देशज गीतिका.
मात्रा - भार 22, समान्त - आर, पदांत- हो गइल
जे पतुरिया के अँचरा उघार हो गइल
माथ ओकरा अंहरिया सवार हो गइल
दुईज़ चंदा नियन उग जे बिहरत रहे
उ अमावस के जइसन भेंकार हो गइल॥
मन बिगड़लस जे आपना बना ना सकल
ओकर जिनगी व रहिया पहार हो गइल॥
दूर से निम्मन लागेला झूकल गगन
पाँव छाला पड़ल गति बेकार हो गइल॥
भूले पगडंडी पातर जे उड़ल बहुत
ऊ अइसन हेराइल की गँवार हो गइल॥
कौनों कोने में जाके छंहा ल तनिक
ई उभरल पसीना भर लिलार हो गइल॥
गोरा अँचरा तुहार दरकिनार ‘गौतम’
देख झिलमिल झरोखा बीमार हो गइल॥