समय चूकते तुमने सुनी है समय की हँसी चूकने का दर्द भी भोगा है फिर समय की सलीब पर हर बार क्यूँ रख देते हो खुद को ?तुम अनुभव की खाइयों से गुजर चुके हो जानते हो खाई किसी और ने बनाई वो जो खड़ा था खाई और समतल के बीच डगमगाता हुआ तुम्हें स्पर्श देता हुआ वह गलत नहीं था उसके एक तरफ खाई थी एक तरफ कुआँ फिर भी वह