*आदिकाल में जब सृष्टि का विस्तार हुआ तब इस धरती पर सनातन धर्म के अतिरिक्त और कोई धर्म नहीं था | सनातन धर्म ने मानव मात्र को अपना मानते हुए वसुधैव कुटुंबकम की घोषणा की जिसका अर्थ होता है संपूर्ण पृथ्वी अपना घर एवं उस पर रहने वाले मनुष्य एक ही परिवार के हैं | सनातन धर्म की जो भी परंपरा प्रतिपादित की गई उसमें मानव मात्र का कल्याण निहित था , क्योंकि जब मनुष्य उठकर चलना सीख रहा था तब से सनातन धर्म ने मनुष्य को उंगली पकड़कर चलना सिखाया | जिस प्रकार एक विशाल वृक्ष की कई शाखाएं एवं उन शाखाओं में अनंत पत्तियां होती हैं उसी प्रकार सनातन धर्म रूपी वृक्ष में अनेकों प्रकार के धर्म एवं संप्रदाय रूपी शाखाएं उत्पन्न हुई फिर उनमें ही अनेकानेक पंथ रूपी पत्तियां शोभा पाने लगीं , परंतु सनातन ने कभी किसी का विरोध नहीं किया , सब को ही गले से लगाकर चलने की शिक्षा सनातन धर्म के धर्म ग्रंथों से उद्धृत होती रही , परंतु जिस प्रकार राक्षसी प्रवृत्ति एवं नकारात्मक शक्तियों ने सनातन धर्म का विरोध किया वह किसी से छुपा नहीं है | यह सनातन की सहिष्णुता का ही परिणाम है कि किसी भी धर्म ग्रंथ में किसी धर्म संप्रदाय विशेष के रूप में कहीं ही कोई अनर्गल टिप्पणी नहीं प्राप्त होती है | जहां अन्य धर्म के प्रवर्तक एवं संस्थापकों ने सनातन के विरोध में ही एक नए धर्म की नींव डाली वहीं सनातन ने उनको भी एन केन प्रकारेण अपनाने का ही कार्य किया है | शायद इसीलिए सनातन जिस प्रकार दिव्यता के साथ इस पृथ्वी पर प्रकट हुआ था आज भी उसकी वही दिव्यता विद्यमान है |*
*आज वर्तमान युग में अनेक विद्वान , अनेक धर्म एवं संप्रदाय के ठेकेदार बन गए जिनको सनातन धर्म एवं उसके प्रतीक भगवा रंग में अनेकों बुराइयां दिखाई पड़ती है | यहां तक कि लोग सनातन धर्म को असहिष्णु कह रहे हैं उनके द्वारा यदि ऐसा कहा जा रहा है तो ऐसे लोग या तो सनातन धर्म को जानते नहीं हैं या फिर ओछी राजनीति के चक्कर में ऐसे वक्तव्य दे रहे हैं | मैं "आचार्य अर्जुन तिवारी" चुनौती देकर के समाज के ऐसे ठेकेदारों एवं धर्म का ठेका लेने का दम भरने वालों से पूंछना चाहता हूँ कि इस्लाम धर्म या ईसाई धर्म की किसी पुस्तक में सनातन धर्म के किसी महापुरुष , राम या कृष्ण के विषय में कोई वर्णन , कोई कथा दिखा सकते हैं ?? जबकि मैं सनातन धर्म की सहिष्णुता का उदाहरण देते हुए बताना चाहूंगा कि सनातन ने सबको अपना कैसे माना है | हमारे यहां अठारह पुराणों में एक पुराण है भविष्य पुराण , जिसमें इस्लाम धर्म के प्रवर्तक मोहम्मद साहब एवं ईसाई धर्म के संस्थापक ईसा मसीह की भी कथाओं का वर्णन किया गया है | यह सनातन धर्म की व्यापकता का ज्वलंत उदाहरण है , जिसे आज असहिष्णु कहा जा रहा है | इन धर्मांधों को सनातन धर्म के धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन करने की आवश्यकता है | यदि ऐसे लोगों के मन में कहीं से भी यह विचार उत्पन्न हो रहा है ऐसा करके वह सनातन को नष्ट कर देंगे तो यह बता देना आवश्यक है कि सनातन धर्म सृष्टि के आदि से है और प्रलय काल तक रहेगा | इस बीच अनेकों सभ्यता एवं संस्कृति आई और चली गई और भविष्य में भी अनेक धर्म आकर के नष्ट हो जाएंगे परंतु सत्य सनातन विद्यमान रहेगा |*
*सनातन के अनुयायी यदि सभी प्रकार के विरोध का सामना कर रहे तो उसका एक ही कारण है कि सनातन सभी धर्मों का पिता है | जिस प्रकार अपनी संतानों के द्वारा पिता उपेक्षित होकर भी उन पर प्रेम बरसाता रहता है उसी प्रकार सनातन भी चुपचाप सब देख रहा है |*