ग़ज़ल (सपनें खूब मचलते देखे)सपनीली दुनियाँ मेँ यारों सपनें खूब मचलते देखेरंग बदलती दूनियाँ देखी ,खुद को रंग बदलते देखासुबिधाभोगी को तो मैनें एक जगह पर जमते देख़ाभूखों और गरीबोँ को तो दर दर मैनें चलते देखादेखा हर मौसम में मैनें अपने बच्चों को कठिनाई मेंमैनें टॉमी डॉगी शेरू को