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आज की कहानी - २

3 मई 2022

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*एक घुड़सवार कहीं दूर जा रहा था। बहुत देर से पानी न मिलने से उसका घोड़ा प्यास से बेहाल था। तभी उसे एक खेत में रहट चलता दिखाई दिया।*

*वह घोड़े को रहट के पास ले आया, ताकि घोड़ा पानी पी सके। पर वह रहट बहुत जोर से टक-टक-टक-टक आवाज कर रहा था। उस आवाज से घबरा कर घोड़ा पीछे हट गया।*

*घुड़सवार के कईं बार प्रयास करने पर भी जब वह घोड़े को पानी न पिला सका, तो उसने खेत के मालिक को आवाज लगा कर कहा- भैया! आप कुछ देर के लिए अपना रहट बंद कर दो।*

*ताकि घोड़ा पानी पी सके। रहट की टक-टक के कारण घोड़ा पानी नहीं पी पा रहा है।*

*खेत का मालिक उसकी बात सुन कर हंसने लगा। और बोला- भाई! तुम समझदार लगते हो, फिर ऐसी मूर्खतापूर्ण बात क्यों करते हो? अगर रहट बंद हो जाएगा तो पानी आना भी तो बंद हो जाएगा। तब घोड़ा पियेगा क्या? अगर तुम अपने घोड़े की प्यास बुझाना चाहते हो, तो तुम्हें उसे इस टक-टक में ही पानी पीने का अभ्यास कराना पड़ेगा। दूसरा कोई उपाय नहीं है।*

सारंश

*वह घुड़सवार और कोई नहीं, आप ही हैं। मन ही घोड़ा है। जगत की चिक-चिक ही रहट की टक-टक है। भगवान स्वयं ही खेत के मालिक हैं। भगवान का भजन ही पानी है। बिना भगवान का भजन किए इस मन की जन्मों जन्मों की प्यास बुझना असंभव है।*

*मन कहता है कि मैं इस चिक-चिक में भगवान का भजन कैसे करूं? पर भगवान कहते हैं कि अगर तुझे प्यास बुझानी है, अगर तूं आराम, विश्राम, आनन्द चाहता है, दुख से छूटना चाहता है, मुक्ति चाहता है, तो तुझे भजन का जल पीना ही पड़ेगा।*

*और भजन तो जगत की चिक-चिक में ही करना पड़ता है।* *यदि आप सोचते हैं कि पहले जगत की चिक-चिक रुक जाए, फिर मैं भजन करूंगा। तो निश्चित ही इस प्यास के बुझने की न कोई संभावना थी, न है, न कभी होगी।*


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