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2/9/2022:- ग्लोबल वार्मिंग

2 सितम्बर 2022

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प्रिय सखी।
कैसी हो। हम अच्छे है  बस आज के दैनिक प्रतियोगिता के विषय के अनुरूप थोड़ा दिमाग गरम है । आखिरकार पुस्तक लेखन प्रतियोगिता के परिणाम घोषित हो गये ।वही कछुआ खरगोश की कहानी याद आ गयी ।बस अब की बार जीत खरगोश की हुई। अब और कुछ नही कहना । डायरी लेखन तो करना ही होगा ।पर जब ऐसे प्रतियोगिता जीती जाएं तो मन नही करता प्रतियोगिता में भाग लेने का। अभी अगस्त मे तो लिया ही हुआ है पर अब और आगे भाग नहीं लेंगे।
हमे वास्तविक पाठक हो जिस किताब पर उनकी जीत हो यही टीम से गुजारिश की थी।पर नही यहां पर ऐसा नही है।
अब चलों छोड़ो आज के विषय पर आते है।
आज का विषय है "ग्लोबल वार्मिंग"
वास्तव मे चिंतनीय विषय है।कहते है इस हाथ दे उस हाथ ले।
यही प्रकृति भी कर रही है मानव ने अति कर दी क्या पेड़ काटना, क्या ट्रेफिक प्रदूषण, प्लास्टिक और ना जाने क्या क्या प्रकृति को सताता ही आया है अब बारी प्रकृति की है जवाब देने की और वह ग्लोबल वार्मिंग से जो ग्लेशियर टूट रहे है जो हमारे जल स्त्रोत है उनको पिघला रही है ग्लोबल वार्मिंग।जिसका ताजातरीन उदाहरण पाकिस्तान में आई बाढ है।
ग्लोबल वार्मिग को देखते हुए एक वरिष्ठ पत्रकार ने कहा है"पाकिस्तान के लिए आंतकवाद से बड़ा खतरा जलवायु परिवर्तन है और वही बात सही साबित हुई।
वास्तव मै ग्लोबल वार्मिंग के हम स्वयं जिम्मेदार हैं।आज हर कोई छोटे से छोटे काम के लिए दुपहिया या गाड़ी उठाकर ले चलता है । सड़कों पर चलकर देखो जैसे भट्ठी मे ताप लगती है वैसा ताप महसूस होता है गर्मी मे सड़क पर चलने मे।आज हर घर मे एसी है ।चलो एक हो तो कोई बात नही एक घर मे चार सदस्य है तो चार ही एसी होंगे।कभी एसी के बाहर उसकी बाडी के पीछे खड़े होकर देखा है कैसे भट्ठी जैसे ताप छोड़ते है।फिर पेड़ काटना, और बहुत से कारण है।
मुझे याद है एक दिन मेरे बेटे ने मुझसे पूछा,"ममा पहले लोग बिना बिजली कैसे रहते थे?" तो मैंने उसे बताया कैसे पेड़ के नीचे खाट डाल कर पंखा करते रहते थे।वो बोला रात को एसी मे सोते थे?"
मुझे हंसी आ गयी ।आजकल के बच्चे बिना एसी कूलर के रात को सोना  कल्पना भी नही कर सकते।जिस का परिणाम ग्लोबल वार्मिंग के रूप मे हमारे सामने है।
क्यों ना ये नियम बन जाते जब पूरा परिवार घर हो तो सभी एक ही कमरे मे एसी चला कर बैठे।
कही बाहर जाए तो दुपहिया वाहन मे साइकिल का प्रयोग करे।और ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाए।
अब इतना ही चलती हूं सखी ।मन उदास है। अलविदा।
Shatrudhan Ram

Shatrudhan Ram

यह लेख अच्छी है, लेकिन थोडा शब्द त्रुटि मीला। और ग्लोबल वार्मिंग की वजह लोग ही हैं। और इसके बारे में ज्यादा से ज्यादा लोगों में जागरूकता पैदा हो । धन्यवाद

21 अक्टूबर 2022

जगत सिंह तुर्किया

जगत सिंह तुर्किया

बहुत अच्छा लिखा आपने

2 सितम्बर 2022

anupama verma

anupama verma

बिल्कुल सही कहा आपने ✍️👌💐

2 सितम्बर 2022

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रचनाएँ
दैनंदिनी सखी (सितम्बर) 2022
4.5
सितम्बर माह जिसमे पूर्वजों को याद करें गे।उनको श्राद्ध अर्पित करके‌।और बहुत सी बाते होंगी सखी जब हम तुम साथ रहें गे।
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1/9/2022 :-गणेश चतुर्थी

1 सितम्बर 2022
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प्रिय सखी।कैसी हो ।पता है दो दिन मे हमारे साथ क्या कुछ नही घटा।अब तुम से मिल नही सकते थे । क्यों कि हमने डायरी पूर्ण मार्क कर दी थी।सोई इंतजार कर रहे थे कि कब तुम से मुलाकात हो और हम मन की बात तुम्हें

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2/9/2022:- ग्लोबल वार्मिंग

2 सितम्बर 2022
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प्रिय सखी।कैसी हो। हम अच्छे है बस आज के दैनिक प्रतियोगिता के विषय के अनुरूप थोड़ा दिमाग गरम है । आखिरकार पुस्तक लेखन प्रतियोगिता के परिणाम घोषित हो गये ।वही कछुआ खरगोश की कहानी याद आ गयी ।बस अब

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5/9/2022

5 सितम्बर 2022
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प्रिय सखी।कैसी हो।मै अच्छी हूं ‌।कल ही समूह मे शैलेश जी किसी लेखक को प्रतियोगिता का विवरण दे रहे थे।उसमे उन्होंने कहा कि पुस्तक प्रतियोगिता में पेड पुस्तक दोनों ही पहले द्वीतिय स्थान पर आयी है।हमने भी

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6/9/2022:-सोशल मीडिया की ताक़त

6 सितम्बर 2022
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प्रिय सखी।कैसी हो ।हम अच्छे है ।आज एक लेख पढ़ा ।सच मे सखी लेख पढ़ कर हंसी आ गयी।"एक तो चोरी ऊपर से सीना जोरी" यह कहावत उस लेख पर पूरी तरह से फिट बैठती थी।अपने को सच और दूसरे को झूठा साबित करने की होड़

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7/9/2022 :- टाइम ट्रैवल

7 सितम्बर 2022
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प्रिय सखी ।कैसी हो ।हम अच्छे है और मौज से है ।आज ही हमारी एक और किताब ने सौ का आंकड़ा पार कियाहै मतलब वो सौ लोगों के पुस्तकालय में रखी गयी है। किताब का नाम है "मै ओरत हूं .... इसलिए।"लगातार पाठक संख्य

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9/9/2022 :-रेल यात्रा

9 सितम्बर 2022
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प्रिय सखी।कैसी हो ।हम ठीक ही है ।आज घर पर ही है देहली शोप पर नही गये।तबीयत ठीक नही है।कुछ नया उपन्यास लिख रहे है एक मंच पर बस उसी मे व्यस्त रहते है। फ़ालतू का सोचने का समय ही नही लगता।अब अगस्त की पुस्

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11/9/2022:- मानसिक स्वास्थ्य

11 सितम्बर 2022
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प्रिय सखी।कैसी हो।हम ठीक है और अपनी देहली वाली शोप पर बैठे तुम्हें याद कर रहे थे।आज रविवार को सुबह ही सुबह आ गये हम ।कयोकि यहां कपड़ों के व्यापारी सुबह सुबह ही आते है रविवार को। तबीयत नासाज थी लेकिन फ

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13/9/2022:- बचपन की मित्रता

13 सितम्बर 2022
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प्रिय सखी।कैसी हो ।हम अच्छे है । औरों का पता नही हम पूर्णतः स्वस्थ है। हां लोग कोशिश करते है अपनी बीमारी दूसरे पर लादकर उसे बीमार घोषित करने मे लगे रहते है पर जनता और जानकार बेवकूफ नहीं है उन्हें समझ

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16/9/2022:- पितृपक्ष

16 सितम्बर 2022
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प्रिय सखी।कैसी हो। हम अच्छे है ।कल ही पतिदेव की दादी जी का श्राद्ध था।मौसम भी बदल रहा है तुम से गुजारिश अपना ख्याल रखा करो ।आज का विषय:-पितृपक्षजो आजकल चल रहा है अश्विनी मास की कृष्ण पक्ष को पित

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17/9/2022:- नारीवाद

17 सितम्बर 2022
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प्रिय सखी।कैसी हो ।हम अच्छे है और मजे से है ।आजकल देहली शोप पर नही जा रही हूं ।कल बैंक का काम था सोई उसे निपटाते हुए बारह यही बज गये ।फिर देहली गये ही नही। कुछ दिनों से फरीदाबाद में मौसम खराब ही चल रह

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18/9/2022:- अंधविश्वास

18 सितम्बर 2022
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प्रिय सखी।कैसी हो।हम अच्छे है और देहली शोप पर है।आजकल श्राद्ध पक्ष के कारण लोग कपड़ा कम खरीद रहे है इसलिए काम थोड़ा ढीला है ।ये लोगों का अंधविश्वास नही तो और क्या है । क्या हमारे पूर्वज हमे अच्छे कपड़

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19/9/2022:- अंधविश्वास

19 सितम्बर 2022
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प्रिय सखी ।कैसी हो ।मै अच्छी हूं ।अब की बार पुस्तक लेखन प्रतियोगिता में भाग ना लेने का विचार किया है ।बस मन नही करता ऐसे जीत हासिल करने से ।जब फोन वेरिफिकेशन होने लगेगा और रियल पाठक बढ़ेंगे रचनाओं पर

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20/9/2022:-- नारी शक्ति का दुर्पयोग

20 सितम्बर 2022
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हैलो सखी।कैसी हो ।कल रात तो जम कर मेघा बरसे ।बस देहली शोप पर आते समय थोड़ा रास्ते मे दिक्कत होती है जगह जगह जल भराव हो जाता है बाकी जो मौसम मे उमस थी उससे काफी निजात मिली।शोप पर आकर बैठे और मोबाइल खोल

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22/9/2022:- मेरी पहली पढ़ी पुस्तक

22 सितम्बर 2022
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प्रिय सखी। कैसी हो । मै अच्छी हूं । बारिश बहुत हो रही है तीन दिनों से ।बस सारा दिन ऐसे ही बीत जाता है कुछ समय उपन्यास लिखने मे तो कुछ और व्यस्तताएं है ।बस दिन पता ही नही चलता ।हमारी मां कहती है य

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23/9/2022:-- शर्मशार होती इंसानियत

23 सितम्बर 2022
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प्रिय सखी ।कैसी है ।हम अच्छे है और मौसम से दुःखी है । लगातार बरसात हो रही है ।आज तुम्हें पता है दैनिक प्रतियोगिता का विषय बड़ा ही उम्दा है । "शर्मशार होती इंसानियत "सच मे सखी कहां नही है इंसानियत शर्म

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