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सुनहरी शाम।

26 मई 2022

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होती जो तुम साथ मेरे,,
लेकर के मधुर  एहसास  तेरे,,
महकती हवाओ की फिर आती सुगंध,
वो तेरे होने की भीनी सी गंध,
देती मुझे सुकून  और आराम, 
बन जाती मेरी भी सुनहरी सी शाम।

वो चाय की प्याली का पहला वो घूट,
पीना तेरा और कहना असली का झूठ, 
मीठा इसमे कम है चखना जरा,
इसी बहाने, वो तकना तेरा,
मुझे देती थी ये सब बाते  आराम,
बन जाती थी मेरी भी सुनहरी सी शाम,

फिर कहना जो चलते है देर हो रही,
और चलना धीरे धीरे, जैसे देर न हो रही,
ये सारी की सारी बाते तमाम, 
बनाती थी मेरी हर सुनहरी सी शाम।

फिर  रातो को करवटे बदलना तेरा,,
सुबह  मिलना कैसे ,यह सोचना जरा,
वो बहाने बना कर फिर  आना तेरा,
और उलाहने  भी, देना,, यू ही बिन वजह,
सब तेरी बाते, मुझे  करती थी परेशान, 
पर बना देती थी मेरी सुनहरी सी शाम।
बना देती थी मेरी सुनहरी सी शाम[2]
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संदीप  शर्मा। देहरादून से।
जय श्रीकृष्ण। जयश्रीकृष्ण
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रचनाएँ
कैसी है री तू।मेरी कविता।
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यहा रोज इक नई कविता डालूगा। यही प्रयास है। दस होने पर यह पूर्ण होगी। जय श्रीकृष्ण।
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सुलगती वो कच्चे कोयले सी।

26 मई 2022
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सुलगती रही सदा नारी, कच्चे कोयले सी ,देकर उष्मा अपनी सौदर्य व देह की भी,मोल तब भी न कोई पाया,खो गई हौले सी,सुलगती गई वो तो नारी,कच्ची कोयले सी।वजूद उसका थ

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सुलगती वो कच्चे कोयले सी।

26 मई 2022
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सुलगती रही सदा नारी, कच्चे कोयले सी ,देकर उष्मा अपनी सौदर्य व देह की भी,मोल तब भी न कोई पाया,खो गई हौले सी,सुलगती गई वो तो नारी,कच्ची कोयले सी।वजूद उसका थ

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सुनहरी शाम।

26 मई 2022
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होती जो तुम साथ मेरे,,लेकर के मधुर एहसास तेरे,,महकती हवाओ की फिर आती सुगंध,वो तेरे होने की भीनी सी गंध,देती मुझे सुकून और आराम, बन जाती मेरी भी सुनहरी सी शाम।वो चाय की प्याली का

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नया मौका।[कुछ खयालात]

27 मई 2022
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यह हर बार नया मौका, कहा देती है जिंदगी, जो एक बार जो टूट जाए भरोसा, तो पिछाड देती है जिन्दगी। #### नए मौके की तलाश वो करे, जिन्हे पहले पे यकीन न रहे। ### हर बार नया मौका लेक

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जब उदास मन हो।

30 मई 2022
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जब मन उदासं हो सब भले ही पास हो , अच्छा नही लगता,,मुझे अच्छा नही लगता। देखता हू मै ,मन के जिस कोने मे, दिया है जो घाव,दिल को बींध कौने मे, छेडे उसे कोई, भले ही सहलाने को, सच बताऊ मै ,मुझे

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साहित्यिक कल्पना।

5 जून 2022
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मौजूद है विचारो मे ,मेरे शब्दो का उमड़ना, घुमडना, रोकू कैसे,इनके संग,, सिमटना, और लिपटना, यह कोई काल्पनिक नही, वास्तविक एक उडान,है,। पंख इनमे छोटे है पर साहित्यिक है , बलवान है, एक

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पथ का पत्थर

6 जून 2022
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वो पथ का पडा जो पत्थर, तुझको पुकारता है, कहता है मुझे चुपके से, क्या मुझको निहारता है,? आ हटा दे आकर मुझको, तेरा भाग्य पुकारता है, तू देख गम न करना, कि यह पत्थर आ खडा है, यही श्रम तेरे को चुनौती, तू

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विनाशकारी।

12 जून 2022
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इक तूफान उठा है भारी, संभल कर बडा ही है विनाशकारी, जाने कब कब किस किस से,, क्या क्या ले जाएगा,, भूखा है बहुत,, देखना,, शायद अमीर बन ,, गरीब की रोटी ले जाएगा,, हो न हो दावानल सा है यह,, देखना,,

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तहजीब ए इश्क।

12 जून 2022
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लिखनी है तहजीब ए इश्क,, कि इक बात मुझे,, तू ही बता ,,क्या मै लिखू,, जो की इक मिसाल बने।। कहे तो रिवायत मै लिखू, कहे तो शिकायत सी लिखू, कहू जो भी बात,,कोई, ते

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कही है धूप कही है छाँव।

13 जून 2022
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कही धूप कही है छाँव, जिंदगी के मचल रहे है पाॅव, कभी उपर कभी नीचे, यह कैसे कैसे भींचे। वो दरिया का एक किनारा, भला लगे ,भी प्यारा प्यारा। पर उसका क्या फिर करे नजारा, जो उतरकर, म

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