देशज गीतिका. मात्रा - भार 22, समान्त - आर, पदांत- हो गइल जे पतुरिया के अँचरा उघार हो गइल माथ ओकरा अंहरिया सवार हो गइल दुईज़ चंदा नियन उग जे बिहरत रहे उ अमावस के जइसन भेंकार हो गइल॥ मन बिगड़लस जे आपना बना ना सकल ओकर जिनगी व रहिया पहार हो गइल॥ दूर से निम्मन लागेला झ