जब मातृभूमि को माँ माना था अशफाक, भगत, बोस से जाना था ये गाँधीजी ने भी माना था कि भारत माँ आजाद करें हम गुलामी की जंजीरों से । लेकिन भूल गये तुम सब-कुछ माँ की स्तुति मंजूर नहीं है मैं मानूं ये
दूरबीन ले क्यों ढूंढ़ते, अपने हित की आग, राजनीति की रोटियाँ, पायें जिससे ताप । पायें आग ताप की, सिके बस इनकी रोटी, क्या वीरगति सैनिक, क्या गरीब की रोटी । कितनी भी हो विपदा, धर्म-कि विरोध कर
बहा पसीना व्यर्थ में, रोया यदि मजदूर, जाया उसका श्रम हुआ, पारितोषिक हो मजबूर, नहीं आजादी आई अभी, समझो वो है अबहूँ दूर । (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्"
आजादी के देखो मायने, कैसे करे गए हैं अनर्थ, क्रांति के बलिदान सब, गए जाया हुए अब व्यर्थ । (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्"
जात-पात और धर्म लिखो करवाते रहो बवाल, आने वाली पीढ़ियां पूछेंगी कई सवाल॥ (c) @ दीपक कुमार श्रीवास्तव " नील पदम् "
तोड़ गुलामी की जंजीरे अपने खून से रंग कर जब भारत माँ के वीरों नेये तीन रंगों का लहराया तिरंगाये केवल तिरंगा नही है ये भारत की आन बान शान है अपने वीरों के बलिदानों की आखिर
77वां स्वतंत्रता दिवस: बीटिंग द रिट्रीट सेरेमनी अटारी-वाघा सीमा पर भारत और पाकिस्तान को एकजुट करती है अमृतसर, पंजाब, 15 अगस्त, 2023 - देशभक्ति और सैन्य सटीकता के एक उल्लेखनीय प्रदर्शन में, भारत क
सभी देशवाशियों को 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं आज हम 77 वे वर्षगांठ स्वतंत्रता दिवस मनाने के पायदान पर पहुच गए है।यह शुभ अवसर और भी खास है क्योंकि हम हर साल तो हम 15 अगस्त मना
आज़ाद हैं हम आज़ाद वतन आज़ाद हैं हम आज़ाद वतन अपना जीवन इसको अर्पण आज़ाद हैं हम आज़ाद वतन प्यारे साथियों🙇🙇 आज हम आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं !बहुत खुश किस्मत हैं हम लोग जो हमें आज़ाद भ