🌿दिनांक :- 09/06/22🌿
🌺सुनों न! दैनन्दिनी,
कुछ दिनों पहले हम शादी में गए थे। वहां का नजारा बताती हूं😑।
बफर सिस्टम के ऊपर तो कई व्यंगात्मक लेख पढ़े हैं। लेकिन मैरिज गार्डन का हाल देखकर लेख जीवंत दिख रहे थे।🥴
प्रवेश द्वार से अंदर प्रवेश किया। बहुत ही भीड़ थी। मौका देख कर हमने सोचा पहले खाना खा लिया जाए। लेकिन खाने की स्टाल पर पहुंचे। वहां इतनी भीड़ थी कि हमारी हिम्मत और खाने की उम्मीद दोनों टूट गईं।😓
सबसे पहले प्लेट के पास पहुंचें। प्लेट नदारद थी🧐। उसके बाद हमने सोचा चलो ठीक है तब तक प्लेट आतीं हैं कुछ और ट्राई करते हैं🤔, और डोसा की स्टाॅल पर पहुंचे। वहां इतनी भीड़ में अपने लिए थोड़ी सी जगह बनाई और एक हाथ में प्लेट उठाकर इंतजार करने लगे थे। जैसे ही डोसा बनता वहां इतनी सारी प्लेट आगे बढ़ जातीं। हमारा तो हाथ नहीं पहुंच रहा था😓। हम वहां से निकल आए और सोचा कुछ और ट्राई करते हैं। तब तक प्लेट आ गईं तो खाना ही खा लेते हैं।😌
जैसे तैसे मटर पनीर की सब्जी मिली लेकिन पूड़ी नहीं मिलीं। ये बड़ी मुश्किल से भीड़ में पहुंचे। थोड़ी देर बाद इनके हाथ में पूड़ी और चेहरे पर विजयी मुस्कान थी। और हमारे चेहरे पर सुकून😃
खैर सब्जी पूडी खाने के बाद हमें राहत थी कि हमें ये तो नसीब हुई कुछ तो अभी भी जद्दोजहद कर रहे हैं। 😁
खाना खाने के बाद जैसे ही बाहर आए तो देखा कि एक महाशय अपनी गाड़ी को हमारी गाड़ी के ठीक पीछे इस तरह पार्क करके गए कि हमारी गाड़ी निकल ही नहीं सकती थी।🤦♀️
अब इन्तजार के अलावा हमारे पास कोई रास्ता नहीं था।🤷♀️
फिर हमने एक तिगडम लगाई। 😎
क्या तिगडम लगाई ये कल बताऊंगी ....😊