लिखनी है तहजीब ए इश्क,,
कि इक बात मुझे,,
तू ही बता ,,क्या मै लिखू,,
जो की इक मिसाल बने।।
कहे तो रिवायत मै लिखू,
कहे तो शिकायत सी लिखू,
कहू जो भी बात,,कोई,
तेरी चाहत सी लिखू।
कहे तो तू कि मै,,जो,,
तेरी कोई बात लिखू,,
कैसे इक बात मै लिखू,,
तेरी हर बात लिखू,,।
दिल के हालात लिखू,,
निजी मामलात लिखू,,
कहे जो तू तभी , तो,मै,,,
अपनी हर,, बात लिखू,।
तेरी चाल पर मै लिखू,,
तेरी खुली लट पर लिखू,,
लिखू जो भी तुझ पर,,मै,,
दिल के जज्बात लिखू,।
तेरी बिंदिया पे लिखू,
तेरी चूडी पे लिखू,
खनखनाती सी हुई,
कलाई पे मै कैसे लिखू,।
कैसे झुमके पे तेरे ,,
आए दिल ,वो,, मै लिखू
कैसे पायल तेरी मेरा,
दिल चुराए ,,मै लिखू,,
तेरे पाॅव पर मै लिखू,
अपने घाव पर मै लिखू,
दिए जो तूने मुझे,,
सब ख्याल पर मै लिखू।
कांपते है हाथ मेरे ,,
इतराती है कलम ये मेरी,
कैसे खयालात है बने,,
कैसे जज्बात मै लिखू,,।
लिखनी है तहजीब ए इश्क,
की कोई,,बात मुझे,,
तेरी हर बात ही यहा ,,
गंजल की किताब बने,।,
समेटना चाहता हू मै,,
चंद मिसरो मे तूझे,,
कैसे करू तू ही बता,,
मेरी तू किताब बने,,।
इक ख्याल सा तू बनी,
इक आफताब है बनी,,
प्यार की कहानी मेरी,,
रूह की है,रूहानी बनी।
लोग कहते है मुझे,
इश्क अब रहा ही नही,,
समझ न आए संदीप ,,
कैसे मै ये बात लिखू।
मेरे हर जवाब का ,,
तू ही है सवाल बनी,,
तू ही है स्याही बनी,,
तू ही कलमकार है बनी
बनाता हू तस्वीर जो भी,,
बनती है तू ही सदा,,
तेरी क्या मै बात लिखू,
तू मेरा नशा है बनी,।
खत्म कर सकता नही,
इस इबादत को कही,,
तू मेरी पूजा बनी,,
तहजीब ए इश्क है तू, बनी,
{तू ही इबादत है मेरी ,,
तहजीब ए इश्क है सी बनी,
तू हि इक ख्याल है बनी,
तू गज़ल मेरी है बनी।} -- [3]
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रूमानियत की तारीख,,लिखता,,
संदीप शर्मा।
(सर्वाधिकार सुरक्षित रखते हुए। )
Sandeepddn71@gmail.com Sanatansadvichaar.blogspot.com,,
Jai shree Krishna g ✍ ...