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अंधेरों से लड़ कर जीना सीखा, ठोकर खा कर संभलना सीखा। ज़िंदगी के हर मोड़ पर दी हैं बहुत सी परीक्षाएं, काम आईं हैं हमेशा मां - पापा की दी हुई शिक्षाएं । बाहर से तो ज़िंदगी देखने में बड़ी सीधी - सादी सी
अब की होली में न प्यार है न दुलार , बस है रंगों का ये त्योहार।आज सब लगते हैं बेगाने , एक दूजे की भावनाओं से हैं अनजाने ।कहां गई वो प्यार वाली होली, अब तो केवल रंगों की टोली ।वो छत पर चढ़ कर रंग