आज हमारी ईश्वर में आस्था,
है कितनी यह देखो जरा।
कोई तो करता पूजा साधना,
कोई करे ऐसे खिलवाड़ जरा।।
न उड़ाए मजाक आस्था का,
न आस्था को ही संसाधन।
करे ईश्वर की अर्चना याचना,
न ही पब्लिसिटी का साधन।।
ईश्वर का भी मोल समझो,
ईश्वर का न अपमान करो।
ईश्वर की करो भक्ति साधना,
आस्था पर न तुम चोट करो।।
जाग्रत करो अपनी आत्मा,
ईश्वर की करो तुम अर्चना।
ईश्वर से ही अस्तित्व तुम्हारा,
ईश्वर ही तुम्हारी याचना।।
न धर्म का तमाशा बनाओ,
किरदार को समझो तुम।
धर्म में रखो तुम आस्था,
ईश्वर का न अपमान तुम।।
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