गुरुकुल में शिक्षा दीक्षा,
शिष्य ग्रहण करें दिन रैन।
चाहे करें वह चाकरी,
या फिर हो शिक्षा रैन।।
गुरुकुल में रहकर शिष्य,
सीखते है जीवन के पाठ।
गुरु की सेवा सुश्रुषा से,
पाते गुरुकृपा का पाठ।।
वृक्ष तले खुले आसमान में,
गुरु देते शिष्य को सब ज्ञान।
दूर करे अज्ञानता शिष्य की,
शिष्य करें सब गुरु का मान।।
शिक्षा दीक्षा समाप्ति पर,
आती है वापसी गुरुकुल से।
घर वापस जाने से पहले,
श्रद्धा अर्पित गुरु दक्षिणा से।।
गुरु दक्षिणा क्या लेनी है,
निर्भर होता है गुरुजनों पे।
शिष्य भी देते गुरु दक्षिणा,
सेवा सुश्रुषा से गुरुजनों पे।।
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