वैसे तो जब हम सब स्कूल जाते है तो उस समय सिर पर एक बोझ सा रहता है ।कि आज ये होमवर्क नही कर पाये।वो काम समय पर मैडम को दिखाना था।इसी उधेड़बन मे छात्र की जिन्दगी चलती रहती हैं ।खासकर उस छात्र की जो कक्षा में औसत हो। लेकिन बाद की जिन्दगी में वो स्कूल की बातें याद आती हैं ।
बात उन दिनों की है जब मैं दसवीं कक्षा पास करने के 10+1मे कालेज में एडमिशन लिया था।मैं एक औसत छात्रा थी।मै मात्र 14+की ही थी इतनी छोटी उम्र और उस पर कालेज का माहौल ।फिर मैं छात्रा भी औसत थी।मतलब पढाई में ठीक ठाक थी ।मुझे याद है मैं कालेज में डरते डरते गयी थी ।पहला दिन सब ठीक चल रहा था ।इतने में हमारी मैम आयी और उनहोंने अटेनडस ली। जब मेरी बारी आई मैं अपना रोल नम्बर भूल गयी।सब हंसने लगे ।मैम ने मुझे प्यार से कहा "ध्यान रखो बेटे।कहाँ गुम हो।मुझे बडी झेंप लगी।उन का मुझे यूँ प्यार से बोलना मुझे अच्छा लगा ।मेरा डर धीरे-धीरे खुलने लगा ।
मुझे याद है उन दिनों मेरी माँ बहुत बीमार थी।मैं जहाँ भी बैठी होती थी उनके विषय में सोचती रहती थी ।एक दिन कक्षा में वो मैडम कुछ सवाल पूछ रही थी मै तब अपनी माँ के विषय में सोच रही थी ।इतने में मैम ने मेरा नाम पुकारा ।मैं एक दम से हडबडा कर बोली,"यस मम्मी "मेरा इतना बोलना था कि सारी कक्षा ठट्ठा कर हंस पडी।तभी मेरी मैम ने डांटते हुए पूरी कक्षा को कहा,"यहाँ कोई जोक्स चल रहा है जो आप लोग हंस रहे हो।क्या हो गया जो इनके मुँह से यह निकल गया ।इस में क्या गलत है जब एक माँ गुरु बन कर बच्चे को ग्यान दे सकती है तो हम गुरु होकर एक बच्चे को माँ जैसा प्यार क्यो नही दे सकते।मैम का इतना कहना था कि सारी कक्षा में चुप्पी छा गयी।
वो मैम मेरा मनोबल बढाती रहती थी जब भी मै कही कमजोर पड़ती थी ।उन मैम की बदौलत जो लडकी कक्षा में मध्यम स्तर पर थी उस ने कालेज में प्रथम स्थान प्राप्त किया यानि मैने ।आप का बहुत बहुत धन्यवाद जो आपने मुझे फर्श से अर्श पर बैठा दिया💖💖💖