*सनातन धर्म में अनेकों ग्रंथ मानव जीवन में मनुष्य का मार्गदर्शन करते हैं | इन्हीं ग्रंथों का मार्गदर्शन प्राप्त करके मनुष्य अपने सामाजिक , आध्यात्मिक एवं पारिवारिक जीवन का विस्तार करता है | वैसे तो सनातन धर्म का प्रत्येक ग्रंथ एक उदाहरण प्रस्तुत करता है परंतु इन सभी ग्रंथों में परमपूज्यपाद , कविकुलश
*हमारा देश भारत कला , संस्कृति के साथ-साथ अनेकों रंग बिरंगे त्योहारों एवं मान्यताओं की परंपरा को स्वयं मैं समेटे हुए है | यहां प्रतिदिन कोई न कोई व्रत मानव मात्र के कल्याण के लिए मनाया जाता रहता है | इन्हीं व्रतों की श्रृंखला में माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को "संकष्टी गणेश चतुर्थी" का व्रत ब
*आदिकाल में जब सृष्टि का विस्तार हुआ तब इस धरती पर सनातन धर्म के अतिरिक्त और कोई धर्म नहीं था | सनातन धर्म ने मानव मात्र को अपना मानते हुए वसुधैव कुटुंबकम की घोषणा की जिसका अर्थ होता है संपूर्ण पृथ्वी अपना घर एवं उस पर रहने वाले मनुष्य एक ही परिवार के हैं | सनातन धर्म की जो भी परंपरा प्रतिपादित की