Ajay Kesharwani
मैं एक लेखक हूं। और इस ऐप के माध्यम से अपने विचार प्रकट करना चाहता हूं। और अपने लिखे हुए लेख कविताएं व कहानियां प्रकाशित करना चाहता हूं।
नूतन वर्ष की प्रेरक बातें
नया साल आता है। ये हर साल आता है। कुछ यादें लेकर, कुछ उम्मीदें लेकर ये हर साल आता है। नया साल आता है। कुछ सबक सिखाने, कुछ नया लक्ष्य दिखाने ये हर साल आता है। भूले बिसरे, लोगों को मिलाता है। जब भी नया साल आता है।
नूतन वर्ष की प्रेरक बातें
नया साल आता है। ये हर साल आता है। कुछ यादें लेकर, कुछ उम्मीदें लेकर ये हर साल आता है। नया साल आता है। कुछ सबक सिखाने, कुछ नया लक्ष्य दिखाने ये हर साल आता है। भूले बिसरे, लोगों को मिलाता है। जब भी नया साल आता है।
कविताएं देश प्रेम की
मेरी मां, मेरी दुनिया मेरी मां मेरी दुनिया मेरी मां के चरणों में ,सारा ये संसार बसा मां मुझे सब कुछ देने वाली, मेरी मां मेरी विपदा हरने वाली और किसी से क्या मैं मांगू मेरी मां है। सब कुछ देने वाली मा
कविताएं देश प्रेम की
मेरी मां, मेरी दुनिया मेरी मां मेरी दुनिया मेरी मां के चरणों में ,सारा ये संसार बसा मां मुझे सब कुछ देने वाली, मेरी मां मेरी विपदा हरने वाली और किसी से क्या मैं मांगू मेरी मां है। सब कुछ देने वाली मा
खाटू श्याम जी के भजन
मोहब्बत की की, मैंने मोहब्बत की। खाटू वाले श्याम धनी से मैंने मोहब्बत की। खाटू वाला श्याम मेरा सारे जग का स्वामी है। सबको सहारा देने वाले हारे का सहारा कहलाने वाले खाटू श्याम जी लखदातार है। मेरे सरकार है। मेरे भगवान है। भक्तों का
खाटू श्याम जी के भजन
मोहब्बत की की, मैंने मोहब्बत की। खाटू वाले श्याम धनी से मैंने मोहब्बत की। खाटू वाला श्याम मेरा सारे जग का स्वामी है। सबको सहारा देने वाले हारे का सहारा कहलाने वाले खाटू श्याम जी लखदातार है। मेरे सरकार है। मेरे भगवान है। भक्तों का
मोहब्बत के कलाम, इश्क प्यार और मोहब्बत
Dilwale ki shayari 1. उम्मीद जिन से अभी भी हमारी थी। उन्हें ऐसे कैसे जाने देते जिन्हें प्यार हम अपनी जान से ज्यादा करते थे। उन्हें अकेली राहों में कैसे छोड़ देते प्रेम का बंधन ही कुछ ऐसा था। कि उनके बिना दिल कहीं लग
मोहब्बत के कलाम, इश्क प्यार और मोहब्बत
Dilwale ki shayari 1. उम्मीद जिन से अभी भी हमारी थी। उन्हें ऐसे कैसे जाने देते जिन्हें प्यार हम अपनी जान से ज्यादा करते थे। उन्हें अकेली राहों में कैसे छोड़ देते प्रेम का बंधन ही कुछ ऐसा था। कि उनके बिना दिल कहीं लग
प्रवासी मजदूरों का दर्द
कोरोनावायरस के चलते देश में लाक डाउन लगा हुआ है। जिसके चलते अन्य राज्यों में बसे हुए मजदूरों का पलायन हो रहा है। और मजदूर पैदल ही अपने घरों की ओर चल पड़े हैं। इन्हीं मजदूरों पर केंद्रित मेरी ये कविता है। बस चले जा रहे हैं। बे
प्रवासी मजदूरों का दर्द
कोरोनावायरस के चलते देश में लाक डाउन लगा हुआ है। जिसके चलते अन्य राज्यों में बसे हुए मजदूरों का पलायन हो रहा है। और मजदूर पैदल ही अपने घरों की ओर चल पड़े हैं। इन्हीं मजदूरों पर केंद्रित मेरी ये कविता है। बस चले जा रहे हैं। बे