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अब की होली

11 मार्च 2022

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अब की होली में न प्यार है न दुलार , बस है रंगों का ये त्योहार।
आज सब लगते हैं बेगाने  , एक दूजे की भावनाओं से हैं अनजाने ।
कहां गई वो प्यार वाली होली, अब तो केवल रंगों की टोली ।
वो छत पर चढ़ कर रंग बरसाना , मां पापा के संग गुझिया खाना ।
पापड़ ,चटनी, पूरी , कचौरी, गरमा -  गरम खीर और रस मलाई ।
आज मिलकर चिढ़ा रही हैं वो पुरानी यादें,
जाने कब से ऐसी होली नहीं मनाई,
भाई – बहनों का संग, बजे हर तरफ मृदंग ।
बस आज ये सब लगता है सपना , अब होली में कोई नहीं लगता अपना ।
जानें क्यों अब वो त्योहार नही आता , पहले सा हुडदंग नही छाता ।
रंग – बिरंगे होली के रंग, 
अबीर ,गुलाल आओ खेलें संग – संग ।
छल – कपट की न छिड़े अब कोई जंग,
बुराइयों को जलाएं होलिका दहन के संग ।
सारे बैर मिटाएं, आओ  मिलकर अब की होली नए ढंग से मनाएं ।

रचनाकार
सुरभि श्रीवास्तव
फतेहपुर
उत्तर प्रदेश

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