पचपन का यौवन दाढ़ी जब से सफ़ेद है मेरी , हुस्नवालों ने आँख है फेरी ....कैसे बतलाऊं इनको, कैसा हूँ ,यारों ! मैं नारियल के जैसा हूँ ...हाथ में ले के मुझको तोड़ो तो !मेरे अन्दर गिरी को फोड़ो तो !कितना समझाया इन हसीनों को ,ठीक करता हूँ मैं मशीनों को ....एक बोइंग सा हाल है मेरा , दिल अभी भी कमाल है मेरा .