shabd-logo

23/9/2022:-- शर्मशार होती इंसानियत

23 सितम्बर 2022

67 बार देखा गया 67
प्रिय सखी ।
कैसी है ।हम अच्छे है और मौसम से दुःखी है । लगातार बरसात हो रही है ।आज तुम्हें पता है दैनिक प्रतियोगिता का विषय बड़ा ही उम्दा है । "शर्मशार होती इंसानियत "
सच मे सखी कहां नही है इंसानियत शर्मशार ।आज मानव मानव का दुश्मन बना बैठा है ।सरेआम लड़कियों से छेड़छाड़ होती है पर आवाज कोई नही उठाता बल्कि आज इंटरनेट के जमाने मे विडियो बनाकर नेट पर और डाल देते है ।
अभी ताजा ताजा इंसानियत शर्मशार हुई है पंजाब मे एक गर्ल्स हॉस्टल में नहाती लड़कियों की विडियो बनाई गयी । क्या वो किसी की बहन बेटी नही थी । हमेशा गलत काम करते समय यही सोचना चाहिए कि इसके जगह हमारे अपने होते तो।
मैंने एक विडियो देखा था पता नही कहां का था एक औरत को उसका पति और सास सरेआम सब के सामने डंडों से पीट रहे थे और उसे मार मार कर अधमरा कर दिया था पर फिर भी लोग उसे बचाने के बजाए उसका विडियो बना रहे थे।
इसी विषय पर बहुत पहले एक कहानी लिखी थी वो यहां बता रही हूं

"निर्भया ही नही हूं मै बस....

आज हर जगह निर्भया ही निर्भया का जिक्र हो रहा है।क्या आप ने कभी सोचा।केवल शारीरिक शोषण ही शोषण नही होता ।मानसिक शोषण भी एक प्रकार का बलत्कार ही है
बस कोई घटना प्रकाश मे आ जाती है तो चारों तरफ त्राहि त्राहि होने लगती है।सडकों पर कैंडल मार्च होने लगते है।हमारे कवियों और लेखकों की ओजपूर्ण कविताएँ और लेख ,कहानी प्रकाशित होने लगते है।उनका क्या जो नजरों से बलात्कार सहन करती है।तीन घटनाएं मेरे ज़ेहन मे है जो नजरों से होने वाले बलत्कार को दर्शाती है ।
1....घर मे चहल-पहल है शादी है घर मे।कली ने खूब दौड़ दौड कर काम किया ।बस अब विदाई होने वाली है।कली काफी समय से देख रही है फूफा जी की नजरें उसका पीछा कर रही है।जो उन्हे बेटा बेटा कहते नही थकते थे आज अजीब सी नजरों से देख रहे है।कली बिल्कुल थक चुकी है।बहन की विदाई हो चुकी है।कली के पैर लड़खड़ाने लगें है ।बस अब कही जगह मिल जाए और वो पसर जाए।माँ आवाज़ लगा रही है कली को पर छोटी सी कली थकान से बेहाल है।जगह मिलते ही कली सो जाती है ऊपर के कमरे मे उस कमरे मे बहुत से रिश्तेदार सो रहे है।कली को बेहोशी वाली नींद आती है।जब सोई थी तो खाली पलंग पर सोई थी और जब उठी तो वही फूफा जी उसके पलंग पर सो रहे है। कली के मन मे ये विचार आता है कि उसे तो कुछ याद नहीं कभी फूफा जी ने कुछ ........
2....  कली की शादी हो चुकी है।एक बेटे की माँ है बेटा छह महीने का है।एक बार जेठ जी के यहाँ जाना होता है।पति अपने भाई से बातों मे मस्त है।जेठानी मायके गयी हुई है।एक कमरे का घर है।अचानक बेटा दूध के लिए मचलता है। कली को ना चाहते हुए भी पीठ मोड़ कर बेटे की दूध पिलाना  पडता है।कली सामने शीशे मे देख रही है ।जेठ जी की आँखे उसकी पीठ पर गड़ी  हुई है।बस इस ताक मे है कब पल्ला ढलके  कब कुछ दिखे।.........
3.........कली अब पैंतालीस साल की है।एक दिन अपने स्नानघर मे नहा रही है।स्नानघर की छोटी विंडो ऊपर वाले फ्लैट वालों की सीढियों मे लगती है।जिसमें एगजोसट फैन लगा है।कली अपनी मस्ती मे नहा रही है ।नहा कर जैसे ही टावल उठाती है।उसे अपने शरीर पर ऐसा लगता है जैसे किसी की नजरें उसके शरीर पर गडी हुई है।जब वह हडबडा कर देखती है तो पाती है उस विंडो से कोई झांक रहा है।कली जोर से चिल्लाती है।,"कौन है वहाँ पर?"इतने मे वह शख्स भाग जाता है।कली आज मानसिक रूप से अपने आप को बलत्कार का शिकार  महसूस कर रही है।.........

है कोई जवाब आप बुद्धि जीवियो के पास।हर नारी को इन परिस्थितियों से दो चार होना पड़ता है।जब वे मानसिक बलत्कार का शिकार होती है।बस लोगो की नजर मे निर्भया ही नही बन पाती।.......

अब देखो सखी इंसानियत कहां शर्मशार नही है ।
अब चलती हूं अलविदा 
15
रचनाएँ
दैनंदिनी सखी (सितम्बर) 2022
4.5
सितम्बर माह जिसमे पूर्वजों को याद करें गे।उनको श्राद्ध अर्पित करके‌।और बहुत सी बाते होंगी सखी जब हम तुम साथ रहें गे।
1

1/9/2022 :-गणेश चतुर्थी

1 सितम्बर 2022
65
26
3

प्रिय सखी।कैसी हो ।पता है दो दिन मे हमारे साथ क्या कुछ नही घटा।अब तुम से मिल नही सकते थे । क्यों कि हमने डायरी पूर्ण मार्क कर दी थी।सोई इंतजार कर रहे थे कि कब तुम से मुलाकात हो और हम मन की बात तुम्हें

2

2/9/2022:- ग्लोबल वार्मिंग

2 सितम्बर 2022
45
25
3

प्रिय सखी।कैसी हो। हम अच्छे है बस आज के दैनिक प्रतियोगिता के विषय के अनुरूप थोड़ा दिमाग गरम है । आखिरकार पुस्तक लेखन प्रतियोगिता के परिणाम घोषित हो गये ।वही कछुआ खरगोश की कहानी याद आ गयी ।बस अब

3

5/9/2022

5 सितम्बर 2022
26
20
1

प्रिय सखी।कैसी हो।मै अच्छी हूं ‌।कल ही समूह मे शैलेश जी किसी लेखक को प्रतियोगिता का विवरण दे रहे थे।उसमे उन्होंने कहा कि पुस्तक प्रतियोगिता में पेड पुस्तक दोनों ही पहले द्वीतिय स्थान पर आयी है।हमने भी

4

6/9/2022:-सोशल मीडिया की ताक़त

6 सितम्बर 2022
47
29
5

प्रिय सखी।कैसी हो ।हम अच्छे है ।आज एक लेख पढ़ा ।सच मे सखी लेख पढ़ कर हंसी आ गयी।"एक तो चोरी ऊपर से सीना जोरी" यह कहावत उस लेख पर पूरी तरह से फिट बैठती थी।अपने को सच और दूसरे को झूठा साबित करने की होड़

5

7/9/2022 :- टाइम ट्रैवल

7 सितम्बर 2022
26
13
0

प्रिय सखी ।कैसी हो ।हम अच्छे है और मौज से है ।आज ही हमारी एक और किताब ने सौ का आंकड़ा पार कियाहै मतलब वो सौ लोगों के पुस्तकालय में रखी गयी है। किताब का नाम है "मै ओरत हूं .... इसलिए।"लगातार पाठक संख्य

6

9/9/2022 :-रेल यात्रा

9 सितम्बर 2022
26
17
0

प्रिय सखी।कैसी हो ।हम ठीक ही है ।आज घर पर ही है देहली शोप पर नही गये।तबीयत ठीक नही है।कुछ नया उपन्यास लिख रहे है एक मंच पर बस उसी मे व्यस्त रहते है। फ़ालतू का सोचने का समय ही नही लगता।अब अगस्त की पुस्

7

11/9/2022:- मानसिक स्वास्थ्य

11 सितम्बर 2022
25
13
3

प्रिय सखी।कैसी हो।हम ठीक है और अपनी देहली वाली शोप पर बैठे तुम्हें याद कर रहे थे।आज रविवार को सुबह ही सुबह आ गये हम ।कयोकि यहां कपड़ों के व्यापारी सुबह सुबह ही आते है रविवार को। तबीयत नासाज थी लेकिन फ

8

13/9/2022:- बचपन की मित्रता

13 सितम्बर 2022
18
9
0

प्रिय सखी।कैसी हो ।हम अच्छे है । औरों का पता नही हम पूर्णतः स्वस्थ है। हां लोग कोशिश करते है अपनी बीमारी दूसरे पर लादकर उसे बीमार घोषित करने मे लगे रहते है पर जनता और जानकार बेवकूफ नहीं है उन्हें समझ

9

16/9/2022:- पितृपक्ष

16 सितम्बर 2022
9
1
1

प्रिय सखी।कैसी हो। हम अच्छे है ।कल ही पतिदेव की दादी जी का श्राद्ध था।मौसम भी बदल रहा है तुम से गुजारिश अपना ख्याल रखा करो ।आज का विषय:-पितृपक्षजो आजकल चल रहा है अश्विनी मास की कृष्ण पक्ष को पित

10

17/9/2022:- नारीवाद

17 सितम्बर 2022
13
7
1

प्रिय सखी।कैसी हो ।हम अच्छे है और मजे से है ।आजकल देहली शोप पर नही जा रही हूं ।कल बैंक का काम था सोई उसे निपटाते हुए बारह यही बज गये ।फिर देहली गये ही नही। कुछ दिनों से फरीदाबाद में मौसम खराब ही चल रह

11

18/9/2022:- अंधविश्वास

18 सितम्बर 2022
20
8
1

प्रिय सखी।कैसी हो।हम अच्छे है और देहली शोप पर है।आजकल श्राद्ध पक्ष के कारण लोग कपड़ा कम खरीद रहे है इसलिए काम थोड़ा ढीला है ।ये लोगों का अंधविश्वास नही तो और क्या है । क्या हमारे पूर्वज हमे अच्छे कपड़

12

19/9/2022:- अंधविश्वास

19 सितम्बर 2022
12
6
0

प्रिय सखी ।कैसी हो ।मै अच्छी हूं ।अब की बार पुस्तक लेखन प्रतियोगिता में भाग ना लेने का विचार किया है ।बस मन नही करता ऐसे जीत हासिल करने से ।जब फोन वेरिफिकेशन होने लगेगा और रियल पाठक बढ़ेंगे रचनाओं पर

13

20/9/2022:-- नारी शक्ति का दुर्पयोग

20 सितम्बर 2022
16
6
1

हैलो सखी।कैसी हो ।कल रात तो जम कर मेघा बरसे ।बस देहली शोप पर आते समय थोड़ा रास्ते मे दिक्कत होती है जगह जगह जल भराव हो जाता है बाकी जो मौसम मे उमस थी उससे काफी निजात मिली।शोप पर आकर बैठे और मोबाइल खोल

14

22/9/2022:- मेरी पहली पढ़ी पुस्तक

22 सितम्बर 2022
15
5
0

प्रिय सखी। कैसी हो । मै अच्छी हूं । बारिश बहुत हो रही है तीन दिनों से ।बस सारा दिन ऐसे ही बीत जाता है कुछ समय उपन्यास लिखने मे तो कुछ और व्यस्तताएं है ।बस दिन पता ही नही चलता ।हमारी मां कहती है य

15

23/9/2022:-- शर्मशार होती इंसानियत

23 सितम्बर 2022
15
6
0

प्रिय सखी ।कैसी है ।हम अच्छे है और मौसम से दुःखी है । लगातार बरसात हो रही है ।आज तुम्हें पता है दैनिक प्रतियोगिता का विषय बड़ा ही उम्दा है । "शर्मशार होती इंसानियत "सच मे सखी कहां नही है इंसानियत शर्म

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए