सुंदर नगर मे एक बड़ी हवेली कई वर्षों से खाली पड़ी थी , इसलिए कस्बे की सभी बस्तियों के भूत उस एक ही हवेली में जमा हो गए थे। वह एक भुतहा हवेली बन गयी थी।
इन भूतों में एक युवा मृत राजकुमारी भी थी। वह एक बड़े से कमरे में रखी अत्यंत पुरानी लकड़ी की अलमारी में रहती थी । वह शांति पसंद करती थी। राजकुमारी का नाम मधुबाला था। वह सिंह गढ़ रियासतके राजा जयसिंह की पुत्री थीं। उससे बड़ा एक भाई था । राजकुआरी ने समय के साथ समझौता कर लिया था । वर्ना ये आश्चर्य की बात थी कि महलों में रहने वाली राजकुमारी एक अलमारी में कैसे रह रही थी? उसकी चेतना में संस्कारों के साथ कुछ स्मृतियाँ भी शेष थीं । उसकी एक मानुषी के रूप में पृथ्वी पर गुजरी आखरी शाम बड़ी दर्दनाक रही थी।
सन 1975 में वह 22साल की थी। एक अन्य रियासत के राजकुमार से उसके विवाह की चर्चा चल रही थी। उस वर्ष उसने बी ए प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण किया था । इस खुशी में राजा जयसिंह ने एक शानदार पार्टी का आयोजन किया था । सन 1975 की उस शाम को सिंहगढ़ के महल के राजकीय उद्यान में जब पार्टी जोरों पर चल रही थी तो एक काला नकाबपोश आदमी मशीनगन के साथ पीछे के गेट से शाही बगीचे में दाखिल हुआ और इससे पहले कि कोई प्रतिक्रिया कर पाता, उसने पहले राजा प्रताप सिंह पर, फिर सभी दिशाओं में अंधाधुंध फायरिंग की। राजकुमारी मधुबाला के सिर में एक गोली लगी और वह गिर पड़ी। जब उसे होश आया तो उसने देखा कि शाही बाग की जमीन पर खून से लथपथ उसके सहित कई लाशें पड़ी हैं। सभी मृत व्यक्ति, जिनके शव वहाँ पड़े थे, हवा में तैरते दिख रहे थे और अविश्वास से अपने निर्जीव शरीरों को देख रहे थे। उसने देखा कि उसके पिता अपने दोस्तों के बीच लेटे हुए थे। वह उनके पास यह देखने गई कि क्या वह जीवित है। उसने उसे मृत पाया। फिर उसने उनकी छाया को आकाश में उड़ते हुए देखा । उसने उनका पीछा करने की कोशिश की लेकिन वह एक निश्चित ऊंचाई से आगे नहीं जा सकी। उसने स्वयं को बहुत हल्का महसूस किया और जल्द ही वह समझ गई कि वह दुनिया के लिए मर गयी है और एक आत्मा के रूप में अस्तित्व में है। उसने सोचा कि क्या वह भूत बन गयी है। जल्द ही उसने इस बात की पुष्टि की। उसका बड़ा भाई और उसकी पत्नी किसी तरह बच गये थे और महल में मौजूद थे। वह महल में गयी और उनके सामने खड़ी हो गई। उन्होंने उसे नहीं देखा। उसने तीव्र इच्छा की कि वह उन्हें दिखाई दे और वह उनके सामने प्रगट हो गयी। तभी उसकी भाभी ने उसे देखा और उसे देख कर इतना भयभीत हो गयी कि वह चिल्लाई ‘भुतनी और बेहोश होकर गिर गयी । मधुबाला तुरंत महल से निकल गयी । तब से वह अपनी चेतना में पड़े संस्कारों और कभी किन्हीं उच्च आत्माओं के मार्गदर्शन में रहती आयी थी । मृत्यु के लगभग 50 वर्ष बीत चुके थे लेकिन वह हमेशा की तरह युवा बनी रही। इस अवधि के दौरान उसने कई स्थानों की यात्रा की और कभी महलों,कभी गुफाओं, और कभी पेड़ों पर रही और अंत में इस हवेली में पहुंचीऔर अलमारी में रहने लगी। कुछ दिन तो आराम से कटे। लेकिन फिर उसी कमरे में लगे सीलिंग फैन पर दो नई चुड़ैलें रहने आ गयी। और झाड़ फ़ानूस पर चार अधेड़ भुतनियाँ रहने आ गयी। चुड़ैलें हर घंटे पर पंखे के पंखों पर बैठ कर पंखा चला कर घूमती और जोर जोर से चीखतीं और हंसतीं थी। चार अधेड़ भुतनियाँ हर समय आपस में तेज आवाज में झगड़ती रहतीं। राजकुमारी ने कुछ दिन उन्हें सहन किया फिर उसका धैर्य छूट गया। उसने अपना निवास स्थान अलग कहीं बनाने का निश्चय किया।
उसे शहर के बाहरी इलाके में एक अपार्टमेंट खाली मिला। उसने उसे पसंद किया और उस पर कब्जा कर लिया। कुछ दिनों तक विशाल अपार्टमेंट में अकेले रहने के बाद, वह अकेलापन और ऊबन महसूस करने लगी। जब वह ऊब जाती तो सड़क की ओर खुलने वाली खिड़की के पास खड़ी हो जाती और राहगीरों को देखा करती थी। एक दिन उसने देखा कि एक सुन्दर युवक सड़क के दूसरी ओर खड़ा है। वह उसकी ओरआकर्षित हो गयी और उसके मन में उससे दोस्ती करने की इच्छा हुई। उसने उसे अपने अपार्टमेंट में बुलाने का इरादा किया ।