आज का आधुनिक भारत।
किसी को मिलती नहीं राहत।।
महंगाई पकड़े अब जोर है।
सब करते यही अब शोर है।।
गरीबों का होता बुरा हाल।
अमीर और होते मालामाल।।
नेतागण कैसे पैसे ये कमाते।
मध्यम वर्गीय हितों को रोते।।
संयुक्त परिवार होते खत्म।
एकल परिवार चहुंओर होते।।
मात पिता का सम्मान नहीं।
बच्चे अपने में मगन कहीं।।
डिजिटल मीडिया का जमाना।
सभी जनों ने यह पहचाना।।
मोबाइल ने अब पहचान बढ़ाई।
हर गण के हाथ की शान बनाई।।
चारों ओर यही संग्राम है।
कूटनीतियों का ही जोर है।।
लूट खसोट और मारामारी।
जनता त्रस्त और हाहाकारी।।