दिव्यांग होने के बावजूद मैं सिर उठा कर जी रहा हूं, पढ़ा-लिखा हूं, लेकिन आज जो घटना मेरे साथ घटी है, मुझे पहली बार अपने दिव्यांग होने के कारण रोना आया. इंसानियत शायद मर चुकी है. शिकायत करने पर एक बस के ड्राइवर-कंडक्टर ने हालांकि मुझसे माफी मांगी, मैंने उन्हें माफ भी कर दिया, लेकिन इस घटना ने मुझे बहु