पचपन का यौवन
दाढ़ी जब से सफ़ेद है मेरी ,
हुस्न
वालों ने आँख है फेरी ....
कैसे बतलाऊं इनको, कैसा हूँ ,
यारों ! मैं नारियल के जैसा हूँ ...
हाथ में ले के मुझको तोड़ो तो !
मेरे अन्दर गिरी को फोड़ो तो !
कितना समझाया इन हसीनों को ,
ठीक करता हूँ मैं मशीनों को ....
एक बोइंग सा हाल है मेरा ,
दिल अभी भी कमाल है मेरा ....
उम्र थोड़ी सी ढल गयी तो क्या ?
मेरी नीयत फिसल गयी तो क्या ?
इतने अरमां मेरी कहानी में,
खत्म ना हो सके जवानी में ...
हाय आईने ! कुछ रहम कर दे,
कुछ जवानी के हम पे रंग भर दे...
आँखों में रोशनी समा जाए ,
कोई नूरानी चेहरा आ जाए ....
जब हसीं सामने से चलते हैं,
मेरे अरमान फिर मचलते हैं....
दिल ज़रा जोर से धड़कता है,
ताक़तों का जुनूं फड़कता है.....
देखता आँख मैं गड़ा करके ,
आँख पर चश्मे को चढ़ा करके....
वह भी नज़दीक मेरे आते हैं ,
हाय चचा ! कह के चले जाते हैं ....
बेरुखी, दिल नहीं सह पायेगा ,
इतना धड़केगा, गुज़र जाएगा ....
मेरे मौला ! ये क्या सज़ा दी है ,
बूढ़े शोलों में फिर हवा दी है ....
इल्तजा मेरी भी ज़रा सुन ले !
एक हसीना मेरे लिए चुन ले ...
ज़ायका उसका शायरा रखना
उम्र पचपन का दायरा रखना...
गर नयी कोई ना हो खोली में,
उम्र वाली ही देदे झोली में...
मेरे मालिक ! जादुई छड़ी को हिला ,
मेरे को एक छप्पन छुरी तो दिला ....
..... ...................................................प्राणेंद्र
नाथ मिश्र