" आबरू आजकल कितनी सस्ती यहां
बेटियां अपनेपण को तरसती यहां
भेड़िये फिर हवस के निकल आये हैं
घूमेंगे फिर से हर एक बस्ती यहाँ
बढ़ रही है यहाँ आज शैतानियत
बच्चियों की संख्या है घटती यहाँ "