🌿दिनांक :- 16/06/22🌿
🌺सुनों न! दैनन्दिनी,
🌧⛈🌧बरस जा ऐ बादल बरस जा🌧⛈🌧
अब तो अति हो गई। गर्मी ने बेहाल कर दिया।🥵 अब तो मौसम भी बरसात का आ गया तो बादल कहां नदारद हो गए। अब तो बरस जाओ बस अब बहुत हो गया।🌦🌤
वैसे एक बात है, प्रकृति अपने हिसाब से ही चलती है। तेज गर्मी के बाद बरसात का मौसम आता है। बारिश से तपती धरती को राहत मिलती है। ठिठुरती सर्दी के बाद राहत देने के लिए गर्मियों का मौसम आता है।
हर मौसम का अपना एक निर्धारित समय है।⏳ लेकिन यह सब अनुपात में रहे तो सब ठीक और यही कभी कमी तो कभी अती हो जाए तो प्रलय।
अपने हिसाब से अनुपात में चले तो सब बढ़िया👌🏻 लेकिन कहीं ना कहीं मानव द्वारा प्रकृति की छेड़छाड़ की नतीजा है कि अब टाइम वेटाइम हो गया है। प्रकृति का अनुपात गड़बड़ा गया है। अभी भी नहीं सुधरे तो और भी विकराल रूप से सामना करना पड़ेगा। और क्या क्या झेलना पड़ेगा पता नहीं...
आज बस इतना ही,
कल मिलते हैं ......😊