🌿दिनांक :- 15/06/22🌿
🌺सुनों न! दैनन्दिनी,
एक दिन मैं मोबाइल पर यूट्यूब वीडियो देख रही थी। उसमें कुछ वीडियो जो होम पेज पर दिखाई देते हैं। उनमें एक था जो चाहोगे वही होगा
"लाॅ ऑफ अट्रेक्शन" से। मुझे थोड़ी जिज्ञासा हुई कि यह क्या है। और मैने वह वीडियो देखा। उसके बाद उससे संबंधित और भी वीडियो देखे। जितना मुझे समझ में आया वह ये है कि ये दुनियां पूरी" लाॅ ऑफ अट्रेक्सन "से चल रही है। और हमारे साथ जो कुछ भी होता है उसे हम ही अट्रेक्ट करते हैं। इस बात में कितनी सच्चाई है वह मुझे नहीं पता। "लॉ ऑफ अट्रेक्सन" को और जानने के लिए मेने एक किताब
"The secret" मंगवाई। मेंने उसे पढ़ा। पर सच बताऊँ मुझे कुछ भी समझ नहीं आया।
लॉ ऑफ अट्रेक्सन के अनुसार हम जो भी चाहतें हैं
या जो कुछ सोचते हैं उसकी तरंगें पूरे ब्रम्हाण्ड में पहुंचती हैं। और फिर ब्रम्हाण्ड से वह इच्छा हम तक फॉरवर्ड होती है।
तो इसका मतलब यह है कि हमारे जीवन में जो होता है उसके जिम्मेदार हम ही होते हैं। जो भी परिस्थिति आती है उसे हम ही अट्रेक्ट करते हैं।
सच कहूँ तो यह लॉ सही है या गलत मुझे नहीं पता। लेकिन मेरा ये मानना है कि अपने साथ जो कुछ भी अच्छा होता है उसे तो मान लेते हैं कि यह हम चाहते थे। लेकिन जो हमारे साथ बुरा होता है उसे भला कोई क्यूँ चाहेगा। क्यूँ अट्रेक्ट करेगा।
मेरे हिसाब से तो अगर लॉ ऑफ अट्रेक्सन काम करता है तो दुनियाँ में सब कुछ अच्छा ही होगा। सभी खुश होंगे क्युँकि अपने साथ बुरा होना तो कोई नहीं चाहता है।
मुझे तो कुछ समझ नहीं आया।
आज बस इतना ही,
कल मिलते हैं ......😊