shabd-logo

11/9/2022:- मानसिक स्वास्थ्य

11 सितम्बर 2022

83 बार देखा गया 83
प्रिय सखी।
कैसी हो।हम ठीक है और अपनी देहली वाली शोप पर बैठे तुम्हें याद कर रहे थे।आज रविवार को सुबह ही सुबह आ गये हम ।कयोकि यहां कपड़ों के व्यापारी सुबह सुबह ही आते है रविवार को। तबीयत नासाज थी लेकिन फिर भी पतिदेव बोले कि आज तो जाना ही पड़ेगा क्योंकि आज भीड़ होती है।हम भी सोचे कि चलों चल पड़ेंगे।अभी नौ ही बजे है दो व्यापारी तो माल ले जा चुके है ।
अब बात आज की दैनिक प्रतियोगिता की।
आज का विषय है :- मानसिक स्वास्थ्य
अब सखी तुम्हें क्या बताऊं आज के समय मे हर तीसरे व्यक्ति को मानसिक बीमारी है ।जिसके बहुत से कारण है ।काम का स्ट्रेस ही इतना होता है कि छोटे छोटे बच्चे भी इस बीमारी से ग्रस्त हो रहे है।
कल ही दीपिका पादुकोण का कौन बने गा करोड़ पति मे एक इंटरव्यू देख रहे थे।वो भी किसी समय मानसिक बीमारी से ग्रस्त थी वो अपने अनुभव बता रही थी कि किस प्रकार शीर्ष पर होने के बाद भी सफल होने के बाद भी वो इस बीमारी से ग्रस्त हो गई।
बहुत सी बातें होती है जीवन मे जो मनुष्य को इस हालातों मे लाकर खड़ा कर देते है कि वो इस बीमारी से ग्रस्त हो जाते है ।अब हमारे पड़ोस मे एक औरत थी उसकी नयी नयी शादी हुई थी ससुराल वाले सारा दिन तंग करते थे मायके से भी चार बहनें ही थी वो पिता थे नही । जिसका फायदा ससुराल वाले उठा रहे थे जिसका परिणाम ये निकला वै औरत अपना मानसिक संतुलन खो बैठी।
कयी लोगों मे एक अजीब तरीके की मानसिक बीमारी होती है वो किसी दूसरे को आगे बढ़ता देख नहीं सकते । स्वयं वही काम करते है और दूसरों से अपेक्षा रखते है कि वो वही काम ना करे।एक होड़ सी लगी रहती है अपने आप को शीर्ष पर देखने की।जिसके लिए वो किसी का कुछ भी नुकसान कर सकते है।
बहुत से लोगों मे ये भी देखा गया है वो अपने आप को हमेशा ठीक समझते है।मतलब गलत काम भी करेंगे तो वो ठीक है।ये मानसिक बीमारी नही तो और क्या है।
मानसिक बीमारी का वैसे कोई इलाज नहीं है।बस अपनी डेली रूटीन में बदलाव लाने होते है ।खूब व्यायाम करे ,सुबह मार्निंग वाक पर जाएं ,अपने खाने पीने का ध्यान रखे।और जितना हो सके काम के बोझ को अपने ऊपर हावी ना होने दे।
अब चलते है सखी और व्यापारी आ गये है माल खरीदने । अच्छा सखी। अलविदा।
सुनीता

सुनीता

सही कह रही है आप । बहुत से लोग सनकी और विक्षप्त होते है ।वो अपनी हार होती देख नही सकते। इसलिए जीतने के लिए कोई भी तरीका अपना लेते है

14 सितम्बर 2022

कुलदीप सिंह

कुलदीप सिंह

आप मन छोटा ना करे ।जो जैसा करेगा ।उसे भगवान देखता है

13 सितम्बर 2022

AZAD AAINA

AZAD AAINA

बहुत सुंदर मार्गदर्शन

11 सितम्बर 2022

15
रचनाएँ
दैनंदिनी सखी (सितम्बर) 2022
4.5
सितम्बर माह जिसमे पूर्वजों को याद करें गे।उनको श्राद्ध अर्पित करके‌।और बहुत सी बाते होंगी सखी जब हम तुम साथ रहें गे।
1

1/9/2022 :-गणेश चतुर्थी

1 सितम्बर 2022
65
26
3

प्रिय सखी।कैसी हो ।पता है दो दिन मे हमारे साथ क्या कुछ नही घटा।अब तुम से मिल नही सकते थे । क्यों कि हमने डायरी पूर्ण मार्क कर दी थी।सोई इंतजार कर रहे थे कि कब तुम से मुलाकात हो और हम मन की बात तुम्हें

2

2/9/2022:- ग्लोबल वार्मिंग

2 सितम्बर 2022
45
25
3

प्रिय सखी।कैसी हो। हम अच्छे है बस आज के दैनिक प्रतियोगिता के विषय के अनुरूप थोड़ा दिमाग गरम है । आखिरकार पुस्तक लेखन प्रतियोगिता के परिणाम घोषित हो गये ।वही कछुआ खरगोश की कहानी याद आ गयी ।बस अब

3

5/9/2022

5 सितम्बर 2022
26
20
1

प्रिय सखी।कैसी हो।मै अच्छी हूं ‌।कल ही समूह मे शैलेश जी किसी लेखक को प्रतियोगिता का विवरण दे रहे थे।उसमे उन्होंने कहा कि पुस्तक प्रतियोगिता में पेड पुस्तक दोनों ही पहले द्वीतिय स्थान पर आयी है।हमने भी

4

6/9/2022:-सोशल मीडिया की ताक़त

6 सितम्बर 2022
47
29
5

प्रिय सखी।कैसी हो ।हम अच्छे है ।आज एक लेख पढ़ा ।सच मे सखी लेख पढ़ कर हंसी आ गयी।"एक तो चोरी ऊपर से सीना जोरी" यह कहावत उस लेख पर पूरी तरह से फिट बैठती थी।अपने को सच और दूसरे को झूठा साबित करने की होड़

5

7/9/2022 :- टाइम ट्रैवल

7 सितम्बर 2022
26
13
0

प्रिय सखी ।कैसी हो ।हम अच्छे है और मौज से है ।आज ही हमारी एक और किताब ने सौ का आंकड़ा पार कियाहै मतलब वो सौ लोगों के पुस्तकालय में रखी गयी है। किताब का नाम है "मै ओरत हूं .... इसलिए।"लगातार पाठक संख्य

6

9/9/2022 :-रेल यात्रा

9 सितम्बर 2022
26
17
0

प्रिय सखी।कैसी हो ।हम ठीक ही है ।आज घर पर ही है देहली शोप पर नही गये।तबीयत ठीक नही है।कुछ नया उपन्यास लिख रहे है एक मंच पर बस उसी मे व्यस्त रहते है। फ़ालतू का सोचने का समय ही नही लगता।अब अगस्त की पुस्

7

11/9/2022:- मानसिक स्वास्थ्य

11 सितम्बर 2022
25
13
3

प्रिय सखी।कैसी हो।हम ठीक है और अपनी देहली वाली शोप पर बैठे तुम्हें याद कर रहे थे।आज रविवार को सुबह ही सुबह आ गये हम ।कयोकि यहां कपड़ों के व्यापारी सुबह सुबह ही आते है रविवार को। तबीयत नासाज थी लेकिन फ

8

13/9/2022:- बचपन की मित्रता

13 सितम्बर 2022
18
9
0

प्रिय सखी।कैसी हो ।हम अच्छे है । औरों का पता नही हम पूर्णतः स्वस्थ है। हां लोग कोशिश करते है अपनी बीमारी दूसरे पर लादकर उसे बीमार घोषित करने मे लगे रहते है पर जनता और जानकार बेवकूफ नहीं है उन्हें समझ

9

16/9/2022:- पितृपक्ष

16 सितम्बर 2022
9
1
1

प्रिय सखी।कैसी हो। हम अच्छे है ।कल ही पतिदेव की दादी जी का श्राद्ध था।मौसम भी बदल रहा है तुम से गुजारिश अपना ख्याल रखा करो ।आज का विषय:-पितृपक्षजो आजकल चल रहा है अश्विनी मास की कृष्ण पक्ष को पित

10

17/9/2022:- नारीवाद

17 सितम्बर 2022
13
7
1

प्रिय सखी।कैसी हो ।हम अच्छे है और मजे से है ।आजकल देहली शोप पर नही जा रही हूं ।कल बैंक का काम था सोई उसे निपटाते हुए बारह यही बज गये ।फिर देहली गये ही नही। कुछ दिनों से फरीदाबाद में मौसम खराब ही चल रह

11

18/9/2022:- अंधविश्वास

18 सितम्बर 2022
20
8
1

प्रिय सखी।कैसी हो।हम अच्छे है और देहली शोप पर है।आजकल श्राद्ध पक्ष के कारण लोग कपड़ा कम खरीद रहे है इसलिए काम थोड़ा ढीला है ।ये लोगों का अंधविश्वास नही तो और क्या है । क्या हमारे पूर्वज हमे अच्छे कपड़

12

19/9/2022:- अंधविश्वास

19 सितम्बर 2022
12
6
0

प्रिय सखी ।कैसी हो ।मै अच्छी हूं ।अब की बार पुस्तक लेखन प्रतियोगिता में भाग ना लेने का विचार किया है ।बस मन नही करता ऐसे जीत हासिल करने से ।जब फोन वेरिफिकेशन होने लगेगा और रियल पाठक बढ़ेंगे रचनाओं पर

13

20/9/2022:-- नारी शक्ति का दुर्पयोग

20 सितम्बर 2022
16
6
1

हैलो सखी।कैसी हो ।कल रात तो जम कर मेघा बरसे ।बस देहली शोप पर आते समय थोड़ा रास्ते मे दिक्कत होती है जगह जगह जल भराव हो जाता है बाकी जो मौसम मे उमस थी उससे काफी निजात मिली।शोप पर आकर बैठे और मोबाइल खोल

14

22/9/2022:- मेरी पहली पढ़ी पुस्तक

22 सितम्बर 2022
15
5
0

प्रिय सखी। कैसी हो । मै अच्छी हूं । बारिश बहुत हो रही है तीन दिनों से ।बस सारा दिन ऐसे ही बीत जाता है कुछ समय उपन्यास लिखने मे तो कुछ और व्यस्तताएं है ।बस दिन पता ही नही चलता ।हमारी मां कहती है य

15

23/9/2022:-- शर्मशार होती इंसानियत

23 सितम्बर 2022
15
6
0

प्रिय सखी ।कैसी है ।हम अच्छे है और मौसम से दुःखी है । लगातार बरसात हो रही है ।आज तुम्हें पता है दैनिक प्रतियोगिता का विषय बड़ा ही उम्दा है । "शर्मशार होती इंसानियत "सच मे सखी कहां नही है इंसानियत शर्म

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए