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तहजीब ए इश्क।

12 जून 2022

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लिखनी है तहजीब  ए इश्क,,
कि इक बात मुझे,,
तू ही बता ,,क्या मै लिखू,,
जो की इक मिसाल  बने।।

कहे तो रिवायत  मै लिखू,
कहे तो शिकायत  सी लिखू,
कहू   जो भी  बात,,कोई,
तेरी चाहत सी लिखू।

कहे तो तू कि मै,,जो,,
तेरी कोई बात लिखू,,
कैसे इक बात मै लिखू,,
तेरी हर बात लिखू,,।

दिल के हालात लिखू,,
निजी मामलात लिखू,,
कहे जो तू तभी , तो,मै,,,
अपनी   हर,, बात लिखू,।

तेरी चाल पर मै लिखू,,
तेरी खुली लट पर लिखू,,
लिखू जो भी तुझ पर,,मै,,
दिल के जज्बात लिखू,।

तेरी बिंदिया पे लिखू,
तेरी चूडी पे लिखू,
खनखनाती सी हुई,
कलाई पे  मै कैसे लिखू,।

कैसे झुमके पे तेरे ,,
आए दिल ,वो,, मै लिखू
कैसे पायल तेरी मेरा,
दिल चुराए ,,मै लिखू,,

तेरे पाॅव पर मै लिखू,
अपने घाव पर मै लिखू,
दिए जो तूने मुझे,,
सब ख्याल  पर मै लिखू।

कांपते  है हाथ मेरे ,,
इतराती है  कलम ये मेरी,
कैसे खयालात  है बने,,
कैसे जज्बात मै लिखू,,।

लिखनी है तहजीब  ए इश्क,
की कोई,,बात मुझे,,
तेरी हर बात ही यहा ,,
गंजल की किताब बने,।,

समेटना चाहता हू मै,,
चंद  मिसरो मे तूझे,,
कैसे करू तू ही बता,,
मेरी तू किताब बने,,।

इक ख्याल  सा  तू बनी,
इक आफताब है बनी,,
प्यार की कहानी मेरी,,
रूह की है,रूहानी बनी।

लोग कहते है  मुझे,
इश्क अब रहा ही नही,,
समझ न आए  संदीप ,,
कैसे  मै  ये बात लिखू।

मेरे हर जवाब  का ,,
तू ही है सवाल बनी,,
तू ही है स्याही बनी,,
तू ही कलमकार है बनी

बनाता हू तस्वीर जो भी,,
बनती है तू ही सदा,,
तेरी क्या मै बात लिखू,
तू  मेरा नशा है बनी,।

खत्म  कर सकता नही,
इस इबादत को कही,,
तू मेरी पूजा बनी,,
तहजीब  ए इश्क है तू, बनी,

{तू ही इबादत है मेरी ,,
तहजीब ए इश्क  है सी बनी,
तू हि इक ख्याल है बनी,
तू गज़ल मेरी है बनी।} -- [3]
##@##
रूमानियत की तारीख,,लिखता,,
संदीप  शर्मा।
(सर्वाधिकार सुरक्षित रखते हुए। )
Sandeepddn71@gmail.com Sanatansadvichaar.blogspot.com,,
Jai shree Krishna g ✍ ...


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रचनाएँ
कैसी है री तू।मेरी कविता।
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यहा रोज इक नई कविता डालूगा। यही प्रयास है। दस होने पर यह पूर्ण होगी। जय श्रीकृष्ण।
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सुलगती वो कच्चे कोयले सी।

26 मई 2022
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सुलगती रही सदा नारी, कच्चे कोयले सी ,देकर उष्मा अपनी सौदर्य व देह की भी,मोल तब भी न कोई पाया,खो गई हौले सी,सुलगती गई वो तो नारी,कच्ची कोयले सी।वजूद उसका थ

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सुनहरी शाम।

26 मई 2022
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होती जो तुम साथ मेरे,,लेकर के मधुर एहसास तेरे,,महकती हवाओ की फिर आती सुगंध,वो तेरे होने की भीनी सी गंध,देती मुझे सुकून और आराम, बन जाती मेरी भी सुनहरी सी शाम।वो चाय की प्याली का

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नया मौका।[कुछ खयालात]

27 मई 2022
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यह हर बार नया मौका, कहा देती है जिंदगी, जो एक बार जो टूट जाए भरोसा, तो पिछाड देती है जिन्दगी। #### नए मौके की तलाश वो करे, जिन्हे पहले पे यकीन न रहे। ### हर बार नया मौका लेक

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जब उदास मन हो।

30 मई 2022
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जब मन उदासं हो सब भले ही पास हो , अच्छा नही लगता,,मुझे अच्छा नही लगता। देखता हू मै ,मन के जिस कोने मे, दिया है जो घाव,दिल को बींध कौने मे, छेडे उसे कोई, भले ही सहलाने को, सच बताऊ मै ,मुझे

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साहित्यिक कल्पना।

5 जून 2022
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मौजूद है विचारो मे ,मेरे शब्दो का उमड़ना, घुमडना, रोकू कैसे,इनके संग,, सिमटना, और लिपटना, यह कोई काल्पनिक नही, वास्तविक एक उडान,है,। पंख इनमे छोटे है पर साहित्यिक है , बलवान है, एक

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पथ का पत्थर

6 जून 2022
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वो पथ का पडा जो पत्थर, तुझको पुकारता है, कहता है मुझे चुपके से, क्या मुझको निहारता है,? आ हटा दे आकर मुझको, तेरा भाग्य पुकारता है, तू देख गम न करना, कि यह पत्थर आ खडा है, यही श्रम तेरे को चुनौती, तू

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विनाशकारी।

12 जून 2022
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इक तूफान उठा है भारी, संभल कर बडा ही है विनाशकारी, जाने कब कब किस किस से,, क्या क्या ले जाएगा,, भूखा है बहुत,, देखना,, शायद अमीर बन ,, गरीब की रोटी ले जाएगा,, हो न हो दावानल सा है यह,, देखना,,

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कही है धूप कही है छाँव।

13 जून 2022
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कही धूप कही है छाँव, जिंदगी के मचल रहे है पाॅव, कभी उपर कभी नीचे, यह कैसे कैसे भींचे। वो दरिया का एक किनारा, भला लगे ,भी प्यारा प्यारा। पर उसका क्या फिर करे नजारा, जो उतरकर, म

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