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पथ का पत्थर

6 जून 2022

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वो पथ का पडा जो पत्थर,
तुझको पुकारता है,
कहता है मुझे चुपके से,
क्या मुझको निहारता है,?
आ हटा दे आकर मुझको,
तेरा भाग्य पुकारता है,

तू देख गम न करना,
कि यह पत्थर आ खडा है,
यही श्रम तेरे को चुनौती,
तू क्या संवारता है,

तू हार जाता एक पत्थर से,
या उसको धिक्कारता है,
तेरी मंजिल जो छिपी खडी है,
यह पत्थर पुकारता है।

पथ का खडा ये पत्थर
तुझको संवारता है,
दे अनूठे अनुभव  तुझको,
पग तेरे बुहारता है,

पथ का पडा यह पत्थर,
  तुझको निखारता है।
तू खम ठेलकर देख,
तेरा जीवन सुधारता है ,

पथ का पडा  ये पत्थर
तेरे पंख मांगता है,
जोकि उड सके तो उस और,
यहा तेरे भाग्य का  पता है,
#####
यह सीख है
औरो के लिए,
कहते हैं पर उपदेश  कुशल बहुतेरे,
बस ऐसे ही ।
खुद  आलसी हू ।डरता हू इन  राह के पत्थरो से।
जयश्रीकृष्ण जयश्रीकृष्ण जयश्रीकृष्ण
संदीप  एक सच्चाई।


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रचनाएँ
कैसी है री तू।मेरी कविता।
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यहा रोज इक नई कविता डालूगा। यही प्रयास है। दस होने पर यह पूर्ण होगी। जय श्रीकृष्ण।
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सुलगती वो कच्चे कोयले सी।

26 मई 2022
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सुलगती रही सदा नारी, कच्चे कोयले सी ,देकर उष्मा अपनी सौदर्य व देह की भी,मोल तब भी न कोई पाया,खो गई हौले सी,सुलगती गई वो तो नारी,कच्ची कोयले सी।वजूद उसका थ

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सुलगती वो कच्चे कोयले सी।

26 मई 2022
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सुलगती रही सदा नारी, कच्चे कोयले सी ,देकर उष्मा अपनी सौदर्य व देह की भी,मोल तब भी न कोई पाया,खो गई हौले सी,सुलगती गई वो तो नारी,कच्ची कोयले सी।वजूद उसका थ

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सुनहरी शाम।

26 मई 2022
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होती जो तुम साथ मेरे,,लेकर के मधुर एहसास तेरे,,महकती हवाओ की फिर आती सुगंध,वो तेरे होने की भीनी सी गंध,देती मुझे सुकून और आराम, बन जाती मेरी भी सुनहरी सी शाम।वो चाय की प्याली का

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नया मौका।[कुछ खयालात]

27 मई 2022
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यह हर बार नया मौका, कहा देती है जिंदगी, जो एक बार जो टूट जाए भरोसा, तो पिछाड देती है जिन्दगी। #### नए मौके की तलाश वो करे, जिन्हे पहले पे यकीन न रहे। ### हर बार नया मौका लेक

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जब उदास मन हो।

30 मई 2022
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जब मन उदासं हो सब भले ही पास हो , अच्छा नही लगता,,मुझे अच्छा नही लगता। देखता हू मै ,मन के जिस कोने मे, दिया है जो घाव,दिल को बींध कौने मे, छेडे उसे कोई, भले ही सहलाने को, सच बताऊ मै ,मुझे

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साहित्यिक कल्पना।

5 जून 2022
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मौजूद है विचारो मे ,मेरे शब्दो का उमड़ना, घुमडना, रोकू कैसे,इनके संग,, सिमटना, और लिपटना, यह कोई काल्पनिक नही, वास्तविक एक उडान,है,। पंख इनमे छोटे है पर साहित्यिक है , बलवान है, एक

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पथ का पत्थर

6 जून 2022
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वो पथ का पडा जो पत्थर, तुझको पुकारता है, कहता है मुझे चुपके से, क्या मुझको निहारता है,? आ हटा दे आकर मुझको, तेरा भाग्य पुकारता है, तू देख गम न करना, कि यह पत्थर आ खडा है, यही श्रम तेरे को चुनौती, तू

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विनाशकारी।

12 जून 2022
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इक तूफान उठा है भारी, संभल कर बडा ही है विनाशकारी, जाने कब कब किस किस से,, क्या क्या ले जाएगा,, भूखा है बहुत,, देखना,, शायद अमीर बन ,, गरीब की रोटी ले जाएगा,, हो न हो दावानल सा है यह,, देखना,,

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तहजीब ए इश्क।

12 जून 2022
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लिखनी है तहजीब ए इश्क,, कि इक बात मुझे,, तू ही बता ,,क्या मै लिखू,, जो की इक मिसाल बने।। कहे तो रिवायत मै लिखू, कहे तो शिकायत सी लिखू, कहू जो भी बात,,कोई, ते

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कही है धूप कही है छाँव।

13 जून 2022
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कही धूप कही है छाँव, जिंदगी के मचल रहे है पाॅव, कभी उपर कभी नीचे, यह कैसे कैसे भींचे। वो दरिया का एक किनारा, भला लगे ,भी प्यारा प्यारा। पर उसका क्या फिर करे नजारा, जो उतरकर, म

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