चौपाई आधारित गीत...... पथ गरल धरे लिपटे भुजंग, खिले वादियों में नए रंग फुफकार रहे खुद को मतंग, मतिमंद चंद बिगड़े मलंग...... प्रीति प्रकृति से यूं नहि होती झरता झरनों से रस मोती शनै शनै ऋतु शहद बनाए कण पराग मधुमखी सजोती॥ नए तरुन तके तिरछे ढंग, मानों घाँटी में उगी भ