहा जो खुद गलत कर के दूसरों को गलत का ढिंढोरा पीटते अब क्या करे मैम अब तो उन लोगों की सोच पर हंसी भी नही आती पर आपका कहना भी सही है उनका कर ही क्या सकते है । सिवाय देखने के किसी पर अब कोई जोर हो चलता नही उन्हें रोक सके हम बस हम तो अपना काम ही करते रहे बस खामोशी से जो करे गलत सो करे
6 सितम्बर 2022
बिल्कुल सही काव्या जी ,मै देख रही हूं मेरी पिछली किताब लडके रोया नही करते के साथ ऐसा ही हुआ था । फेंक पाठक बढाने वाले जीत गये थे ।पर हमे कोई फर्क नही पड़ता मैन मुद्दा ये है कि हमे प्रसिद्धि मिल रही है या नही ।वो हमे मिल रही है हमारी किताब पर अब भी लगातार पाठक बढ़ रहे है ।और समीक्षाएं भी आ रही है और किताब खरीदी भी जा रही है । लेकिन उनकी वैसे की वैसी है मतलब कोई पाठक संख्या नही बढ़ी है ।अब भगवान ही मालिक है ऐसे बंदों का
ऐसा ही होता है लोग स्वयं वही काम करते है और लोगों के सामने भले बन जाते है कि हम तो ये काम कर ही नही सकते। कहावत है "औरो ने बैंगन बाये रे खुद को बैंगन पच"
6 सितम्बर 2022