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9/9/2022 :-रेल यात्रा

9 सितम्बर 2022

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प्रिय सखी।
कैसी हो ।हम ठीक ही है ।आज घर पर ही है देहली शोप पर नही गये।तबीयत ठीक नही है।कुछ नया उपन्यास लिख रहे है एक मंच पर बस उसी मे व्यस्त रहते है। फ़ालतू का सोचने का समय ही नही लगता।
अब अगस्त की पुस्तक लेखन प्रतियोगिता की किताब का प्रमोशन कर रहे है। परिणाम जानते हुए भी प्रमोशन कर रहे है । आख़िर जीत झूठ की ही होती है । लेकिन निरन्तर प्रयास करना हमारा काम है ।कल जो दैनिक प्रतियोगिता का विषय था उस पर हम लिखना चाहते थे पर देहली शोप पर बहुत व्यस्त हो गये थे लिख ही नही पाये।पर आज का विषय भी रोचक विषय है ।आज का विषय है :-रेल यात्रा
हमने बहुत सी रेल यात्रा की है मेरी पहली रेल यात्रा मुझे याद है ।मै महज पांच साल की थी मुझे उसके कुछ कुछ अंश याद है । बाकि सब जब मै बड़ी हुई तो मेरे मम्मी पापा ने बताया कि उस दिन क्या हुआ था।
बात तब की है जब मेरे चाचा जी की शादी हुई थी मेरे चाचाजी ने तब लव मैरिज की थी।मेरे चाचा जी मेरी बुआ जी के यहां लखनऊ मे रहते थे।वही चाची से मुलाकात हुई ओर धीरे धीरे बात शादी तक पहुंच गयी।अब तो लड़की वाले अपना सारा सामान उठा कर लड़के वालों के शहर आकर बेटी की शादी कर जाते है पहले ऐसा नही होता था ।चाहे लड़के वाले कितनी ही दूर हो वो बारात लेकर जाते थे ।सोई मेरे चाचा की शादी मे हमारा सारा कुनबा लखनऊ जा रहा था।मेरी पांच बुआ ,सारे फूफा जी,उनके बच्चे, ताऊजी,ताईजी,मेरे कजिन भाई बहन जिसमें से आधे घर ही रहे थे आधे साथ गये थे।टोटल पुरोहित समेत पचास बंदे हो गये थे
इसलिए दादाजी ने ट्रेन का पूरा डिब्बा बुक करवा दिया था । मुझे याद है। हमारा पुरोहित थोड़ा मजाकिया किस्म का बुढ़ा था।मेरे दादाजी और वो आमने सामने की सीट पर बैठे थे खिड़की के पास । मुझे हल्का हल्का याद है मेरे दादा जी ने मुझे अपने पास बुलाया क्यों कि ट्रेन कही आउटर पर खड़ी थी और एक हाथी हमारी ट्रेन के पास आ गया था । मुझे याद है मेरे दादा जी ने मुझे गोद मे उठाकर कहा,"ले मुंडो(हां मेरे दादाजी प्यार से हम पोतियों को मुंडो कहते थे) यो केला हाथी के मुह मे दे दे।"
सच मे मुझे बड़ा डर लग रहा था हांलांकि मै मेरे दादा जी की गोद मे थी फिर भी मैने डरते डरते केला हाथी के मुंह मे देना चाह लेकिन क्या इतेफाक बना तभी ट्रेन चल पड़ी।हमारे पुरोहित ने जहां से मै केला हाथी को खिला रही थी उस खिड़की मे बाहर हाथ निकाल कर हाथी को बुला रहा था ।वो मेरी तरफ देख रहा था की मै केला हाथी को खिलाऊ पर मैने डरके मारे केला उनके हाथ मे रख दिया इतने मे हाथी ने अपनी सूंड उनके हाथ पर इतनी जोर से मारी कि वो "दैया रे। मार डाला" ऐसे कहकर खिड़की से हाथ अंदर खीच लिया।
बेचारे पुरोहित जी को उल्टे हाथ से चाचा चाची के फेरे करवाने पड़े।
फिर पूरा डिब्बा बुक था सारे डिब्बे मे घरके ही सदस्य थे ।मेरी मम्मी रास्ते के लिए बहुत सा खाना साथ लेकर गये थे।खुब सबने मिलकर खाया। फूफाजी लोगों और पापाजी की जमकर ताशबाजी हुई।खूब मजा आ रहा था।रात को किसी स्टेशन पर ट्रेन रुकी तो एक चोर डिब्बे में घुस आया उसने मेरी बडी बुआ जिनकी धौंस थी पूरे घर में उनकी सोने की चेन पर हाथ साफ करना चाहा तो पापाजी और ताऊजी, फूफाजी ने मिलकर खूब पिटाई की मेरी एक बुआ थोड़ी ज्यादा मोटी है वो तो उसे नीचे गिराकर उसके उपर ही बैठ गयी। हाहाहाहाहा।
सच मे बहुत मजा आया था मेरी पहली ट्रेन यात्रा मे।
पता नही क्यों मुझे तो जिंदगी भी एक ट्रेन की तरह लगती है ।नित नये मुसाफिर आते है डिब्बे मे ,जिन का सफर पूरा हो जाता है वो स्टेशन पर उतर जाता है और नये मुसाफिर चढ़ जाते है डिब्बे में
अब चलती हूं सखी अलविदा।
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रचनाएँ
दैनंदिनी सखी (सितम्बर) 2022
4.5
सितम्बर माह जिसमे पूर्वजों को याद करें गे।उनको श्राद्ध अर्पित करके‌।और बहुत सी बाते होंगी सखी जब हम तुम साथ रहें गे।
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1/9/2022 :-गणेश चतुर्थी

1 सितम्बर 2022
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प्रिय सखी।कैसी हो ।पता है दो दिन मे हमारे साथ क्या कुछ नही घटा।अब तुम से मिल नही सकते थे । क्यों कि हमने डायरी पूर्ण मार्क कर दी थी।सोई इंतजार कर रहे थे कि कब तुम से मुलाकात हो और हम मन की बात तुम्हें

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2/9/2022:- ग्लोबल वार्मिंग

2 सितम्बर 2022
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प्रिय सखी।कैसी हो। हम अच्छे है बस आज के दैनिक प्रतियोगिता के विषय के अनुरूप थोड़ा दिमाग गरम है । आखिरकार पुस्तक लेखन प्रतियोगिता के परिणाम घोषित हो गये ।वही कछुआ खरगोश की कहानी याद आ गयी ।बस अब

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5/9/2022

5 सितम्बर 2022
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प्रिय सखी।कैसी हो।मै अच्छी हूं ‌।कल ही समूह मे शैलेश जी किसी लेखक को प्रतियोगिता का विवरण दे रहे थे।उसमे उन्होंने कहा कि पुस्तक प्रतियोगिता में पेड पुस्तक दोनों ही पहले द्वीतिय स्थान पर आयी है।हमने भी

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6/9/2022:-सोशल मीडिया की ताक़त

6 सितम्बर 2022
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प्रिय सखी।कैसी हो ।हम अच्छे है ।आज एक लेख पढ़ा ।सच मे सखी लेख पढ़ कर हंसी आ गयी।"एक तो चोरी ऊपर से सीना जोरी" यह कहावत उस लेख पर पूरी तरह से फिट बैठती थी।अपने को सच और दूसरे को झूठा साबित करने की होड़

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7/9/2022 :- टाइम ट्रैवल

7 सितम्बर 2022
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प्रिय सखी ।कैसी हो ।हम अच्छे है और मौज से है ।आज ही हमारी एक और किताब ने सौ का आंकड़ा पार कियाहै मतलब वो सौ लोगों के पुस्तकालय में रखी गयी है। किताब का नाम है "मै ओरत हूं .... इसलिए।"लगातार पाठक संख्य

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9/9/2022 :-रेल यात्रा

9 सितम्बर 2022
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प्रिय सखी।कैसी हो ।हम ठीक ही है ।आज घर पर ही है देहली शोप पर नही गये।तबीयत ठीक नही है।कुछ नया उपन्यास लिख रहे है एक मंच पर बस उसी मे व्यस्त रहते है। फ़ालतू का सोचने का समय ही नही लगता।अब अगस्त की पुस्

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11/9/2022:- मानसिक स्वास्थ्य

11 सितम्बर 2022
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प्रिय सखी।कैसी हो।हम ठीक है और अपनी देहली वाली शोप पर बैठे तुम्हें याद कर रहे थे।आज रविवार को सुबह ही सुबह आ गये हम ।कयोकि यहां कपड़ों के व्यापारी सुबह सुबह ही आते है रविवार को। तबीयत नासाज थी लेकिन फ

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13/9/2022:- बचपन की मित्रता

13 सितम्बर 2022
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प्रिय सखी।कैसी हो ।हम अच्छे है । औरों का पता नही हम पूर्णतः स्वस्थ है। हां लोग कोशिश करते है अपनी बीमारी दूसरे पर लादकर उसे बीमार घोषित करने मे लगे रहते है पर जनता और जानकार बेवकूफ नहीं है उन्हें समझ

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16/9/2022:- पितृपक्ष

16 सितम्बर 2022
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प्रिय सखी।कैसी हो। हम अच्छे है ।कल ही पतिदेव की दादी जी का श्राद्ध था।मौसम भी बदल रहा है तुम से गुजारिश अपना ख्याल रखा करो ।आज का विषय:-पितृपक्षजो आजकल चल रहा है अश्विनी मास की कृष्ण पक्ष को पित

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17/9/2022:- नारीवाद

17 सितम्बर 2022
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प्रिय सखी।कैसी हो ।हम अच्छे है और मजे से है ।आजकल देहली शोप पर नही जा रही हूं ।कल बैंक का काम था सोई उसे निपटाते हुए बारह यही बज गये ।फिर देहली गये ही नही। कुछ दिनों से फरीदाबाद में मौसम खराब ही चल रह

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18/9/2022:- अंधविश्वास

18 सितम्बर 2022
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प्रिय सखी।कैसी हो।हम अच्छे है और देहली शोप पर है।आजकल श्राद्ध पक्ष के कारण लोग कपड़ा कम खरीद रहे है इसलिए काम थोड़ा ढीला है ।ये लोगों का अंधविश्वास नही तो और क्या है । क्या हमारे पूर्वज हमे अच्छे कपड़

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19/9/2022:- अंधविश्वास

19 सितम्बर 2022
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प्रिय सखी ।कैसी हो ।मै अच्छी हूं ।अब की बार पुस्तक लेखन प्रतियोगिता में भाग ना लेने का विचार किया है ।बस मन नही करता ऐसे जीत हासिल करने से ।जब फोन वेरिफिकेशन होने लगेगा और रियल पाठक बढ़ेंगे रचनाओं पर

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20/9/2022:-- नारी शक्ति का दुर्पयोग

20 सितम्बर 2022
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हैलो सखी।कैसी हो ।कल रात तो जम कर मेघा बरसे ।बस देहली शोप पर आते समय थोड़ा रास्ते मे दिक्कत होती है जगह जगह जल भराव हो जाता है बाकी जो मौसम मे उमस थी उससे काफी निजात मिली।शोप पर आकर बैठे और मोबाइल खोल

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22/9/2022:- मेरी पहली पढ़ी पुस्तक

22 सितम्बर 2022
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प्रिय सखी। कैसी हो । मै अच्छी हूं । बारिश बहुत हो रही है तीन दिनों से ।बस सारा दिन ऐसे ही बीत जाता है कुछ समय उपन्यास लिखने मे तो कुछ और व्यस्तताएं है ।बस दिन पता ही नही चलता ।हमारी मां कहती है य

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23/9/2022:-- शर्मशार होती इंसानियत

23 सितम्बर 2022
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प्रिय सखी ।कैसी है ।हम अच्छे है और मौसम से दुःखी है । लगातार बरसात हो रही है ।आज तुम्हें पता है दैनिक प्रतियोगिता का विषय बड़ा ही उम्दा है । "शर्मशार होती इंसानियत "सच मे सखी कहां नही है इंसानियत शर्म

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