आयो नंद घर ललना,
ब्रज में मची खुशहाली।
घर घर दीप जल रहे,
बजा रहे हैं थाली।।
बगिया में फूल खिल रहे,
सीचें बगिया का माली।
धरती अंबर झूम रहा,
धरा पे छाई हरियाली।।
पत्ता पत्ता झूम रहा है,
झूमे है डाली डाली।
कैसा मोहना रूप लिए,
छटा बिखेरे है निराली।।
पालना में खेल रहा ,
मैया थामे है डाली।
आयो नंद घर लालन,
छटा बिखेरे निराली।।
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