मैं न यशोदा न देवकी मैं न राधा न रुक्मिणी न मीरा नहीं मैं सुदामा न कृष्ण न राम न अहिल्या न उर्मिला न सावित्री .......... मैं कर्ण भी नहीं नहीं किसी की सारथी न पितामह न एकलव्य न बुद्ध नहीं हूँ प्रहलाद ना गंगा न भगीरथ पर इनके स्पर्श से बनी मैं कुछ तो हूँ यदि नहीं - तो फिर क्यूँ लहराता है बोलता हुआ मौन