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5/9/2022

5 सितम्बर 2022

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प्रिय सखी।
कैसी हो।मै अच्छी हूं ‌।कल ही समूह मे शैलेश जी किसी लेखक को प्रतियोगिता का विवरण दे रहे थे।उसमे उन्होंने कहा कि पुस्तक प्रतियोगिता में पेड पुस्तक दोनों ही पहले द्वीतिय स्थान पर आयी है।हमने भी अपने विचार रख ही दिए कि काश पुस्तक लेखन प्रतियोगिता में भी दूसरा कोई स्थान होता ।पर टीम की तरफ से कोई जवाब नहीं है।मतलब दूसरे लोग फेंक पाठक बढ़ा कर स्थान पा रहे है और हम बोले भी नही।
अब बात आज के विषय की 
सबसे पहले आप सब को अध्यापक दिवस पर शुभकामनाएं।आज के विषय के अनुरूप मेरा एक संस्मरण मुझे याद आ रहा है वो यहां प्रस्तुत है।

वैसे तो जब हम सब स्कूल जाते है तो उस समय सिर पर एक बोझ सा रहता है ।कि आज ये होमवर्क नही कर पाये।वो काम समय पर मैडम को दिखाना था।इसी उधेड़बन मे छात्र की जिन्दगी चलती रहती हैं ।खासकर उस छात्र की जो कक्षा में औसत हो। लेकिन बाद की जिन्दगी में वो  स्कूल की बातें  याद आती हैं ।
                  बात उन दिनों की है जब मैं दसवीं कक्षा पास करने के 10+1मे कालेज में  एडमिशन लिया था।मैं एक औसत छात्रा  थी।मै मात्र 14+की ही थी इतनी छोटी उम्र  और उस पर कालेज  का माहौल ।फिर मैं छात्रा भी औसत थी।मतलब पढाई में ठीक ठाक थी ।मुझे याद है मैं कालेज में डरते डरते  गयी थी ।पहला दिन सब ठीक चल रहा था ।इतने में हमारी मैम आयी और उनहोंने अटेनडस ली। जब मेरी बारी आई मैं अपना रोल नम्बर भूल गयी।सब हंसने लगे ।मैम ने मुझे  प्यार  से कहा "ध्यान  रखो बेटे।कहाँ गुम हो।मुझे बडी झेंप  लगी।उन का मुझे यूँ प्यार से बोलना मुझे अच्छा लगा ।मेरा डर धीरे-धीरे  खुलने लगा ।

                             मुझे याद है उन दिनों मेरी माँ  बहुत बीमार थी।मैं जहाँ भी बैठी होती थी उनके विषय में  सोचती रहती थी ।एक दिन कक्षा में वो मैडम कुछ सवाल पूछ रही थी मै तब अपनी माँ के विषय में सोच रही थी ।इतने में मैम ने मेरा नाम पुकारा ।मैं एक दम से हडबडा  कर बोली,"यस मम्मी "मेरा इतना बोलना था कि सारी कक्षा ठट्ठा कर हंस पडी।तभी मेरी मैम ने डांटते हुए पूरी कक्षा को कहा,"यहाँ  कोई जोक्स  चल रहा है जो आप लोग हंस रहे हो।क्या हो गया जो इनके मुँह से यह निकल गया ।इस में क्या गलत है जब एक माँ गुरु बन कर बच्चे को ग्यान दे सकती है तो हम गुरु होकर एक बच्चे को माँ  जैसा प्यार क्यो नही दे सकते।मैम का इतना कहना था कि सारी कक्षा में चुप्पी छा गयी।

                वो मैम मेरा मनोबल बढाती रहती थी जब भी मै कही कमजोर पड़ती थी ।उन मैम की बदौलत जो लडकी कक्षा में मध्यम स्तर पर थी उस ने कालेज में  प्रथम स्थान प्राप्त किया यानि मैने ।आप का बहुत बहुत धन्यवाद जो आपने मुझे फर्श से अर्श पर बैठा दिया💖💖💖

अब चलती हूं सखी अलविदा।
Shatrudhan Ram

Shatrudhan Ram

यह लेख मुझे बहुत पसंद आई और हर एक शिक्षक में यह गुण होना जरूरी है। लेकिन हर विद्यालय में इस तरह के शिक्षक बहुत कम देखने को मिलते हैं । धन्यवाद

21 अक्टूबर 2022

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रचनाएँ
दैनंदिनी सखी (सितम्बर) 2022
4.5
सितम्बर माह जिसमे पूर्वजों को याद करें गे।उनको श्राद्ध अर्पित करके‌।और बहुत सी बाते होंगी सखी जब हम तुम साथ रहें गे।
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1/9/2022 :-गणेश चतुर्थी

1 सितम्बर 2022
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प्रिय सखी।कैसी हो ।पता है दो दिन मे हमारे साथ क्या कुछ नही घटा।अब तुम से मिल नही सकते थे । क्यों कि हमने डायरी पूर्ण मार्क कर दी थी।सोई इंतजार कर रहे थे कि कब तुम से मुलाकात हो और हम मन की बात तुम्हें

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2/9/2022:- ग्लोबल वार्मिंग

2 सितम्बर 2022
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प्रिय सखी।कैसी हो। हम अच्छे है बस आज के दैनिक प्रतियोगिता के विषय के अनुरूप थोड़ा दिमाग गरम है । आखिरकार पुस्तक लेखन प्रतियोगिता के परिणाम घोषित हो गये ।वही कछुआ खरगोश की कहानी याद आ गयी ।बस अब

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5/9/2022

5 सितम्बर 2022
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प्रिय सखी।कैसी हो।मै अच्छी हूं ‌।कल ही समूह मे शैलेश जी किसी लेखक को प्रतियोगिता का विवरण दे रहे थे।उसमे उन्होंने कहा कि पुस्तक प्रतियोगिता में पेड पुस्तक दोनों ही पहले द्वीतिय स्थान पर आयी है।हमने भी

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6/9/2022:-सोशल मीडिया की ताक़त

6 सितम्बर 2022
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प्रिय सखी।कैसी हो ।हम अच्छे है ।आज एक लेख पढ़ा ।सच मे सखी लेख पढ़ कर हंसी आ गयी।"एक तो चोरी ऊपर से सीना जोरी" यह कहावत उस लेख पर पूरी तरह से फिट बैठती थी।अपने को सच और दूसरे को झूठा साबित करने की होड़

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7/9/2022 :- टाइम ट्रैवल

7 सितम्बर 2022
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प्रिय सखी ।कैसी हो ।हम अच्छे है और मौज से है ।आज ही हमारी एक और किताब ने सौ का आंकड़ा पार कियाहै मतलब वो सौ लोगों के पुस्तकालय में रखी गयी है। किताब का नाम है "मै ओरत हूं .... इसलिए।"लगातार पाठक संख्य

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9/9/2022 :-रेल यात्रा

9 सितम्बर 2022
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प्रिय सखी।कैसी हो ।हम ठीक ही है ।आज घर पर ही है देहली शोप पर नही गये।तबीयत ठीक नही है।कुछ नया उपन्यास लिख रहे है एक मंच पर बस उसी मे व्यस्त रहते है। फ़ालतू का सोचने का समय ही नही लगता।अब अगस्त की पुस्

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11/9/2022:- मानसिक स्वास्थ्य

11 सितम्बर 2022
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प्रिय सखी।कैसी हो।हम ठीक है और अपनी देहली वाली शोप पर बैठे तुम्हें याद कर रहे थे।आज रविवार को सुबह ही सुबह आ गये हम ।कयोकि यहां कपड़ों के व्यापारी सुबह सुबह ही आते है रविवार को। तबीयत नासाज थी लेकिन फ

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13/9/2022:- बचपन की मित्रता

13 सितम्बर 2022
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प्रिय सखी।कैसी हो ।हम अच्छे है । औरों का पता नही हम पूर्णतः स्वस्थ है। हां लोग कोशिश करते है अपनी बीमारी दूसरे पर लादकर उसे बीमार घोषित करने मे लगे रहते है पर जनता और जानकार बेवकूफ नहीं है उन्हें समझ

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16/9/2022:- पितृपक्ष

16 सितम्बर 2022
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प्रिय सखी।कैसी हो। हम अच्छे है ।कल ही पतिदेव की दादी जी का श्राद्ध था।मौसम भी बदल रहा है तुम से गुजारिश अपना ख्याल रखा करो ।आज का विषय:-पितृपक्षजो आजकल चल रहा है अश्विनी मास की कृष्ण पक्ष को पित

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17/9/2022:- नारीवाद

17 सितम्बर 2022
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प्रिय सखी।कैसी हो ।हम अच्छे है और मजे से है ।आजकल देहली शोप पर नही जा रही हूं ।कल बैंक का काम था सोई उसे निपटाते हुए बारह यही बज गये ।फिर देहली गये ही नही। कुछ दिनों से फरीदाबाद में मौसम खराब ही चल रह

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18/9/2022:- अंधविश्वास

18 सितम्बर 2022
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प्रिय सखी।कैसी हो।हम अच्छे है और देहली शोप पर है।आजकल श्राद्ध पक्ष के कारण लोग कपड़ा कम खरीद रहे है इसलिए काम थोड़ा ढीला है ।ये लोगों का अंधविश्वास नही तो और क्या है । क्या हमारे पूर्वज हमे अच्छे कपड़

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19/9/2022:- अंधविश्वास

19 सितम्बर 2022
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प्रिय सखी ।कैसी हो ।मै अच्छी हूं ।अब की बार पुस्तक लेखन प्रतियोगिता में भाग ना लेने का विचार किया है ।बस मन नही करता ऐसे जीत हासिल करने से ।जब फोन वेरिफिकेशन होने लगेगा और रियल पाठक बढ़ेंगे रचनाओं पर

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20/9/2022:-- नारी शक्ति का दुर्पयोग

20 सितम्बर 2022
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हैलो सखी।कैसी हो ।कल रात तो जम कर मेघा बरसे ।बस देहली शोप पर आते समय थोड़ा रास्ते मे दिक्कत होती है जगह जगह जल भराव हो जाता है बाकी जो मौसम मे उमस थी उससे काफी निजात मिली।शोप पर आकर बैठे और मोबाइल खोल

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22/9/2022:- मेरी पहली पढ़ी पुस्तक

22 सितम्बर 2022
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प्रिय सखी। कैसी हो । मै अच्छी हूं । बारिश बहुत हो रही है तीन दिनों से ।बस सारा दिन ऐसे ही बीत जाता है कुछ समय उपन्यास लिखने मे तो कुछ और व्यस्तताएं है ।बस दिन पता ही नही चलता ।हमारी मां कहती है य

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23/9/2022:-- शर्मशार होती इंसानियत

23 सितम्बर 2022
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प्रिय सखी ।कैसी है ।हम अच्छे है और मौसम से दुःखी है । लगातार बरसात हो रही है ।आज तुम्हें पता है दैनिक प्रतियोगिता का विषय बड़ा ही उम्दा है । "शर्मशार होती इंसानियत "सच मे सखी कहां नही है इंसानियत शर्म

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